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बिहार का वह जिला जो मिथिला के प्रवेश द्वार से है प्रसिद्ध

Bihari News

भूमिका

आज हम बात करेंगे बिहार के उस जिले के बारे में जो मिथिला के प्रवेश द्वार के नाम से लोगों के बीच प्रसिद्ध है. अब कोई सस्पेंस ना रखते हुए आपको बता दें की आज हम बात करने वाले बिहार के समस्तीपुर जिले के बारे में. दरभंगा से अलग होकर इस जिले की स्थापना 14 नवम्बर साल 1972 में हुई थी. इस जिले का परंपरागत नाम सरैसा था. कुछ लोगों के अनुसार इस जिले का नाम सोमवती था जो समय के साथ सोम वस्तिपुर और बाद में सम्वस्तिपुर फिर समस्तीपुर हो गया. इस जिले की क्षेत्रीय भाषा मगही और मैथली है जो स्थानीय लोगों द्वारा बोली जाती है.

  • चौहद्दी और क्षेत्रफल

यदि इस जिले के चौहद्दी की बात करें तो पश्चिम की दिशा में वैशाली और मुजफ्फरपुर, तो उत्तर की दिशा में दरभंगा, दक्षिण की दिशा में गंगा नदी, वहीँ पूर्व की दिशा में बेगुसराय और खगरिया जिले से घिरा हुआ है.इस जिले का क्षेत्रफल 2904 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. 2011 के जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल आबादी 42, 54, 782 है.यहाँ की साक्षरता दर 52.04 % है. यहाँ कुल 8 नगरपालिका, 4 अनुमंडल, 20 प्रखंड और 1260 गाँव मौजूद है.

इतिहास

चलिए अब हम बात करते हैं इस जिले के इतिहास के बारे में. राजा जनक के मिथिला प्रदेश का यह क्षेत्र एक अंग हुआ करता था. आगे चल कर विदेह राज्य का जब अंत हुआ तब यह क्षेत्र लिच्छवी गणराज्य का अंग बन गया. यह क्षेत्र मगध के मौर्य, शुंग कणव और गुप्त शासकों के साम्राज्य का अंग भी बना. हर्षवर्धन के साम्राज्य के अंतर्गत इस क्षेत्र के होने की बात ह्वेनसांग के विवरणों में देखने को मिल जायेंगे. साल 1325 से 1525 ईस्वी तक गजेटियर के अनुसार यह जिला ओनवाडा शासकों के अधीन था. उस वक्त शम्सुद्दीन इलियास द्वारा इस क्षेत्र के दक्षिणी और पश्चिमी भाग में शासन किया गया. यहाँ कला, संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने लिए ओइनवार के राजाओं को जाना जाता है. वर्ष 1865 के समय जब अंग्रेजी राज कायम हुआ उस वक्त समस्तीपुर अनुमंडल को तिरहुत मंडल के अधीन रखा गया. फिर आगे चल कर बिहार राज्य जिला पुनर्गठन आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक 14 नवम्बर 1972 के समय दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत जिला बना दिया गया.

प्रतिष्ठित व्यक्तित्व

चलिए अब आगे की चर्चा में हम बात करते हैं यहाँ के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के बारे में. तो महत्वपूर्ण व्यक्तित्व में सबसे पहले हम बात करेंगे कर्पूरी ठाकुर के बारे में. ये एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथसाथ एक शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री बनने के बाद दो बार मुख्यमंत्री भी बने. स्वतंत्रता आन्दोलन के समय इन्हें बढ़चढ़ कर भाग लेते देखा गया. भारत छोड़ो आन्दोलन के समय कई महीनों तक ये जेल में हीं रहे.

आइये अब हम जानेंगे इस जिले से अपना सम्बन्ध रखने वाले साहित्यकार विद्यापति के बारे में. ये भी अपना संबंध समस्तीपुर जिले से हीं रखते हैं. ये एक मैथिल और संस्कृत कवी, संगीतकार, लेखक, दरबारी होने के साथसाथ एक राज पुरोहित भी थे. इन्हें लोग मैथिल कवी कोकिल के नाम से भी जानते हैं. इनके विख्यात कृतियों में कीर्तिलता, कीर्तिपताका और पुरुष परीक्षा आदि शामिल है.

कैसे पहुंचे

चलिए अब हम बात करते हैं इस जिले में उपलब्ध रेल, सड़क और हवाई मार्ग के यातायात साधनों के बारे में.

  • रेल मार्ग

यातायात के साधनों में हम सबसे पहले बात करेंगे रेल मार्ग के बारे में. बता दें की इस जिले में मौजूद समस्तीपुर जंक्शन भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण जंक्शन में से एक पूर्व मध्य रेलवे का एक मंडल है. यहाँ से आपको देश के कई प्रमुख शहरों के लिए सीधी ट्रेन के सुविधा आसानी से मिल जाएँगी. यहाँ के महत्वपूर्ण जंक्शन में से एक समस्तीपुर जंक्शन है जिसका स्टेशन कोड SPJ है. इसके अलावे और भी कई स्टेशन मौजूद हैं. जिनमे कर्पूरी ग्राम जिसका स्टेशन कोड KPGM, खुदीराम बोस पूसा जिसका स्टेशन कोड KRBP, दुबहा जिसका स्टेशन कोड DUBH है, आदि मौजूद है. यदि आप राजधानी पटना से समस्तीपुर आना चाहे तो कई ट्रेने आपको आसानी से मिल जाएँगी. जिनमे दोपहर के समय 3:15 मिनट पर जयनगर इंटरसिटी एक्सप्रेस है. यह ट्रेन आपको शाम के समय 6:50 मिनट तक पहुंचा देगी. वहीँ शाम के समय 5:05 मिनट पर कमला गंगा इंटरसिटी एक्सप्रेस है. जो आपको रात के समय 11:05 पर पहुंचा देगी. इन ट्रेनों के अलावे आपको कई साप्ताहिक ट्रेने भी आसानी से मिल जाएँगी.

  • सड़क मार्ग

चलिए अब आगे के चर्चा में हम बात करते हैं इस जिले के यातायात के साधनों में सड़क मार्ग के बारे में. तो बता दें की इस जिले के सड़क मार्ग के जरिये आप बिहार के कई प्रमुख जगहों पर जा सकते हैं. यदि आप राजधानी पटना से सड़क मार्ग के जरिये आना चाहे तो वाया NH 322 के जरिये आ सकते हैं. इस सड़क की दूरी लगभग 86.9 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में आपको लगभग 3 घंटे तक का समय लग जायेगा. इस सड़क के माध्यम से जाने के लिए सबसे पहले आपको NH22 के जरिये महात्मा गाँधी सेतु होते हुए हाजीपुर जाना होगा. फिर यहाँ से NH322 के जरिये जन्दाहा और फिर मुसरीघरारी होते हुए आप समस्तीपुर पहुँच जायेंगे. पटना से समस्तीपुर जाने के लिए आपको बस या फिर निजी वाहन की सुविधा आसानी से मिल जाएँगी.

जानकारी के लिए बता दें की यदि आप सड़क मार्ग के जरिये समस्तीपुर जा रहे हैं और आपको रास्ते में BR33 नंबर के वाहन दिखने लगे तो समझ जाइये की आप समस्तीपुर की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं.

  • वायु मार्ग

चलिए अब हम जानेंगे इस जिले के वायु मार्ग के बारे में. इस जिले से 30 किलोमीटर की हीं दूरी पर स्थित दरभंगा का हवाई अड्डा है. यहाँ आप भारत के कई प्रमुख शहरों से आ सकते हैं. फिर दरभंगा से आप सड़क मार्ग या रेल मार्ग के जरिये आसानी से समस्तीपुर पहुँच जायेंगे. दरभंगा स्टेशन से कई ट्रेने या सड़क मार्ग के जरिये आपको कई निजी वाहन या फिर बस मिल जायेंगे. इसके अलावे यदि आप राजधानी पटना के हवाईअड्डा पर आते हैं तो आप सड़क या रेल मार्ग के जरिये आसानी से समस्तीपुर पहुँच सकते हैं.

पर्यटन स्थल

चलिए अब हम जानते हैं इस जिले के पर्यटन स्थलों के बारे में.

तो पर्यटन स्थलों की सूचि में हम सबसे पहले बात करेंगे कबीर मठ के बारे में. बता दें की पूरे भारत में करीब 15 कबीर मठ मौजूद है. इन 15 कबीर मठों में एक मठ समस्तीपुर के रोसड़ा में भी स्थित है. अपने भ्रमण के दौरान कबीर रोसड़ा में भी आये थे. इसी याद में उनके शिष्यों द्वारा यहाँ एक मठ की स्थापना की गयी.

इसके अलावे रोसड़ा में हीं स्थित यू.आर.कॉलेज के पास 13वी सदी के समय का एक मुस्लिम फ़क़ीर का मज़ार भी है और ठीक इसके बगल में हिन्दू शिष्य की समाधी भी बनी हुई है. यहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों हीं धर्मों के लोग बड़ी संख्या में पहुँचते हैं.

आइये अब हम जानते हैं विद्यापतिधाम के बारे में. इस जगह को बिहार के देवघर के नाम से भी लोग जानते हैं. यहाँ हर श्रावण और महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलता है. यह जगह समस्तीपुर में स्थित दलसिंह सराय से 8 किलोमीटर की हीं दूरी पर विद्यापतिनगर स्टेशन के पास स्थित है.

अब बात करते हैं मंगलगढ़ के बारे में. यहाँ से गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राएँ, मृणमूर्तियाँ और पालकालीन प्रस्तर मूर्तियाँ मिली हैं जिसे कुमार संग्रहालय हसनपुर समस्तीपुर, चंद्रधारी संग्रहालय आदि जगहों पर रखा गया है.

इसके अलावे ऐतिहासिक स्थलों में पांड बनाम पांडवगढ़, नरहन स्टेट, वारि, मोहिउद्दीनगर का किला आदि भी स्थित है.

वहीँ पिकनिक स्पॉट के लिहाज से पूसा का राजेन्द्र कृषि विश्विद्यालय भी एक बेहतर विकल्प है. समस्तीपुर से यह 20 किलोमीटर की हीं दूरी पर स्थित है. एक कृषि विश्वविद्यालय के रूप में इसकी प्रसिद्धि केवल राष्ट्रिय हीं नहीं अन्तराष्ट्रीय स्तर भी है.

धार्मिक स्थलों में छातेश्वर, खाटू श्याम मंदिर, धमौन, हजरत मजार, थानेश्वर मंदिर, खुदेश्वर मंदिर, मन्निपुर दुर्गा मंदिर, पार्वती मंदिर और जागेश्वर धाम आदि भी इस जिले में आपको देखने को मिल जायेंगे.

कृषि और अर्थव्यवस्था

चलिए अब हम जानते हैं इस जिले के कृषि और अर्थव्यवस्था के बारे में. इस जिले में मौजूद उपजाऊ जमीन होने के कारण यह जिला कृषि में समृद्ध है. यहाँ के प्रमुख फसलों में तम्बाकू, मक्का, चावल और गेंहू आदि है. जो की अर्थव्यवस्था में अपनी अहम् भूमिका अदा करता है. यहाँ आपको आम और लीची के बगान भी देखने को मिल जायेंगे. यहाँ मुक्तापुर गाँव में एक जुट मिल भी स्थापित है. इस जुट मिल से लगभग 5000 लोगों को रोजगार मिलता है. यहाँ कई चीनी की मिलें भी आपको देखने को मिल जाएँगी.

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