बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच में इन दिनों जदयू और राजद के बीच में बयानबाजी का दौर जारी है. साथ ही नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी खुब बयान सामने आ रहे हैं. उपेंद्र कुशावाहा ने पिछले दिनों जदयू से अपनी सदस्यता समाप्त करते हुए एक नई पार्टी की घोषणा कर दी. इतना ही नहीं कुशवाहा ने इस दौरान जदयू और राजद के बीच के संबंधों को लेकर सरकार पर हमला बोला. साथ ही राजद को लेकर नीतीश कुमार खुब खरी खोटी सुना दी. इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा अपने समाज के वोट को साधने के लिए एक नया हथकंडा अपना रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम के बाद उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से हुई. जिसके बाद बिहार की सियासत में कई तरह के कयास लगाए जाने लगे. इन दोनों की मुलाकात के कई मायने मतलब भी निकाले जाने लगे साथ ही यह भी कहा जाने लगा कि क्या बीजेपी नीतीश कुमार का काट खोज रही है.
उपेंद्र कुशवाहा और संजय जायसवाल के बीच हुई मुलाकात को लेकर जायसवाल ने इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे यह पता चला कि उन्होंने विधान परिषद से से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि इस पर मैंने उन्हें बधाई दी कि राजनीति में इस तरह का उच्च सोच काफी कम हो गई है. अब तो लोग सरकार बदल लेते हैं और जनता के पास जाना तक पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा ने एक नजीर पेश की है. इस दौरान जब उनसे पुछा गया कि क्या कुशवाहा आने वाले समय में बीजेपी के साथ जुड़ सकते हैं तो उन्होंने इस पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
राजनीतिक जानकार ये बता रहे हैं कि भले ही संजय जायसवाल ने इस मुद्दे पर कोई बयान हीं दिया है लेकिन बीजेपी और कुशवाहा का कनेक्शन पहले से बना हुआ है. यही कारण हैं कि जदयू से बाहर होने के तुरंत बाद कुशवाहा से मिलने बीजेपी के नेता पहुंच रहे हैं. जरा याद करिए उन दिनों को जब कुशवाहा दिल्ली एम्म में रुटिन चेकअप के लिए भर्ती हुए थे उस दौरान भी उनसे मिलने बीजेपी के ही नेता पहुंचे थे और वहां से आने वाद एयरपोर्ट पर ही कुशवाहा ने नीतीश कुमार के खिलाफ विगुल फुंक दिया था. ऐसे में बीजेपी चाह रही है कि जितनी जल्दी हो सके वह नीतीश कुमार के समानांतर एक नेता को खोज ले ताकि नीतीश की हर चाल को काटा जा सके. यानी कि बीजेपी इन दिनों नीतीश का काट खोज रही है. जिससे की जदयू के वोट बैंक में सेंधमारी की जा सके. हालांकि बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग के सहारे जदयू को बहुत डैमेज किया था. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि इस बार क्या कुशवाहा उस भूमिका में होंगे या फिर बीजेपी कि कोई नई रणनीति होगी.
उपेंद्र कुशवाहा ने जैसे ही नई पार्टी की स्थापना की उसी दौरान उन्होंने यह कह दिया था कि वे पूरे बिहार की यात्रा पर जाएँगे. बता दें कि इसी महीने की 25 तारीख को देश के गृह मंत्री अमित शाह भी बिहार की यात्रा पर आने वाले हैं. ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि उस दिन रैली में कुशवाहा उस रैली में हो सकते हैं. हालांकि अभी तक इसको लेकर कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. लेकिन बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी और एसी एसटी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है. ताकि उन्हें चुनाव के दौरान नुकसान कम झेलना पड़े हैं. बीजेपी कुशवाहा के साथ ही रामविलास पासवान की पार्टी के दोनों गुटों को साध रही है. इन दोनों गुटों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं. इसके साथ ही मुकेश सहनी की पार्टी पर भी बीजेपी की नजर बनी हुई है. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि बीजेपी 2014 के फॉमूलें के साथ चुनाव मैदान में उतर सकती है. तो चलिए समझते हैं उस थ्योरी को…
बीजेपी के इस थ्योरी के अनुसार यह बताया जा रहा है कि बीजेपी एक बार फिर से अपने पुराने नियम लगाने वाली है. उस समय भी कुशवाहा जदयू छोड़कर एक नई पार्टी का गठन किया था और बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव में पहुंचे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 22 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि कुशवाहा को 3 और रामविलास की पार्टी को 6 सीटों पर जीतने में कामयाव रहे थे. इस चुनाव में बीजेपी को जहां फायदा हुआ तो वहीं कुशवाहा को भी इस समीकरण से खुब फायदा हुआ था. ऐसे में अब देखना है कि नीतीश कुमार इस बार किस समीकरण पर काम करते हैं.