खिलाड़ी जिसने खेल भावना को किया तारतार, बने थे इंडियन क्रिकेट के सबसे बड़े विलेन

खिलाड़ी, जिसने अपने डेब्यू मैच में लगाया शतक और करियर के अंतिम मैच में भी

जिसने अपने बल्ले से बनाए कई रिकॉर्ड, अपनी कप्तानी में टीम को जितवाए कई मुकाबले, कोचिंग में टीमों का रहा शानदार प्रदर्शन

क्रिकेट जगत का सबसे विवादित नाम, जिसने खेल भावना की उड़ाई धज्जी, जिसकी वजह से ICC को बदलने पड़े नियम

गांगुली को छोड़नी पड़ी कप्तानी, सचिन ने बना लिया था संन्यास का मन, द्रविड़ पर दिया विवादस्पद बयान, कहलाए भारतीय क्रिकेट के विलेन

क्रिकेट जगत में तो एक से बढ़कर खिलाड़ी हुए, लेकिन ऐसे चुनिंदा खिलाड़ी हैं, जिनसे सभी प्यार करते हैं, जिनसे विरोधी भी प्यार करते हैं. लेकिन ऐसा होने या बनने के लिए आपको निस्वार्थ होना पड़ेगा और खेल भावना के तहत खेलना होगा. जो सच्चे खेल भावना से अपना खेल खेलते हैं, विरोधी भी उनसे प्यार करते हैं और दुनिया उनकी इज्जत करती है. लेकिन आज जिस खिलाड़ी की बात करने जा रहे हैं, उसने तो खेल भावना को तारतार कर दिया. अपने करियर में इन्होने खूब रन बनाए, खूब शतक बनाए, अपनी कप्तानी में टीम को खूब मैच जितवाए, टीमों के अच्छे कोच रहे लेकिन एक चीज जो नहीं दिखी वो थी इंसानियत और शायद इसी वजह से इनको क्रिकेट जगत का सबसे विवादित व्यक्ति कहा जाता है.

दोस्तों, हम बात करेंगे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और दिग्गज खिलाड़ी ग्रेग चैपल के बारे में. इस लेख में हम ग्रेग चैपल के जीवन से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

साउथ ऑस्ट्रेलिया के उनले में एक कोर्निश ऑस्ट्रेलियन परिवार में पिता आर्थर मार्टिन और मां जीन के तीन बेटों में दूसरे नंबर पर थे ग्रेग चैपल. चैपल बहुत छोटी उम्र में क्रिकेट से जुड़ गए थे, उनके पिता एडिलेड में एक नोटेड ग्रेड क्रिकेटर थे, जिन्होंने चैपल के हाथों में तभी बल्ला थमा दिया था, जब उन्होंने चलना ही शुरू किया था. ग्रेग के बड़े भाई इअन और छोटे भाई ट्रेवर दोनों ऑस्ट्रेलिया के लिए खेले. ग्रेग भी अपने बड़े भाई के पदचिन्हों में चले. चैपल और उनके भाइयों को क्रिकेट की तालीम दी थी लीन फुलर ने.

चैपल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट लिओनार्ड प्राइमरी स्कूल से की और उसी दौरान महज 8 साल की उम्र में चैपल ने अपना पहला कम्पीटीटीव मैच खेला था. चैपल बेसबॉल भी खूब खेलते थे. काफी छोटी उम्र में ही चैपल हाई बौंसिंग गेंद पर लेग साइड में शॉट खेलने की तकनीक में महारथ हासिल कर चुके थे. महज 12 साल की उम्र में शतक लगाकर चैपल ने साउथ ऑस्ट्रलियन स्टेट स्कूल टीम में जगह बना ली थी. प्रारंभिक शिक्षा के बाद चैपल ने अपनी पढ़ाई plymton हाई स्कूल से पूरी की और फिर प्रिंस अल्फर्ड कॉलेज में स्कोलरशिप पर गए. चैपल खुद को एक औसत विद्यार्थी बताते हैं, जिनका मन क्लास के दौरान क्रिकेट के मैदान में रहता था. 1964-65 की गर्मियों में 7 सप्ताह के अंदर चैपल के हाईट में अचानक 10 सेंटीमीटर का इजाफा हो गया और 12 महीनों के अंदर वो 189 सेंटीमीटर के हो गए. अचानक हुए इस बदलाव से अब चैपल स्कूलबॉय मैचों में डोमिनेट करने लगे. उस दौरान अपनी स्कूल टीम की तरफ से खेलते हुए स्कॉच कॉलेज के खिलाफ एक मैच में चैपल ने दोहरा शतक जड़ दिया था और पहले विकेट के लिए Ashley Woodcock के साथ 300 से भी ज्यादा रनों की साझेदारी कर डाली. प्रिंस अल्फर्ड कॉलेज में चैपल के कोच रहे Chester Bennett चैपल के बारे में कहते हैं,संभवतः मेरे अनुभव में सबसे अच्छा ऑलराउंड स्कूली क्रिकेटर वह खेल में बहुत दूर तक जा सकता है.”

मात्र 18 साल की उम्र में ग्रेग चैपल ने अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू एडिलेड ओवल में विक्टोरिया के खिलाफ किया था. थ्रोट में हुए इन्फेक्शन के बावजूद चैपल ने अच्छा प्रदर्शन किया था. 53 और नाबाद 62 रनों की पारी खेलने के बाद 14 पारियों में उन्होंने 386 रन बनाए, जिसमें Queensland के खिलाफ एक शतक भी शामिल रहा. इसके बाद चैपल ने साउथ ऑस्ट्रेलियन साइड में अपना स्थान पक्का कर लिया और इस दौरान वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने बेहतरीन 154 रनों की पारी खेली. लेकिन चैपल लेग साइड में ज्यादा खेलना पसंद करते थे, तब ग्रेट डॉन ब्रैडमैन, जो उस वक्त स्टेट और नेशनल सेलेक्टर थे, ने उन्हें सुझाव दिया था कि ऑफ साइड में खेलने के लिए वो अपने बैट के ग्रिप को चेंज करें. बिना किसी हिचक के चैपल ने दिए गए सुझाव पर अमल किया और इंग्लिश काउंटी टीम सोमरसेट के लिए खेलते हुए उन्होंने 2 सीजन में 2,493 रन बनाए. इसके अलावा उनकी गेंदबाजी में भी निखार आया, जहां उन्होंने 71 विकेट चटकाए. यॉर्कशायर के खिलाफ लीड्स में 40 रन पर 7 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. फर्स्ट क्लास में शानदार प्रदर्शन करने के बाद चैपल को 1969-70 सीजन में न्यूजीलैंड दौरे के लिए ऑस्ट्रेलिया ए टीम में चुना गया. इस दौरे पर चैपल ने 57.70 की औसत से 519 रन बनाए थे, जिससे उनके राष्ट्रीय टीम में जाने के रास्ते साफ हो गए.

चैपल को 1970-71 एशेज सीरीज के लिए स्क्वाड में शामिल किया गया. पहले टेस्ट में तो वो 12वें खिलाड़ी के रूप में खेले लेकिन दूसरे टेस्ट में उनको प्लेइंग-11 में शामिल किया गया. और चैपल ने भी इसे यादगार बनाया, पर्थ के वाका ग्राउंड पर नंबर-7 पर बल्लेबाजी करने उतरे चैपल ने शतक जड़कर इतिहास रच दिया. अपने डेब्यू पर शतक बनाने के दौरान उन्होंने Ian Redpath के साथ 219 रनों की साझेदारी कर टीम को संकट से निकाला. उस टेस्ट के कुछ ही दिनों बाद चैपल ने इंग्लैंड के खिलाफ टूर मैच में महज 2 घंटे में 102 रन बना डाले. हालांकि ड्रीम स्टार्ट ने चैपल के रास्ते में व्यवधान भी खड़े किए, बांकी बचे मैचों में वो उतने प्रभावी नहीं रहे सिवाय अंतिम टेस्ट में 65 रनों की पारी के. चैपल इनिंग के शुरुआत में ही बड़ेबड़े शॉट खेलने लगते थे, जिससे अपना विकेट गंवा देते थे. इसके बाद चैपल की खूब आलोचना हुई. चैपल ने इसके बाद अनाधिकारिक टेस्ट मैचों में नाबाद 115 और 197 रनों की पारी खेलकर सबकी बोलती बंद कर दी.

1972 एशेज सीरीज खेलने ऑस्ट्रेलियाई टीम इंग्लैंड पहुंची थी जहां टीम 1-0 से पिछड रही थी तब चैपल के 131 रनों की पारी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने मैच जीता और सीरीज ड्रा किया. 1973 में चैपल को विस्डन क्रिकेटर ऑफ द इयर चुना गया था.

चैपल का ड्रीम फॉर्म जारी था, पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज के एक मैच में चैपल ने पहली पारी में नाबाद 116 रन और दूसरी पारी में 62 रन बनाए, यही नहीं गेंदबाजी में भी 61 रन देकर 5 विकेट झटके. वेस्टइंडीज दौरे पर शतक जड़ा. चैपल का कद बढ़ रहा था और अब उनको ऑस्ट्रेलिया का कप्तान नियुक्त किया गया. कप्तान बनने के बाद उनका बल्ला पहले से ज्यादा खतरनाक हो गया. उनके बल्ले से शतक पर शतक निकल रहे थे. चैपल का कप्तानी रिकॉर्ड शानदार है साथ ही उनकी बल्लेबाजी का भी. लेकिन इन सबके बावजूद चैपल का नाता गहरे विवादों से भी रहा.

क्रिकेट इतिहास में खेल भावना की हत्याका सबसे बड़ा कलंक उनपर लगा था. यह घटना 1 फरवरी 1981 की है. इसी दिन क्रिकेट इतिहास की सबसे बदनामगेंद फेंकी गई थी. दरअसल वह अंडरआर्मगेंद थी. तब गेंदबाज ने बल्लेबाज की तरफ गेंद लुढ़काकर दी थी. दो भाइयों(ग्रेग और ट्रेवर चैपल) ने मैदान पर ऐसी चाल चली कि क्रिकेट शर्मशार हो गया. मजे की बात ये है कि उस मैच में कम्नेट्री कर रहे दोनों के बड़े भाई इयान चैपल उनकी हरकत देख चिल्ला उठे थे– ‘नहीं ग्रेग, तुम ऐसा नहीं कर सकते..’

मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच बेंसन एंड हेजेज वर्ल्ड सीरीज का फाइनल खेला जा रहा था. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 4 विकेट के नुकसान पर 235 रन बनाए थे, कप्तान ग्रेग चैपल ने 90 रनों की पारी खेली थी. जवाब में कीवी ओपनर ब्रूस एडगर ने नाबाद 102 रन बनाकर अकेले अपने दम पर टीम को जीत की दहलीज तक ले आए थे. अंतिम ओवर में न्यूजीलैंड को जीतने के लिए 15 रनों की जरुरत थी. कप्तान ग्रेग ने गेंद अपने भाई ट्रेवर को थमाई. कप्तान ग्रेग किसी कीमत पर हारना नहीं चाहते थे. मैच अंतिम गेंद पर आया, जब न्यूजीलैंड को मैच टाई करने के लिए 6 रनों की जरुरत थी. ऑस्ट्रेलिया की जीत पक्की लग रही थी, इसके बावजूद कप्तान ग्रेग चैपल स्ट्राइक पर खड़े पुछल्ले बल्लेबाज से डर गए. ग्रेग ने ट्रेवर से कहा कि वो आखिरी बॉल को अंडरआर्म फेंके. दोनों अंपायरों को बता दिया गया कि अंतिम गेंद अंडरआर्म होगी. बड़े भाई की बात मानते हुए ट्रेवर ने ऐसा ही किया. ट्रेवर ने बॉल को पिच पर लुढ़काते हुए बल्लेबाज ब्रायन मेकनी की तरफ फेंका. तब अंडरआर्म गेंद फेंकना क्रिकेट के नियमों के अनुसार गलत नहीं था, लेकिन यह खेल भावना के खिलाफ था.

कीवी बल्लेबाज ब्रायन मेकनी अवाक रह गए और गुस्से में बल्ले को जमीन पर फेंक दिया. मेकनी के पास छक्का लगाकर मैच टाई करने का मौका था लेकिन विवादास्पद अंडरआर्म गेंद की वजह से वह कोशिश नहीं कर पाए. आखिरकार ऑस्ट्रेलिया ने 6 रनों से मैच जीता लेकिन इस घटना ने क्रिकेट वर्ल्ड में भूचाल ला दिया. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों को बयान जारी करना पड़ा था. न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री रोबर्ट मल्डून ने इसे कायराना हरकतकरार दिया. उन्होंने कहा, ‘मेरी याददाश्त में क्रिकेट के इतिहास की ये सबसे घिनौनी घटना है.’ ऑस्ट्रेलिया के pm माल्कम फ्रेजर ने कहा, ‘यह खेल की परंपराओं के विपरीत था.’

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल(ICC) को तब क्रिकेट के नियमों में संसोधन करना पड़ा. इस घटना के बाद ही वनडे मैचों में अंडरआर्म गेंदबाजी को तत्काल प्रभाव से बैन कर दिया गया. बाद में ग्रेग चैपल ने भी अपनी गलती मानी. ट्रेवर चैपल को हमेशा इस बात का मलाल रहा कि उन्होंने अपने भाई की बात मानी और अपना नाम हमेशा के लिए क्रिकेट के काले अध्याय से जोड़ लिया.

ऑस्ट्रेलिया के लिए 87 टेस्ट टेस्ट और 74 वनडे खेलने वाले ग्रेग चैपल एक दिग्गज बल्लेबाज रहे, एक बेहतरीन कप्तान भी रहे यहां तक कि एक अच्छे कोच भी रहे लेकिन एक अच्छे इंसान नहीं बन पाए. करियर के अंतिम टेस्ट में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सिडनी में 400 गेंदों पर 182 रन बनाए थे और मैन ऑफ द मैचरहे.

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद ग्रेग चैपल कोच, सलाहकार और कमेंटेटर भी रहे. वह भारत और साउथ अफ्रीका के कोच रहे जबकि पाकिस्तान टीम के सलाहकार और ऑस्ट्रेलिया के सेलेक्टर रहे. बाद में उन्होंने कमेंट्री भी की.

ग्रेग चैपल जब भारतीय टीम के कोच बने, तब टीम इंडिया के कप्तान सौरव गांगुली थे. गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर रही थी लेकिन चैपल का उनके साथ विवाद हो गया, जिसने काफी सुर्खियां बटोरीं. गांगुली को कप्तानी से भी हटना पड़ गया और इसमें चैपल का बड़ा हाथ था.

साल 2005 में जॉन राईट के हटने के बाद चैपल टीम इंडिया के कोच बने थे. तब श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में स्लो ओवर रेट के कारण गांगुली पर बैन लगा और राहुल द्रविड़ अंतरिम कप्तान बने. इसके बाद जिम्बाब्वे दौरे पर गांगुली बतौर कप्तान टीम के साथ गए. इस दौरे के खत्म होने के बाद चैपल ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(BCCI) को एक ईमेल भेजा, जो मीडिया में लीक हो गया. ईमेल में गांगुली की आलोचना करते हुए उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर बताया था. चैपल ने यहां तक कह दिया कि गांगुली टीम इंडिया की कप्तानी के लायक नहीं हैं. फिर बोर्ड ने चैपल और गांगुली दोनों से सफाई मांगी. कोलकाता में गांगुली के फैंस ने चैपल के खिलाफ नारेबाजी भी की और उनका पुतला भी फूंका था.

इंडियन क्रिकेट फैंस के बीच चैपल की छवि एक विलेन जैसी है. चैपल सिर्फ गांगुली के साथ ही नहीं, अन्य विवादों का भी हिस्सा रहे. 2011 वर्ल्ड कप में सचिन तेंदुलकर की पत्नी अंजलि ने कहा था कि चैपल के कार्यकाल में सचिन बहुत परेशान रहे थे. यहां तक कि सचिन ने तब संन्यास का भी मन बना लिया था.

2012 में चैपल ने अपनी बायोग्राफी में राहुल द्रविड़ पर विवादास्पद बातें लिखी. चैपल ने दावा किया कि टीम के खिलाड़ी राहुल द्रविड़ के बतौर बल्लेबाज मिली सफलता से खुश नहीं थे. इसी वजह से कप्तानी के दौरान द्रविड़ को वैसा समर्थन नहीं मिला, जैसा कि अन्य कप्तानों को मिलता है.

सचिन तेंदुलकर, हरभजन सिंह और जहीर खान समेत टीम के सीनियर खिलाड़ियों ने चैपल के कार्यकाल को सबसे दुखदायी बताया. ग्रेग चैपल ने 87 टेस्ट मैचों कोई 151 पारियों में कुल 7110 रन बनाए जिसमें 24 शतक और 31 अर्धशतक शामिल रहे. 74 वनडे में उन्होंने कुल 2331 रन बनाए. उन्होंने टेस्ट में 47 और वनडे में 72 विकेट भी लिए.

पूरी तरह से एक क्रिकेटर बनने से पहले चैपल अलगअलग पेशों से जुड़े रहे, जिसमें लाइफ अस्सुरेंस फर्म, टेल कंपनी और कोकाकोला में प्रमोशन ऑफिसर शामिल रहा. चैपल ने 1971 में न्यू साउथ वेल्स के बेक्सली की एक स्कूल टीचर एलिजाबेथ डोनल्डसन से शादी की जिनसे चैपल को तीन बेटे हुए. साल 2002 में चैपल को ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया.

चक दे क्रिकेट की टीम क्रिकेट जगत के शायद सबसे विवादित शक्श ग्रेग चैपल के उज्जवल भविष्य की कामना करती है. आप ग्रेग चैपल को किस वजह से याद करते हैं ? कमेंट में हमें बताएं.

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