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डिप्रेशन और रिजेक्शन से निकलकर जो बना भारत का स्टार बल्लेबाज !

Bihari News

मुंबई की धरती ने भारतीय क्रिकेट को एक से बढ़कर एक खिलाड़ी दिए हैं, खासकर बल्लेबाजों की बात हो तो. फिर चाहे वो सुनील गावस्कर हो या फिर गुंडप्पा विश्वनाथ या फिर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर या फिर रोहित शर्मा. दोस्तों, आप देख रहे हैं चक दे क्रिकेट की खास पेशकश चक दे क्लिक्स और आज के अंक में बात होगी मुंबई से निकले एक सुपरस्टार खिलाड़ी की, जिसे लोग दूसरा सहवाग कहा करते थे लेकिन समय के साथ साबित हो गया कि यह खिलाड़ी और यह बल्लेबाज नायाब है.

आज के अंक में बात होगी श्रेयस अय्यर के बारे में. आज हम श्रेयस अय्यर के जीवन और क्रिकेट करियर से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी और अनकही बातों को जानेंगे.

6 दिसंबर, 1994 को मुंबई शहर में पिता संतोष अय्यर और मां रोहिणी अय्यर के घर बेटे श्रेयस अय्यर का जन्म हुआ था. आपको बता दें कि श्रेयस के पिता संतोष अय्यर भी एक क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन घर की जिम्मेदारियों के चलते उन्होंने अपनी राह बदल ली. वो अपने क्रिकेटर बनने के सपने को कॉलेज तक ही ले जा पाए थे.

श्रेयस अय्यर की उम्र तब सिर्फ 4 साल की रही होगी, जब उन्होंने पहली बार बल्ला थामा था और तभी मां बाप समझ गए थे कि श्रेयस क्रिकेट के खेल में कुछ बड़ा करेंगे. असल में श्रेयस अय्यर एक फुटबॉलर बनना चाहते थे लेकिन जब उनको अपने पिता के मन की बात मालूम हुई तब उन्होंने मन ही मन तय कर लिया था कि वो अपने पिता के सपने को साकार करेंगे. और यहीं से श्रेयस अय्यर का मन क्रिकेट के तरफ झुक गया. श्रेयस अय्यर पढ़ाई लिखाई में भी बहुत अच्छे थे और पढ़ाई के बाद वो अपना पूरा समय क्रिकेट को समर्पित करने लगे.

सही मायने में देखा जाए तो श्रेयस अय्यर ने सबसे पहले गली क्रिकेट से अपने क्रिकेट जीवन की शुरुआत की थी. गली क्रिकेट में श्रेयस अपने से बड़े लड़कों के खिलाफ भी आक्रामक अंदाज में बैटिंग करते थे. अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से वो देखने वालों को सहवाग की याद दिला देते थे इसलिए गली क्रिकेट में लोग श्रेयस को मुंबई का सहवाग बुलाने लगे थे.
पिता संतोष अय्यर अपने बेटे को एक प्रोफेशनल क्रिकेटर बनाना चाहते थे इसलिए वो अपने बेटे को क्रिकेट का मक्का शिवाजी पार्क जिमखाना ले गए लेकिन उम्र में छोटे होने के कारण श्रेयस अय्यर का सेलेक्शन नहीं हो पाया. वहां पद्माकर शिवालकर ने संतोष अय्यर से अपने बेटे को अगले साल फिर से लाने के लिए कह दिया लेकिन संतोष अय्यर अब एक भी दिन का इंतजार नहीं करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने अपने बेटे का दाखिला वर्दी स्पोर्ट्स क्लब में करवा दिया. यहां तक कि संतोष अय्यर ने बेटे का स्कूल भी बदलने का फैसला कर लिया था ताकि स्कूल में भी उनके बेटे को क्रिकेट का अच्छा माहौल मिले. और इसलिए पिता संतोष अय्यर ने श्रेयस को डॉन बोस्को स्कूल भेजना शुरु कर दिया.
एक साल बाद श्रेयस के पिता उनको शिवाजी पार्क जिमखाना लेकर गए और इस बार वहां प्रवीण आमरे भी मौजूद थे, प्रवीण ने श्रेयस को देखते ही उनके हुनर को पहचान लिया था और इस बार श्रेयस का दाखिला जिमखाना में हो गया.

शिवाजी पार्क में श्रेयस ने बल्ले से गजब की प्रतिभा दिखाई और उनको जल्द ही जिमखाना को रिप्रजेंट करने का भी मौका मिलने लगा. श्रेयस ने अपनी जबरदस्त बल्लेबाजी से सबको अपना मुरीद बना दिया था और यही कारण था कि उनको जिमखाना की अंडर-13 टीम में शामिल कर लिया गया था. ये क्रिकेटर बनने की तरफ श्रेयस का पहला कदम था और परिवारवालों को भी यकीन हो गया कि श्रेयस सही राह पर चल रहा है.

अंडर-13 के बाद अंडर-14 में भी श्रेयस अय्यर ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन अंडर-16 तक पहुँचते-पहुँचते श्रेयस के बल्ले की धार कम होने लगी थी, उनके बल्ले से रन निकलने बंद हो गए थे. अंडर-16 के अगले दो साल श्रेयस अय्यर की अबतक की जिंदगी का सबसे खराब समय था, जहां उन्हें पहली बार लगातार रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा था. उस वक्त श्रेयस अय्यर के दिमाग में गलत ख्याल आने लगे थे. ये वो दौर था जब श्रेयस अय्यर डिप्रेशन में चले गए थे. लेकिन तब पिता संतोष अय्यर ने उनको संभाला और बेटे श्रेयस का भरपूर साथ दिया. अपने बेटे के सबसे खराब दौर में पिता ने उनकी मदद की और उन्हें स्पोर्ट्स साइकोलोजिस्ट के पास ले गए.

स्पोर्ट्स साइकोलोजिस्ट ने श्रेयस की मदद की और आगे मुंबई अंडर-19 के कोच और सेलेक्टर्स ने भी श्रेयस के फॉर्म से ज्यादा उनकी क्लास को तरजीह देते हुए उन्हें मुंबई अंडर-19 टीम का कप्तान बना दिया. यहां श्रेयस ने बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखाया और तब उनको भारत की अंडर-19 टीम में भी शामिल किया गया. श्रेयस ने भारत की तरफ से खेलते हुए 3 मैचों में 2 अर्धशतकीय पारी खेल डाली और कुल 161 रन बनाए.

श्रेयस की बल्लेबाजी से प्रभावित होकर चयनकर्ताओं ने उनका सेलेक्शन यूके जाने वाली ए डिवीज़न टीम में कर लिया. यहां ट्रेंटब्रिज की टीम के लिए खेलते हुए श्रेयस अय्यर ने 99 की औसत से 297 रन बनाए, जिसमें एक 171 रनों की पारी भी शामिल थी.
यहां से ये बात तय हो गई कि श्रेयस अय्यर क्रिकेट में दूर तक जाएंगे. अब लगने लगा था कि श्रेयस की जिंदगी बदलने वाली है और हुआ भी ऐसा ही. श्रेयस को 2014-15 सीजन में मुंबई की तरफ से खेलने के लिए चुन लिया गया, और पहले ही सीजन में श्रेयस ने अपनी बल्लेबाजी से सबको चौंका दिया था. लगातार 2 मैचों में हारने के बाद मुंबई की हालत तीसरे मुकाबले में भी खराब थी, तब श्रेयस अय्यर ने 75 रनों की शानदार पारी खेलकर टीम को संकट से उबारा था.
साल 2014 श्रेयस अय्यर के लिए काफी अच्छा साबित हुआ था, इसी साल श्रेयस ने अपना लिस्ट-ए डेब्यू भी किया था. विजय हजारे ट्रॉफी में अय्यर ने 273 रन बनाए जबकि रणजी ट्रॉफी में उनके बल्ले से 809 रन निकले थे. उस रणजी सीजन में अय्यर ने 2 शतक और 6 अर्धशतकीय पारियां खेली थी.

श्रेयस का यह प्रदर्शन अगले रणजी सीजन में भी जारी रहा, इस सीजन श्रेयस अय्यर ने 73 की औसत से 1321 रन बनाए थे. श्रेयस को बेहतरीन प्रदर्शन का इनाम भी मिला और उस साल वो आईपीएल ऑक्शन में सबसे बड़े अनकैप्ड प्लेयर बनकर निकले. दिल्ली की टीम ने उनको 2.6 करोड़ रूपए में खरीदकर अपने साथ जोड़ा था.

अपना पहला आईपीएल सीजन के 14 मैचों में 439 रन बनाने वाले श्रेयस अय्यर emerging player of the season चुने गए थे. इसके बाद समूचा देश श्रेयस अय्यर को जानने लगा था. 2017 के मार्च महीने में श्रेयस अय्यर को भारत की टेस्ट टीम में substitute player के तौर पर शामिल किया गया था. चौथे टेस्ट में अय्यर को मैदान पर उतरने का मौका मिला था, जहां उन्होंने एक रन आउट किया था.

फिर इसी साल अक्टूबर के महीने में अय्यर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना टी20 अंतराष्ट्रीय डेब्यू किया था, जहां 1 नवंबर, 2017 को यह खिलाड़ी पहली बार भारत की नीली जर्सी में मैदान पर उतरा था. लेकिन इस मैच में श्रेयस को बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिल पाया था. अगले महीने श्रीलंका के विरुद्ध श्रेयस अय्यर ने धर्मशाला में अपना वनडे अंतराष्ट्रीय डेब्यू भी कर लिया था. अपने वनडे डेब्यू पर श्रेयस अय्यर सिर्फ 9 रन बनाकर बोल्ड हो गए थे. उस मैच में पूरी टीम ने निराशाजनक प्रदर्शन किया था, जिसमें श्रीलंका ने भारतीय टीम को 176 गेंद रहते 7 विकेट से हरा दिया था. अगले मैच में अय्यर ने जबरदस्त वापसी की और 70 गेंदों में 88 रनों की पारी खेली थी. इसके बाद श्रेयस अय्यर टीम से अंदर-बाहर होते रहे लेकिन तब आया साल 2019, जो अय्यर के अंतराष्ट्रीय करियर के सबसे अच्छे सालों में से एक साबित हुआ. इस साल श्रेयस अय्यर ने 5 पारियों में कुल 266 रन बनाए थे. 18 दिसंबर, 2019 को वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज के दूसरे मैच में श्रेयस अय्यर ने रोस्टन चेज के एक ओवर में 28 रन लूटे थे. इस ओवर में कुल 31 रन आए थे, जो किसी भारतीय द्वारा वनडे क्रिकेट में एक ओवर में बनाए सबसे ज्यादा रन हैं.

अगला साल श्रेयस के लिए और भी शानदार रहा, 24 जनवरी, 2020 को अय्यर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ एक टी20 मैच में 29 गेंदों पर 58 रन बना डाले थे, जिसके चलते उनको ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया था. फिर अगले महीने यानी फरवरी में अय्यर ने न्यूजीलैंड के विरुद्ध ही अपना पहला वनडे अंतराष्ट्रीय शतक ठोक दिया. अय्यर के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए अगले साल यानी 2021 टी20 वर्ल्ड कप में उनको रिज़र्व खिलाड़ी के तौर पर चुना गया था. टी20 वर्ल्ड कप 2021 के ठीक बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेली गई थी, जिसमें अय्यर को महान सुनील गावस्कर के हाथों अपनी टेस्ट कैप मिली. अपने डेब्यू टेस्ट में ही अय्यर ने शतक ठोककर इतिहास रच दिया. डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने वाले वो 16वें भारतीय खिलाड़ी बने.

अगले साल श्रीलंका के विरुद्ध टी20 सीरीज में जब अय्यर को मौका मिला तो उन्होंने 3 मैचों में कुल 205 रन बना डाले. यह किसी भारतीय द्वारा तीन मैचों की टी20 सीरीज में बनाए गए सबसे ज्यादा रनों का रिकॉर्ड है. श्रेयस अय्यर इस वक्त भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक हैं. रोहित और विराट का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट अब लगभग अपने अंतिम पड़ाव पर ही है, ऐसे में श्रेयस अय्यर ही उनकी विरासत को आगे बढाएँगे.

श्रेयस अय्यर के इंटरनेशनल करियर पर नजर डालें तो उन्होंने अब तक भारत के लिए 5 टेस्ट, 38 वनडे और 49 टी20 मुकाबले खेले हैं, जिसमें उनके बल्ले से 422 टेस्ट रन, 1534 वनडे रन और 1043 टी20 आई रन निकले हैं. टेस्ट क्रिकेट में श्रेयस ने 1 शतक और 3 अर्धशतक जड़े हैं जबकि वनडे में उन्होंने 2 शतक और 14 अर्धशतक लगाए हैं. श्रेयस अय्यर के नाम 7 टी20 आई अर्धशतक भी दर्ज हैं.

अब श्रेयस अय्यर द्वारा हासिल किए गए कुछ उपलब्धियों का जिक्र करना जरुरी हो जाता है –

– 2018 के विजय हजारे ट्रॉफी में श्रेयस अय्यर को मुंबई की टीम का उपकप्तान बनाया गया था, जिसके बाद उसी साल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टूर्नामेंट में खेलते हुए अय्यर ने 147 रन बनाकर भारतीय टी20 क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर बनाने का रिकॉर्ड बनाया था.

– आईपीएल 2018 में श्रेयस अय्यर को दिल्ली की टीम ने अपना कप्तान बनाया था और अपनी कप्तानी में श्रेयस अय्यर ने दिल्ली को 6 साल बाद पहली बार प्लेऑफस में पहुंचाया था और फिर दिल्ली ने यहां से फाइनल तक का भी सफर तय किया था.

– बतौर कप्तान श्रेयस अय्यर के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए आईपीएल 2022 ऑक्शन में उनको कोलकाता नाइट राइडर्स ने 12.5 करोड़ रूपए में खरीदकर अपनी टीम में शामिल किया था, और अपना कप्तान नियुक्त किया था.

स्टार बल्लेबाज श्रेयस अय्यर वर्तमान में भारत की वनडे टीम के प्रमुख सदस्य हैं और आगामी वर्ल्ड कप में जलवा बिखेरेंगे. आपको क्या लगता है दोस्तों ? क्या 2023 वर्ल्ड कप के लिए श्रेयस अय्यर को भारतीय टीम में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं ? कमेंट में हमें जरुर बताएं.

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