उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में जंगलराज की याद दिलाते हुए जदयू से अपना नाता तोड़ लिया और एक नई पार्टी की स्थापना कर ली. बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा जदयू और राजद के बीच के संबंध को लेकर नाराज चल रहे थे. उन्होंने जदयू से अलग होते हुए यह कहा कि बड़े भाई नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी को दूसरे के हाथ में गिरबी दे दिया है. उन्होंने अपनी पार्टी के अंदर से किसी भी नेता को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया. ऐसा क्या हो गया कि पड़ोसी का बेटा उनकी पार्टी का उत्तराधिकारी बनेगा. उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि हम समता पार्टी से साथ रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार ने बिहार में जिसने जंगलराज लाया है उसके साथ चले गए. ऐसे में अब उपेंद्र कुशवाहा ने एक नई पार्टी की स्थापना कर दी जिसका नाम हा राष्ट्रीय लोक जनता दल. इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी उपेंद्र कुशवाहा होंगे. ऐसे में आइए एक नजर डाल लेते हैं उपेंद्र कुशवाहा के राजनीतिक सफर के बारे में उन्होंने कितनी पार पार्टी से पाला बदला है और कितनी बार नई पार्टी का गठन किया है.
उससे पहले जान लेते हैं उपेंद्र कुशवाहा के राजनीतिक करियर के बारे में. उनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत साल 1985 से होती है. 2023 में नई पार्टी बनाने से पहले उपेंद्र कुशवाहा पिछले 15 सालों में 7 बार पलटी मार चुके हैं और 2 दफा अपनी पार्टी का गठन कर चुके हैं. यह तीसरी बार है जब उन्होंने एक तीसरी पार्टी यानी कि राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन किया है और वे इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं.
वह साल था 2007 तब उपेंद्र कुशवाहा बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हुआ करते थे. इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी से बगावत किया जिसका नतीजा हुआ कि उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद कुशवाहा ने खुद ही एक नई पार्टी बनाई जिसका नाम दिया राष्ट्रीय समता पार्टी. इसके बाद साल 2009 में के लोकसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कुशवाहा ने एक बार फिर से अपना पाला बदल लिया और नीतीश कुमार के साथ हो लिए तब नीतीश कुमार ने कुशवाहा को राज्यसभा भेजा. वे साल 2013 तक पार्टी के साथ रहे. इस दौरान जदयू और बीजेपी के बीच में खिंच तान शुरू हो गई और कुशवाहा ने जदयू से बगावती शुर अख्तियार कर लिया और पार्टी से बाहर हो गए. जदयू से बाहर होने के बाद कुशवाहा ने खुद की एक अपनी पार्टी बनाई जिसका नाम दिया राष्ट्रीय लोक समता पार्टी.
नई पार्टी के गठन के बाद साल 2014 में कुशवाहा बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में लोकसभा का चुनाव लड़ा जिसमें 3 सीटें जीतने में कामयाव रहे. इसके बाद उन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. हालांकि कुशवाहा को यहां भी मन नहीं लगा और साल 2018 में जातीय जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी का विरोध कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने कैबिनेट मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया. और बिहार महागठबंधन में आकर मिल गए. इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. और उन्होंने महागठबंधन से अपने आप को अलग कर लिया. तब तक बिहार में विधानसभा 2020 की तैयारी शुरू हो गई है. इस दौरान गठबंधन बनाने को लेकर खुब माथा पच्ची चल रहा था तब कुशवाहा ने ओवैसी की पार्टी और मायावती की पार्टी के साथ मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव 2020 जीतन की तैयारी में लग गए. लेकिन कुशवाहा का यह समीकरण भी काम नहीं आया और इस चुनाव में कुशवाहा की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिला. कुशवाहा दो सीटों से चुनाव लड़े दोनों से हार गए. लेकिन ओवैसी की पार्टी को 5 सीटें मिली लेकिन बाद के समय में उनके चार विधायक राजद में शामिल हो गए है तो वहीं मयावती की पार्टी से एक विधायक जीतने में सफल रहे थे वे भी बाद में जदयू में शामिल हो गए तो ऐसे में 2020 का विधानसभा चुनाव भी कुशवाहा के लिए बहुत कारगर नहीं रहा.
इस चुनाव के बाद कुशवाहा ने अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दिया. जिसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को जदयू ने एमएलसी बनाया साथ ही संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया था. हालांकि बाद के समय में जदयू नीतियां कुशवाहा को अच्छी नहीं लगी. खासकर जदयू और राजद के संबंध को लेकर कुशवाहा मुखर होकर बोलने लगे और 20 फरवरी 2023 को उन्होंने पटना में राष्ट्रीय लोक जनता दल के रूप में एक नई पार्टी की स्थापना कर दी. और वे इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए.
तो इस तरह से उपेंद्र कुशवाहा ने 8वीं बार पार्टी छोड़ा और तीसरी बार एक नई पार्टी का गठन किया है. आपको बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा चारों सदन के सदस्य रहे हैं. वे लोकसभा, राज्यसभा, बिहार विधानसभा और बिहार विधानसपरिषद के सदस्य के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं.