भूमिका

आज हम बात करेंगे मिथिला पेंटिंग और मखाने के पैदावार के लिए विश्व में प्रसिद्ध मधुबनी के बारे में. बिहार प्रान्त में यह जिला दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत आता है. यहाँ की मुख्य भाषा मैथिलि और हिंदी है. दरभंगा जिले के विभाजन के उपरान्त इस जिले का गठन 1972 में हुआ था. मधुबनी जिले का मुख्यालय मधुबनी शहर में हीं है. राजा मिथि जो विदेह के राजा थे उनके नाम पर यह प्रदेश मिथिला के नाम से जाना जाने लगा. मधुबनी जिले का नाम दो शब्दों से मिल कर बना है. पहला मधु और दूसरा वाणी मधु का अर्थ होता है मीठा और वाणी का अर्थ होता है स्वर या बोली.

  • चौहद्दी और क्षेत्रफल

आइये अब आगे के इस चर्चा में हम जानते हैं मधुबनी जिले की चौहद्दी और क्षेत्रफल के बारे में. इस जिले की सीमा बिहार के तीन जिले और अन्तराष्ट्रीय सीमा नेपाल से सटती है. यदि इस जिले के पूरब में देखे तो सुपौल, पश्चिम में सीतामढ़ी, दक्षिण में दरभंगा और उत्तर में नेपाल स्थित है. इस जिले का क्षेत्रफल 3,501 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यदि यहाँ की आबादी देखे तो 4,487,379 है. जिनमे पुरुषों की संख्या 2,329,313 है और महिलाओं की संख्या 2,158,066 है. इस जिले में कुल 4 नगर परिषद्, 5 अनुमंडल, 21 प्रखंड और 1115 गाँव हैं.

इतिहास

चलिए अब जानते हैं मधुबनी के इतिहास के बारे में. इस जिले के इतिहास की शुरुआत हम वैदिक स्रोतों के माध्यम से मिली जानकारी से करते हैं. प्राचीन काल में अग्नि के संरक्षण में सरस्वती तट पर पूरब में सदानीरा जो अब गंडक नाम से जाना जाता है उसकी तरफ विदेह शाखा ने यात्रा की और उस क्षेत्र में विदेह शाखा द्वारा विदेह राज्य की स्थापना की गयी. विदेह के राजा का नाम मीथी था जिनके नाम पर इस क्षेत्र का नाम मिथिला पड़ा. इसकी राजधानी जनकपुर थी जो आधुनिक काल में नेपाल में अवस्थित है. जनकपुर का नाम लेते हीं माता सीता का ख्याल हम सब के मन में आता है. माता सीता का जन्म मधुबनी की सीमा पर स्थित सीतामढ़ी में हुआ था. मधुबनी जिले में हीं स्थित बेनीपट्टी के पास फुलहर है. लोगों का मानना है की रामायणकाल में यहाँ फूलों का बाग़ हुआ करता था. इसी बाग़ से फुल लेकर जनक पुत्री सीता गिरिजा देवी के मंदिर में पूजा करने जाया करती थी. ऐसा भी कहा जाता है की पांडव जब अज्ञात वाश पर निकले थे तब उन्होंने मधुबनी स्थित पंडौल में अपने कुछ समय बिताये थे. जब विदेह राज्य का अंत हो गया तब आगे चल कर इसे वैशाली के एक अंग के रूप में देखा गया. उसके बाद यह क्षेत्र महान साम्राज्य मगध के मौर्य, शुंग, कण्व और गुप्त शासकों का हिस्सा रहा. मिथिला और तिरहुत क्षेत्रों का 13वीं सदी के समय बंटवारा भी देखने को मिला. ब्रिटिश सरकार द्वारा 1846 में मधुबनी को तिरहुत के अधीन एक अनुमंडल बना दिया गया. जब दरभंगा वर्ष 1875 में एक स्वतंत्र जिला बना तब मधुबनी दरभंगा जिले का अनुमंडल बन गया. फिर भारत के स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1972 में मधुबनी अपने वर्त्तमान अस्तित्व में आया और एक स्वतंत्र जिला घोषित किया गया.

प्रतिष्ठित व्यक्ति

चलिए अब हम बात करते हैं मधुबनी जिले के प्रसिद्ध व्यक्तित्व के बारे में. आज हमारे प्रसिद्ध व्यक्तित्व की सूचि में केवल महिलाएं हीं शामिल हैं. इन सभी महिलाओं को कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.

चलिए प्रसिद्ध व्यक्तित्व की सूचि में हम सबसे पहले बात करते हैं जगदम्बा देवी की. इनका जन्म मधुबनी जिले के भोजपंडोल गाँव में वर्ष 1901 में हुआ था. मिथिला पेंटिंग में पद्म श्री प्राप्त करने वाली जगदम्बा देवी पहली महिला थी. इन्होने कलाकारी मिथिला पेंटिंग को विश्व पटल पर लोगों के सामने लेकर आई. भारत सरकार द्वारा वर्ष 1975 में इन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. पद्म श्री के अलावे भी ये कई पदकों और पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं.

चलिए अब हम बात करते हैं सीता देवी के बारे में. ये भी अपना सम्बन्ध मधुबनी जिले से हीं रखती थी. सीता देवी राष्ट्रिय और राजकीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं. जिनमे सर्वश्रेष्ट मूर्तिकार, कुशल मूर्तिकार आदि शामिल है.

तो अब जानते हैं हम गंगा देवी के बारे में. इनका सम्बन्ध भी मधुबनी जिले से हीं है और इन्हें मिथिला पेंटिंग में उनके योगदान के राष्ट्रिय पुरष्कार से सम्मानित किया जा चूका है. वर्ष 1984 में इन्हें राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री दिया गया था.

इनके अलावे मधुबनी जिले से अपना सम्बन्ध रखने वाली महासुंदरी देवी भी हैं, जो पद्म श्री से सम्मानित हो चुकी हैं. सनमिका, पलाई बोर्ड और रेशम तथा सूती कपड़े पर मिथिला पेंटिंग की कलाकारी करने को लेकर पहली कलाकार होने का श्रेय भी ले चुकी हैं.

वहीँ बौआ देवी भी मधुबनी से अपना सम्बन्ध करने वाली मिथिला पेंटिंग की एक ऐसी कलाकार हैं जिन्हें वर्ष 2017 में पद्म श्री से सम्मानित किया जा चूका है.

अब हम बात करते हैं दुलारी देवी की. दुलारी देवी जो मिथिला पेंटिंग की कलाकार हैं वे भी साल 2021 में पद्म श्री से सम्मानित हो चुकी हैं. महासुंदरी देवी एक सफाईकर्मी के तौर पर भी काम कर चुकी हैं. इसी दौरान उन्होंने कलाकारी के गुर सीखें और यहीं से उनका सफ़र शुरू हुआ.

तो चलिए अब आखिरी नंबर पर हम जानते हैं सुभद्रा देवी के बारे में जो अपना सम्बन्ध मधुबनी जिले से रखती हैं. इन्हें पेपरमशी कला के लिए इसी वर्ष सम्मानित किया गया था. सुभद्रा देवी राजकीय पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुकी हैं.

हस्तशिल्प

जब बात हम मधुबनी जिले की कर रहें हो और यहाँ के मधुबनी चित्रकारी की चर्चा हमने नहीं की तो क्या की. यहाँ के हस्तशिल्प कला के बिना मधुबनी जिला कहीं ना कहीं अधुरा हीं रह जाएगा. तो चलिए जानते हैं यहाँ के हस्तशिल्प कला के बारे में. मधुबनी चित्रकारी को हम मिथिला कला के नाम से भी जानते हैं. क्योंकि इस चित्रकारी का जन्म बिहार के मिथिला प्रदेश में हुआ था. इस चित्रकारी में आकृतियाँ चटकीले और विषम रंगों से भरी होती हैं. इसलिए यह अपने चटकीले रंगों और बड़े हीं सुन्दर तरीके से आकृतियों को पेश करने के कारण लोगों के बीच यह प्रसिद्ध हुई. पारंपरिक रूप से इस चित्रकारी को महिलाएं हीं करती आई हैं. लेकिन अब इस चित्रकारी के तरफ पुरुषों का रुझान भी बढ़ रहा है. हमे यह चित्राकारी कपड़े, कागज़ कैनवास आदि पर भी देखने को मिलते है. इस चित्रकारी को बनाने के लिए चित्रकार खनिक रंजकों का प्रयोग करते हैं. जहाँ गोबर और काजल से काले रंग को तैयार किया जाता है. पराग, निम्बू या बरगद के पत्ते के दूध से पीले रंग तैयार होते हैं. वहीँ कुसुम के फुल या लाल चन्दन के लकड़ी से लाल रंगों को तैयार किया जाता है. कठबेल के पत्तियों से हरे रंग तैयार होते हैं और चावल के चूर्ण से सफ़ेद रंग तैयार किये जाते हैं. वहीँ पलाश के फूलों से संतरी रंगों को तैयार किया जाता है. मधुबनी चित्रकारी में हमें अक्सर राजदरबारों के दृश्य, देवीदेवताओं के चित्र, सामाजिक समारोह, तुलसी के पौधे या फिर सूर्यचंद्रमा, फुलपत्तियां व पशुपक्षियों के चित्र देखने को मिलते हैं. राष्ट्रिय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध होने वाली यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है.

कैसे पहुंचे

आइये अब अपने आगे के चर्चा में हम जानते हैं इस जिले के सड़क, रेल और हवाई मार्ग के बारे में.

  • सड़क मार्ग

तो चलिए सबसे पहले जानते हैं यहाँ के सड़क मार्ग के बारे में. बता दें की इस जिले से बिहार के हर कोने में आप आसानी से जा सकते हैं. यहाँ की सड़कें बिहार के प्रमुख सड़क मार्गों से जुड़ती हैं. यदि राजधानी पटना से सड़क मार्ग के जरिये मधुबनी आना चाहे तो NH 22 और NH 27 के जरिये आ सकते हैं. इसकी दूरी 173 किलोमीटर तक में पड़ेगी. जिसे तय करने में लगभग 4 घंटे और 15 मिनट तक का समय लग सकता है. यह सड़क महत्मा गाँधी सेतु पुल होते हुए हाजीपुर, सराय, भगवानपुर, गोरौल फिर मुजफ्फरपुर से NH 27 से जाकर मिल जाती है. उसके बाद NH 27 से काकरा चाक, जारंग ईस्ट, सिमरी बसदेवपुर, सकरी ईस्ट फिर पंडौल होते हुए मधुबनी पहुँचती है.

इसके अलावे आप वाया NH 322 और स्टेट हाईवे 50 के जरिये भी जा सकते हैं. इसकी दूरी 175 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में 5 घंटे और 21 मिनट तक का समय लगता है. इस सड़क से जाने के लिए पटना से महात्मा गाँधी सेतु पुल होते हुए हाजीपुर, जन्दाहा, मुसरीघरारी, फिर समस्तीपुर, कल्यानपुर, बहादुरपुर से दरभंगा, फिर सकरी ईस्ट होते हुए पंडौल और यहाँ से आप मधुबनी पहुँच जायेंगे.

अब बात करते हैं वाया 322 की. इस सड़क से मधुबनी की दूरी 170 किलोमीटर है. इस दूरी को तय करने में 5 घंटे और 44 मिनट तक का समय लगता है. पटना से NH 22 होते हुए हाजीपुर, जन्दाहा, मुसरीघरारी होते हुए समस्तीपुरशिवाजीनगरबहेरी मार्ग होते हुए SH88 से गणेश बनौल बलनी सड़क आएगी. फिर सकरी सेबहेरा रोड और मधुबनी को फॉलो करते हुए पंडौल सकरी रोड होते हुए मधुबनी पहुँच सकते हैं.

जानकारी के लिए बता दें की यदि आप सड़क मार्ग के जरिये मधुबनी जा रहें हैं और रास्ते में आपको BR 32 नंबर वाले वाहन दिखने लगे तो समझ जाइये की आप मधुबनी जिले में प्रवेश कर चुके हैं.

  • रेल मार्ग

चलिए अब जानते हैं मधुबनी रेल मार्ग के बारे में. बिहार के अन्य कई शहरों से आप मधुबनी के लिए ट्रेन लेकर यहाँ पहुँच सकते हैं. मधुबनी का स्टेशन कोड MBI है. इसके अलावे भी यहाँ और कई स्टेशन हैं. जिनमे पंडौल जिसका स्टेशन कोड PDW है, सकरी जंक्शन जिसका स्टेशन कोड SKI आदि मौजूद है. यदि आप पटना से मधुबनी आना चाहते हैं तो पाटलिपुत्र जंक्शन से आपको सुबह 7:20 में जयनगर इंटरसिटी एक्सप्रेस मिल जाएगी. जो आपको दोपहर के समय 1 बजे तक पहुंचा देगी. इसके अलावे पटना जंक्शन से आपको कमला गंगा इंटरसिटी एक्सप्रेस भी है. जो शाम के समय पांच बज कर पांच मिनट पर है. यह ट्रेन आपको देर रात दो बजे तक मधुबनी पहुंचा देगी.

  • हवाई मार्ग

चलिए अब बात करते हैं इस जिले में हवाई अड्डे के माध्यम से कैसे पहुंचे. बता दें की इस जिले का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है. लेकिन इस जिले का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा दरभंगा हवाई अड्डा है. मधुबनी से यह मात्र 31 किलोमीटर की हीं दुरी पर स्थित है. दरभंगा से ट्रेन या सड़क मार्ग के जरिये आप मधुबनी आ सकते हैं. इसके अलावे पटना हवाई अड्डा भी है. आप देश के किसी भी प्रमुख नगर व महानगर से पटना हवाईअड्डे पर विमान के जरिये आ कर मधुबनी सड़क मार्ग या रेल मार्ग के जरिये भी आ सकते हैं. \

पर्यटन स्थल

चलिए अब हम बात करते हैं मधुबनी के पर्यटन स्थलों के बारे में.

  • सौराठ

मधुबनी के पर्यटन स्थलों के बारे में हम सबसे पहले बात करेंगे सौराठ के बारे में. यहाँ प्रसिद्ध सोमनाथ माहादेव का एक मंदिर है. यहाँ पर मैथिलि ब्राह्मणों द्वारा विवाह की बातचित के लिए वार्षिक सभा का आयोजन होता है. यह जगह मधुबनीजयनगर रोड के पास पक्ष गाँव में स्थित है.

  • कपिलेश्वर स्थान

तो अब हम बात करते हैं कपिलेश्वर स्थान के बारे में. मधुबनी जिला मुख्यालय से नौ किलोमीटर की हीं दुरी पर स्थित गाँव में शिव मंदिर है. यह जगह कपिलेश्वर स्थान के नाम से लोगों के बीच प्रचलित है. महाशिवरात्रि के दिन यहाँ भव्य मेले का आयोजन देखने को मिलता है.

  • उच्चैठ

मधुबनी में स्थित बेनीपट्टी में भगवती मंदिर है. लोगों के बीच ऐसी कथा प्रचलित है की इस स्थान पर भगवती ने प्रसिद्ध संस्कृत कवी कालिदास को आशीर्वाद दिया था.

कृषि और अर्थव्यवस्था

चलिए अब बात करते हैं यहाँ के कृषि और अर्थव्यवस्था के बारे में. यहाँ होने वाले मखाने की खेती यहाँ के अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है. यहाँ हजार से भी अधिक तालाब हैं जहाँ मखाने की खेती की जाती है. अधिक तालाब होने के कारण यहाँ मछली पालन भी आय का अच्छा श्रोत रहा है. यहाँ के मखाने का डिमांड केवल देश हीं नहीं विदेशों से भी आते हैं. इसके अलावे यहाँ मधुबनी चित्रकारी से भी अच्छी रोजगार की संभावनाएं देखने को मिल रही है. एक हस्त चित्रकारी के रूप में लोग इसे घर से भी कम पूंजी में शुरू कर के अच्छा कमाने का जरिया खोज रहें हैं. सरकार द्वारा भी हस्त उद्योग को प्रोत्साहित किया जा रहा है. मधुबनी चित्रकारी की सराहना देश हीं नहीं विदेशों में भी देखने को मिलती है.

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