शेन वॉटसन एक ऐसा क्रिकेटर जिसने ऑस्ट्रेलिया को कभी झुकने नहीं दिया…
ऑस्ट्रेलिया का इयान बॉथम कहलाने वाला खिलाड़ी शेन वॉटसन कैसे बना बेखौफ ऑलराउंडर
छोटे से दर्द को बर्दास्त ना करने वाले शेन वॉटसन ने जब आईपीएल में खून से लतपथ पारी खेली थी
शेन वाटसन जिसके साथी खिलाड़ी फट्टू कहते थे लेकिन उसके खेल ने बेखौफ बनाया
जब स्टीव वा ने शेन वाटसन को गिरगिट खिलाड़ी का दर्जा दिया
क्रिकेट … दुनिया का एक मात्र ऐसा खेल जो मैदान से ज्यादा दिमाग में खेली जाती है। जहां एक खिलाड़ी 10 प्रतिशत गेम मैदान पर खेलता है तो 90 प्रतिशत क्रिकेट वह अपने दिमाग में खेलता है। क्रिकेट ही ऐसा खेल है जो मानसिक और शारीरिक मजबूती मांगता है। अगर सीधे सीधे कहें तो क्रिकेट किसी कमजोर दिल वाले खिलाड़ियों का खेल नहीं है। लेकिन क्रिकेट के इतिहास में आपको कई ऐसे खिलाड़ी मिल जायेंगे जिनके शरीर ने साथ दिया लेकिन वे मानसिक तौर पर कमजोर हो गए। तो वहीं ऐसे भी खिलाड़ियों की लिस्ट है जो इसके उलट देखे गए है।
दोस्तों, क्रिकेट के मैदान पर जिसने शारीरिक और मानसिक मजबूती से गेम खेला है उसने क्रिकेट के इतिहास में झंडे गाड़े है। उन्हीं में से एक खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का पूर्व और बेखौफ बल्लेबाज है। जिसको 19 साल की उम्र साल की उम्र खेल की हर सुख सुविधा का लाभ मिला। तब उसने देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखा। फिर इंटरनेशनल क्रिकेट की भट्टी में इतना तपा कि अपने शरीर के छोटे छोटे दर्द को भूलकर एक निडर, आक्रामक और बेखौफ बल्लेबाज बन गया…
और आज हम अपने इस लेख में बात करने वाले है, क्रिकेट के हर फॉर्मेट में अपना सिक्का जमाने वाली टीम ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ऑलराउंडर शेन वाटसन की……जिसे अपने करियर की शुरुआत में भूतों से डर लगता था। जो पेट दर्द को हार्ट अटैक समझ लेता था। लेकिन वही शेन वाटसन अपने खेल में इतना परिपक्व और मजबूत हो गया था कि उसने आईपीएल के फाइनल में खून से लतपत होने के बाउजूद शतक ठोक कर फाइनल जीता दिया था।
शेन वॉटसन का जन्म जून 1981 को इप्सविच, क्वींसलैंडमें हुआ। इनका पूरा नाम शेन रॉबर्ट वाटसन है। वाटसन एक क्रिश्चियन परिवार से ताल्लुक रखते है। शेन वॉटसन के पिता बॉब और मां बॉर्ब वाटसन के पूरे सपोर्ट से वाटसन ने बचपन से ही क्रिकेटर बनने का विजन दे दिया था। वाटसन ने अपनी स्कूली शिक्षा इप्सविच क्वींसलैंड के एक स्कूल से पूरी की। वाटसन जब 8 साल के थे तो वो अपने पिता बॉब के साथ घर के पीछे बने यार्ड में क्रिकेट प्रैक्टिस करते थे। वाटसन अपने स्कूल के दिनों से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। अपनी कड़ी मेहनत और खेल की परिपक्वता का शानदार परिचय उन्होंने स्कूली क्रिकेट में ही दे दिया था। इसका नतीजा यह रहा कि साल 2000 में शेन वाटसन A I S के द्वारा स्पॉन्सर क्रिकेट एकेडमी स्कॉलरशिप हासिल करने वाले चुनिंदा खिलाड़ियों लिस्ट में शामिल हो गए। इस दौरान शेन वाटसन ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए अंडर 19 क्रिकेट भी खेली। उस अंडर 19 क्रिकेट शॉन मार्श, एड कोवेन, माइकल क्लार्क , मिचेल जानसन जैसे दिग्गज नाम थे। लेकिन पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ शेन वाटसन का ही जलवा रहा। वाटसन ने 6 मैचों मे 65 की औसत से 266 रन बनाए थे। वाटसन के लिए ये रन महज एक रिकॉर्ड था लेकिन उनके इस खेल ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और टीम सेलेक्टर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर दिया था।
यही वजह थी कि दाएं हाथ का हरफनमौला ये बल्लेबाज क्वींसलैंड से ताल्लुक रखने के बाउजूद इसे 2001 में तस्मानिया की तरफ से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने को मिला। तस्मानिया वो शहर जहां से ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट का सबसे सफल खिलाड़ी और कप्तान रिकी पोंटिंग का ताल्लुक है। महज 19 साल की उम्र में वाटसन ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू कर लिया। 6 फुट लंबे शेन वाटसन के साथ सबकुछ अच्छा हो रहा था। लेकिन वो अपनी आंखो में देश लिए टेस्ट खेलना का सपना संजो रहे थे। वाटसन अपनी काबिलियत को पहचानते थे। उस समय वाटसन की खूबी मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी कर टीम को मुसीबत से बाहर निकालने का माद्दा था। और अपनी सटीक लाइन लेंथ से गेंदबाजी कर अपने शानदार खेल से परिचय करा चुके थे। वाटसन ने करीब डेढ़ साल घरेलू क्रिकेट में शानदार खेल का प्रदर्शन किया। आंखो में देश के लिए खेलने का सपना संजोए वाटसन को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। 24 मार्च 2002 वाटसन के लिए वो इतिहासिक तारीख बनी जब उन्हें समूचे ऑस्ट्रेलिया ने पीली जर्सी पर क्रिकेट खेलते देखा था। इसी दिन वाटसन ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 148 नंबर की वनडे कैप पहनी और अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला।
प्रतिभाशाली खिलाड़ी शेन वाटसन का अंतर्राष्ट्रीय आगाज कुछ खास कमाल का नहीं था। उनके आंकड़े इस बात की गवाही देते है कि उन्होंने 2002 से 2003 तक 23 मैच खेले और सिर्फ 266 रन बनाए। इस बीच वाटसन महज 18 विकेट ही ले पाए थे। इसके बावजूद उन्हें साल 2003 में साउथ अफ्रीका में ही होने वाले विश्व कप के लिए चुन लिया गया। उनके टीम में होने से हर कोई हैरान था। सिर्फ स्टीव वा को छोड़कर। उन्होंने एक बार कहा था। कि वाटसन ऐसे खिलाड़ी है जो टीम में किसी भी पोजिशन पर बैटिंग कर सकते है। वो अपने खेल को कब गिरगिट की तरह बदल लें कोई नही जानता।
कहते है आपके जीवन में अगर सबकुछ अच्छा होता चला जाए तो ज्यादा खुश मत होइए। क्योंकि किस्मत के अगले पन्ने में कौन सा दुख मुसीबत लेकर आयेगा कोई नहीं जानता। कुछ ऐसा ही शेन वाटसन के साथ भी हुआ। विश्व कप टीम में शामिल वाटसन के पीठ में खिंचाव आ गया। जिसकी वजह से वह विश्व कप से तो बाहर हुए ही साथ ही कई महीनो तक क्रिकेट से दूर रहे। उनकी जगह एंड्यू सायमंड को मौका दिया गया। सायमंड ने शानदार खेल दिखाया। इस बीच वाटसन फिट तो हो गए लेकिन टीम में जगह बनाने के लिए इंतजार करना पड़ा। 2 जनवरी2005 एक बार वाटसन के लिए खुशियों भरा साल रहा। उन्हे इसी दिन पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने का मौका मिला। वाटसन ऑस्ट्रेलिया की तरफ से टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले 391 वें खिलाड़ी बन गए। अपने दूसरे टेस्ट में वाटसन फिर चोटिल हो गए और सीरीज से बाहर चले गए। उनकी जगह फिर एंड्रयू साइमंड्स आए। वाटसन को लगा अब उनका करियर चोट की भेंट चढ़ जाएगा। लेकिन कप्तान रिकी पोंटिंग ने भरोसा जताया और चैंपियन ट्रॉफी में शामिल कर लिया।
साल 2006 चैंपियन ट्रॉफी वाटसन के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ उन्हे गिलिक्रिस्ट के साथ ओपनिंग करने का मौका मिला। वाटसन ने इस मौके को खूब भुनाया। 2006 में ऑस्ट्रेलिया चैंपियन ट्रॉफी जीता तो वाटसन का योगदान सबसे अहम था। वाटसन की किस्मत चमकाने लगी थी। साल 2007 वेस्टइंडीज विश्व कप और 2009 चैंपियन ट्रॉफी में खूब चमके। वाटसन अब स्टार से सुपरस्टार बनने वाले थे। इसकी शुरुआत उन्होंने आईपीएल से की। आईपीएल के पहले सीजन में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हुए उन्होंने मैन ऑफ द सीरीज जीती थी। इसके बाद वाटसन एक अलग दर्जे के खिलाड़ी बनकर उभरे। हेडन, गिलक्रिस्ट के बाद ऑस्ट्रेलिया को एक और धमाकेदार बेखौफ ओपनर मिल गया। इसके बाद दुनिया ने नए वाटसन को देखा। 2011 में बांग्लादेश के खिलाफ खेली गई 150 रनों की पारी ने वाटसन के हौंसले को और बुलंद कर दिया। क्योंकि इस पारी में 15 चौके और 15 छक्के शामिल थे। साल 2015 के विश्व कप में वाटसन ने विरोधी गेंदबाजों की जमकर खबर की। और खूब पिटाई की। ऑस्ट्रेलिया यह विश्व कप जीत गया। वाटसन के लिए पीली जर्सी कितनी लकी रही इसका दूसरा सुबूत आईपीएल में मिला। जब 2018 में चेन्नई सुपर किंग्स से खेलते हुए वाटसन ने फाइनल में 117 रन बनाकर शतक ठोक डाला। इस शतक की चर्चा आज भी इसलिए होती है क्योंकि वाटसन का घुटना खून से लतपत था। उनकी इस पारी ने चेन्नई को एक और खिताब दिला दिया। वाटसन ने अपने क्रिकेट करियर में 17 टेस्ट , 96 वनडे, और 145 आईपीएल मैच खेलने वाले शेन वाटसन ने लगभग 8 हजार रन बनाए है।
दोस्तों, आपको शेन वाटसन की बायोग्राफी और उनके संघर्ष की दास्तां कैसी लगी आप हमें अपनी राय कमेंट करके बता सकते हैं .