वो बेईमान अंपायर जिसके चलते ICC को लाना पड़ा DRS

लगतार 5 वर्ल्ड कप फाइनल में अंपायरिंग करने वाला शक्श

मैथमेटिक्स के टीचर से बने फुटबॉल के गोलकीपर और फिर रेफरी बाद में बन गए क्रिकेट जगत के सबसे बड़े अंपायर

सर्वाधिक टेस्ट मैचों में अंपायरिंग का बनाया रिकॉर्ड लेकिन कहलाए बेईमान अंपायर

अंपायर जो बना क्रिकेट के भगवान का दुश्मन, जिससे हर भारतीय करते हैं नफरत

दोस्तों, क्रिकेट के मैदान पर लिए गए निर्णय बड़े मायने रखते हैं और खासकर वो निर्णय जो अंपायर लेते हैं. मैदान पर 2 अंपायर होते हैं और एक थर्ड अंपायर होता है, जो मैदान के बाहर से सबकुछ देख रहा होता है. असल में उसका काम मैदान पर खड़े दोनों अम्पायरों को सहायता करना होता है. लेकिन अंतिम निर्णय मैदानी अंपायर का ही होता है. मैदान पर बढ़ते गलत फैसलों के चलते खेल में बदलाव हुए और अब DRS का उपयोग होता है. DRS का मतलब होता है Decision Review System जिसका इस्तेमाल कर टीम के कप्तान या बल्लेबाज मैदानी अंपायरों के विरुद्ध करते हैं. अगर कप्तान या फिर बल्लेबाज को लगता है कि मैदानी अंपायर ने गलत निर्णय दिया है तो वो DRS की मांग करते हैं और फिर सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. लेकिन आज से 10 साल पहले ऐसा नहीं होता था, मैदानी अंपायर का निर्णय अंतिम निर्णय होता था और कोई भी उसपर विरोध या उंगली नहीं उठा सकता था. इसलिए तब अम्पायरों को सटीक फैसले देने होते थे क्योंकि उनके फैसले पर सबकुछ टिका होता था. अंपायर के एक फैसले से मैच का परिणाम बदल जाता था लेकिन खुशकिस्मती से अब ऐसा नहीं है.

 आज हम बात करेंगे क्रिकेट जगत के एक ऐसे अंपायर की, जिसके गलत निर्णयों की वजह से कई खिलाड़ियों का भाग्य उनकी भाग्य रेखाओं से मिट गया. जी हां, दोस्तों आज हम अंतराष्ट्रीय क्रिकेट जगत के उस अंपायर की बात करने जा रहे हैं जिसे विश्व के सबसे बेईमान अंपायर की संज्ञा मिली है. यह अंपायर अपने अजीबोगरीब निर्णयों या यूं कहें अपने गलत निर्णयों की वजह से मशहूर है. हम बात कर रहे हैं स्टीव बकनर की. यूं तो ये नाम सुनते ही भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के सामने बेईमानी की जीती जागती तस्वीर सामने आ जाती है लेकिन स्टीव बकनर की अंपायरिंग से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व क्रिकेट को भारी कीमत चुकानी पड़ी और शायद इसी वजह से इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी ICC ने 24 नवंबर 2009 को Decision Review System(DRS) को लाना पड़ा.

हमलोग ये सोचते रह जाते थे कि आखिर कोई अंपायर इतना गलत निर्णय कैसे दे सकता है और तो और इतने सारे गलत निर्णयों के बावजूद इसे अंपायरिंग क्यों करने दिया जा रहा है आख़िर इन्हें अंपायरिंग से हटाया क्यों नहीं जा रहा है. खैर आज के विडियो में यही जानने की कोशिश करेंगे. आज हम स्टीव बकनर के जीवन से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

दोस्तों, स्टीव बकनर का जन्म 31 मई, 1946 को मोंटेगो बे जमैका में हुआ था. बचपन में बकनर फुटबॉल में खासी दिलचस्पी रखते थे, 1960 में खेले गए जमैकन पैरिश लीग में बकनर बतौर गोलकीपर खेले थे फिर 1964 में ब्राज़ील के खिलाफ जमैका के लिए खेलते हुए उन्होंने एक गोल दागा था और उनकी गोल की वजह से मैच ड्रा हुआ था. 1988 में फुटबॉल वर्ल्ड कप में खेले गए El Salvador और Netherlands Antillies के बीच क्वालीफ़ायर मुकाबले में मैच रेफरी बने थे. इसके अलावा बकनर हाई स्कूल में मैथमेटिक्स के टीचर भी थे. लेकिन फुटबॉल में वो अपना करियर नहीं बना पाए और यही वजह रही कि बकनर ने क्रिकेट अंपायरिंग की राहों को चुन लिया. यानी क्रिकेट के अंपायर बनने से पहले बकनर एक टीचर और फुटबॉल प्लेयर और रेफरी रह चुके थे.

18 मार्च, 1989 वो दिन था, जब स्टीव बकनर ने पहली बार किसी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में अंपायरिंग की थी. वो एक वनडे मैच था, एंटीगुआ में भारत और वेस्टइंडीज के बीच. उनका पहला टेस्ट इंटरनेशनल मैच था सबीना पार्क, किंग्स्टन, जमैका में जो कि 28 अप्रैल से 3 मई, 1989 के बीच वेस्टइंडीज और भारत के बीच खेला गया था. कुछ इंटरनेशनल मुकाबलों में अंपायरिंग करने के बाद बकनर को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले 1992 वर्ल्ड कप के लिए अंपायरिंग करने के लिए चुन लिया गया था. यही नहीं ज्यादा अनुभव ना होने के बावजूद बकनर ने फाइनल मुकाबले में अंपायरिंग की थी. इसके बाद वो अगले 4 वर्ल्ड कप फाइनल – 1996, 1999, 2003 और 2007 में भी खड़े रहे.

1994 में ICC ने एक नीति पेश की थी, जिसके तहत प्रत्येक टेस्ट मैच में दोनों अंपायरों में से एक अंपायर को अंतर्राष्ट्रीय पैनल से चुना जाएगा जो खेल रहे दोनों प्रतिस्पर्धी देशों से स्वतंत्र होंगे. यानी वो उन दोनों देशों में किसी के भी रहने वाले नहीं होंगे. 2002 में जब तक ICC ने फिर से अंपायरों पर अपनी नीति नहीं बदली, तब तक बकनर इस पैनल के सदस्य थे. तब से टेस्ट मैचों में दोनों अंपायर, और ODI में अंपायरों में से एक प्रतिस्पर्धी देशों से स्वतंत्र रहे. अधिकारियों को अब ICC अंपायरों के एलीट पैनल से चुना जाने लगा, जिन्हें ICC दुनिया का सर्वश्रेष्ठ अंपायर मानती थी. अपने रिटायरमेंट तक बकनर उस एलिट पैनल का हिस्सा रहे थे.

स्टीव बकनर ने अपने करियर में 128 टेस्ट मैच और 181 वनडे मैचों में अंपायरिंग की लेकिन इसके बावजूद अपने अंपायरिंग करियर में गलत निर्णयों और अपने बेईमानी वाले रवैये के चलते सुर्खियों में रहे.

अब हम आपके सामने स्टीव बकनर के कुछ ऐसे गलत अंपायरिंग निर्णयों को रखेंगे जिनके कारण उस दौर में बकनर की अंपायरिंग पर खुलकर विरोध हुए थे. पहले नंबर पर आता है साल 2003 में सचिन तेंदुलकर को ब्रिसबेन में दिया गया गलत LBW आउट. दरअसल, उस मैच में ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज जेसन गिलस्पी गेंदबाजी कर रहे थे, और उनकी अधिक बाउंस वाली गेंद को छोड़ते हुए सचिन ने अपना बल्ला पीछे किया और गेंद पैड के काफी ऊपर लगते हुए कीपर के पास गई ,ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा अपील की गई और स्टीव बकनर ने तुरंत सचिन को आउट दे दिया. इस दृश्य को देखकर सचिन भौचक्के रह गए थे लेकिन वो बिना कुछ बोले पवेलियन लौट गए.

स्टीव बकनर के घटिया अंपायरिंग का दूसरा मामला आता है साल 2000 के इंग्लैंड बनाम पाकिस्तान फैसलाबाद टेस्ट मैच के दौरान जहां पर बकनर ने पाकिस्तान के सकलेन मुश्ताक की गेंद पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासीर हुसैन को गलत LBW आउट दे दिया था. तब बॉल हुसैन के बल्ले में लगने के बाद पैड पर लगी थी. नासीर हुसैन इस निर्णय से इतने आश्चर्यचकित थे कि वो कुछ समय के लिए क्रीज पर खड़े रह गए, वो ये समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें आउट किस बात पर दिया गया है. स्टीव बकनर का अगला गलत निर्णय साल 2008 में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया एडिलेड टेस्ट मैच के दौरान आया जब बकनर ने राहुल द्रविड़ को Caught Behind आउट करार दे दिया था, जबकि बॉल तो द्रविड़ के बैट के आसपास भी नहीं थी. बकनर का एक और गलत निर्णय आया साल 2007-08 बॉर्डरगावस्कर ट्रॉफी में, जिसमें खिलाड़ियों के आपसी समझ के अभाव में मंकी गेट जैसे बड़े विवाद ने जन्म लिया था. दरअसल उस मैच में ईशांत शर्मा की गेंद पर एंड्रयू सायमंड्स का मोटा एज लगा और एमएस धोनी ने कैच करते हुए आउट की अपील की लेकिन इतने मोटे एज लगने के बाद भी बकनर पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने सायमंड्स को नॉटआउट दे दिया. बाद में रिप्ले में अल्ट्रा एज में देखा गया कि बल्ले का एक मोटा बाहरी किनारा बॉल को लगा था. इस सूचि में बकनर एक और बेईमानी भरा निर्णय जुड़ता है साल 2005 में भारत बनाम पाकिस्तान कोलकाता टेस्ट मैच का, जब अब्दुल रज्जाक की गेंद पर बकनर ने सचिन तेंदुलकर को Caught Behind दे दिया था. सचिन के साथसाथ विकेटकीपर कामरान अकमल को भी पता था कि बॉल बैट के काफी दूर से निकली है, यही कारण था कि अकमल ने अपील भी नहीं की थी लेकिन बकनर तो भई बकनर थे, बिना अपील के ही उन्होंने सचिन को आउट दे दिया.

इसके अलावा भी कई उदाहरण हैं, जिससे बकनर को एक पक्षपाती और बेईमान अंपायर की ख्याति प्राप्त है.

मई 2006 में, बकनर ने टीवी कंपनियों पर आरोप लगाया कि वे अंपायरों को खराब दिखाने और प्रमुख खिलाड़ियों को अच्छा दिखाने के लिए उनकी छवियों से छेड़छाड़ कर रहे हैं. वह उन पांच अधिकारियों में से एक थे, जो 2007 के विश्व कप फाइनल में गलत निर्णय के लिए जिम्मेदार थे, जिसके परिणामस्वरूप खराब रोशनी में खेल जारी रहा था. नतीजतन, सभी पांच अधिकारियों को दक्षिण अफ्रीका में ट्वेंटी-20 विश्व चैंपियनशिप से निलंबित कर दिया गया था. ICC में क्रिकेट के महाप्रबंधक डेव रिचर्डसन ने कहा है कि 2005-06 के दौरान बकनर की अंपायरिंग सटीकता 96% थी, जो कि एलीट पैनल के लिए 94.8% के औसत से अधिक थी. 2007 में, उन्हें अंपायर ऑफ द ईयर अवार्ड के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था, जिसे अंततः साइमन टॉफेल ने जीता था. बकनर के लिए चीजें और बदत्तर तब हुई जब जनवरी 2008 में सिडनी में दूसरे टेस्ट में भारत की हार में उनके कई गलत फैसलों के योगदान के बाद पर्थ में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच तीसरे टेस्ट में आईसीसी द्वारा उन्हें अंपायरिंग से हटा दिया गया था और उन्हें तीसरे टेस्ट मैच के लिए बिली बोडेन द्वारा बदल दिया गया था.

पूर्व अंपायर डिकी बर्ड ने अपने वक्तव्य में कहा कि बकनर ने हद पार कर दी, जबकि बकनर ने अपने निष्कासन के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई की वित्तीय शक्ति को दोषी ठहराया.

स्टीव बकनर के अंपायरिंग करियर पर पीछे मुड़कर देखते हुए हम पाते हैं कि , उन्होंने सचिन तेंदुलकर और भारत के खिलाफ कई गलत निर्णय दिए और शायद इसी के लिए उनको याद भी किया जाता है. ICC ने 23 फरवरी 2009 को पुष्टि की कि बकनर ने मार्च 2009 में अंपायरिंग से संन्यास लेने का फैसला किया था.

बतौर अंपायर उनका अंतिम टेस्ट मैच था साउथ अफ्रीका बनाम ऑस्ट्रेलिया तीसरा टेस्ट, जो 19 से 23 मार्च के बीच कैप्टाउन में खेला गया था. और उनका आखिरी वनडे इंटरनेशनल था 29 मार्च को बारबाडोस में खेला गया वेस्टइंडीज बनाम इंग्लैंड मुकाबला. 20 साल के अंपायरिंग करियर का यह अंत था.

स्टीव बकनर के नाम कई उपलब्धि और रिकॉर्ड भी दर्ज हैं. स्टीव बकनर 5 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में बतौर अंपायर खड़े रहे, इस दौरान 5 फाइनल मिलाकर 44 मैचों में उन्होंने अंपायरिंग की.

100 अंतराष्ट्रीय टेस्ट मैचों में अंपायरिंग करने वाले पहले अंपायर हैं स्टीव बकनर. बकनर दिसंबर, 2019 तक सबसे अधिक टेस्ट मैचों में अंपायरिंग करने वाले अंपायर थे जब पाकिस्तान के अलीम दार ने उनको पीछे छोड़ा.

बकनर को 100 वनडे अंतराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग करने के लिए ICC के bronze bails award मिला जबकि 100 टेस्ट मैचों के लिए गोल्डन bails award से सम्मानित किया गया था. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम क्रिकेट जगत के सबसे विवादित अंपायर स्टीव बकनर के उज्जवल भविष्य की कामना करती है.

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