बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच में लगातार बयान सामने आ रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा और जदयू के बीच में लगातार बयान सामने आ रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उपेंद्र कुशवाहा को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं. ऐसे में अब जदयू पूरी तरह से कुशवाहा के ऊपर हमलावर है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने तो उपेंद्र कुशवाहा को साफ साफ कह दिया है कि उन्हें शर्म आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जदयू को सींचा है. उपेंद्र उन्हें ठग रहे हैं. और किस चीज की हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं. दोनों तरफ से जारी बयानबाजी से अब लगभग यह साफ हो गया है कि उपेंद्र कुशवाहा अब जदयू का हिस्सा नहीं रहने वाले हैं. अब दो ही स्थितियां सामने होगी या तो कुशवाहा खुद बाहर जाएंगे या फिर पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता दिखाएगी. ऐसे में अब देखना है कि कुशवाहा बाहर जाते हैं या फिर पार्टी की तरफ से एक्शन होता है. कुशवाहा के हालिया बयान से यह लग रहा है कि कुशवहा 2024 के लोकसभा चुनाव पर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि कुशवाहा एक बार फिर से बीजेपी के साथ अपने पुराने संबंध को मजबुत कर सकते हैं. यानी की कुशवाहा बीजेपी के साथ एलाएंस कर सकते हैं.

उपेंद्र कुशवाहा पार्टी नेतृत्व को यह चैलेंज करते रहे हैं कि जदयू अब कमजोर होती जा रही है. उन्होंने इसारो इसारों में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर हमला बोला था. खैर इन सब के बाद उपेंद्र कुशवाहा की एक तस्वीर मीडिया में सामने आई है जिसमें बीजेपी के तीन प्रवक्ता और उपेंद्र कुशवाहा एक साथ दिखाई दिए. उस दौरान कुशवाहा तीन दिनों के लिए एम्स में इलाजरत हुए थे. इसी दौरान बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने एक फोटो शेयर किया जिसमें प्रेम रंजन पटेल, संजय टाइगर और योगेंद्र पासवान एक साथ दिखाई दिए. हालांकि िस फोटो को लेकर बाद में सफाई सामने आई जिसमें यह बताया गया कि यह एक औपचारिक मुलाकात थी. लेकिन जदयू की तरफ से तीखे बयान सामने आने लगे. हालंकि इस दौरान यह भी कहा जाने लगा कि इन सब के पिछे बीजेपी के किसी बड़े नेता का हाथ है. लेकिन अब एक बात यह साफ होता प्रतित हो रहा है कि जदयू में जो हाल शरद यादव का आरसीपी सिंह का हुआ था वही हाल अब उपेंद्र कुशवाहा का भी होने वाला है.

इतने दिन के राजनीतिक कैरियर में कुशवाहा एक बड़ी गलती किए हैं कहा जा रहा है कि कुशवाहा ने अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर के सबसे बड़ी गलती की है. क्योंकि अगर अभी उपेंद्र कुशवाहा केपास रालोसपा होता तो वे अपना गठबंधन तोड़कर किसी दूसरी पार्टी के साथ चले जाते लेकिन जब विलय हो गया है तो उनके पास से जाने के लिए क्या है वे खुद है जो किसी भी पार्टी में जाकर ज्वाइन कर सकते हैं. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कुशवाहा के सामने दो ही ऑप्शन बचा है एक तो कुशवाहा खुद बीजेपी में शामिल हो सकते हैं या फिर एक नई पार्टी का गठन कर बीजेपी के साथ एलाइंस कर सकते हैं.

बता दें कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि साल 1990 से 2005 के बीच जंगल राज के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई लड़ने वाले नेताओं का स्वागत है. हालांकि बीजेपी इस दौरान यह भी तय करेगी कि किस राजनेता का कितना बड़ा कद है. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के सामने यह समस्या है कि वे अगर जदयू के कुछ विधायकों को तोड़कर बीजेपी में ले जाते हैं तब उन्हें फायदा हो सकता है अन्यथा कुशवाहा को बीजेपी में भी संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है. आपको बता दें कि इससे पहले आरसीपी सिंह भी जदयू से बाहर होकर बीजेपी में शामिल होने की खबरें खुब चली लेकिन अभी तक शामिल नहीं हो पाए हैं ऐसे में अब देखना है कि कुशवाहा क्या करते हैं.

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