बिहार की बेटी सुधा कुमारी ने अपने व अपने परिवार वालो के साथसाथ बिहार का नाम भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर रौशन किया है। सुधा कुमारी की उम्र 41 वर्ष होते हुए भी उन्होंने साबित कर दिया की उम्र मायने नहीं रखता , केवल जज़्बा होना चाहिए कुछ कर दिखाने का। सुधा न्यूजीलैंड से वापस पटना एयरपोर्ट पर पहुंची और सभी ने बड़े हीं धूमधाम से उनका स्वागत किया. उनके स्वागत में उनके परिवार वाले भी मौजूद थे. सभी के ख़ुशी के ठिकाने नहीं थे. सुधा ने अपने जीत का श्रेय अपने परिवार वालों को दिया. आपको बता दें की सुधा का एक बेटा भी है जिसकी उम्र 10 वर्ष है. बेटे का नाम दिव्यांशु है. दिव्यांशु ने बताया की वह भी अपने माँ के जैसे ही खिलाड़ी बनना चाहता है और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नाम रौशन करना चाहता है. उसे बैडमिंटन में दिलचस्पी है. सुधा कुमारी के पति का नाम अभिषेक घोस है. अभिषेक ने बताया की जब सुधा न्यूजीलैंड पहुची तो उनके पैर में कुछ परेशानी होने के वजह से उन्हें लग रहा था की वो शायद खेल भी पाएंगी या नहीं. लेकिन उनके पति और परिवार वालो ने उन्हें हताश नहीं होने दिया और पुरे जोर शोर से उनका हौसला अफजाई किया. उन्होंने सुधा के जितने पे काफी ख़ुशी जताई और कहा की जब तक शरीर साथ दे तब तक सुधा ऐसे हीं बिहार और भारत का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उंचा करे. आपको बता दे की सुधा कुमारी की यह आठवी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता थी. वर्ष 2003 में उन्होंने जूनियर वर्ल्ड में ब्रोंज़ मैडल भी जीता था. वर्ष 2008 में उन्होंने ताशकंद एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में ब्रोंज़ मैडल जीता और 2009 में पुणे कामनवेल्थ पॉवर किफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड फिर 2011 में कामनवेल्थ पॉवर लिफ्टिंग और बेंच प्रेस चैंपियनशिप लन्दन में 5 गोल्ड मैडल जीती .

आपको बता दे की न्यूजीलैंड में कॉमनवेल्थ सीनियर चैंपियनशिप का आयोजन हुआ था. जहाँ सुधा ने अपने नाम चार गोल्ड और एक सिल्वर मैडल किया. सुधा बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं. सुधा कुमारी ने अपने इस जीत से बता दिया है की बिहार की बेटियां किसी भी मामले में पीछे नहीं, चाहे वो गृहस्ती हो शिक्षा हो या खेल का मैदान. हर जगह बिहार की बेटियों ने अपना परचम लहराया है. बिहार की कई ऐसी बेटियां हैं जो बिहार में आने वाली बेटियों की रोल मॉडल बन चुकी हैं. चाहे वो शारदा सिन्हा और मैथली ठाकुर के गाने हो, लोकसभा की पहली महिला स्पीकर मीरा कुमार हो, एवेरेस्ट फ़तेह करने वाली निरुपमा पाण्डेय हो या खेल के मैदान में सुधा कुमारी. खैर और कहा कहा तक बिहार के हुनरबाज बेटियों के नाम गिनवाए जाये. बिहार की बेटियों ने हर जगह अपने हुनर से अपना लोहा मनवाया है. और आगे भी ऐसे हीं बिहार को और पुरे भारत को अपने हुनर से गौरवान्वित करती रहेंगी.

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