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विश्व क्रिकेट का सबसे विनाशकारी बल्लेबाज, जिसने कभी नहीं पहना हेलमेट

Bihari News

बिना हेलमेट वाले इस बल्लेबाज से तेज गेंदबाज ही डरते थे

विश्व क्रिकेट का सबसे विनाशकारी बल्लेबाज, जिसने कभी नहीं पहना हेलमेट

विश्व क्रिकेट का सबसे विनाशकारी बल्लेबाज, जिससे डरते थे तेज गेंदबाज

अपने समय का सबसे आक्रामक बल्लेबाज, जिसे किसी भी गेंदबाजी आक्रमण का खौफ नहीं था

एक कैलेंडर इयर में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड है जिसके नाम

फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रिकॉर्ड 114 शतक लगाने वाला बल्लेबाज, जिसे कहते थे ब्लैक ब्रैडमैन

दोस्तों, एक समय था जब विश्व क्रिकेट में वेस्टइंडीज की तूती बोलती थी और आज भी इस टीम को विश्व क्रिकेट का सबसे खतरनाक टीम समझा जाता है. इस देश ने विश्व क्रिकेट को दुनिया का सबसे खतरनाक बल्लेबाज दिया और सबसे खतरनाक बल्लेबाज भी. आज के अंक में बात होगी विश्व क्रिकेट के सबसे विनाशकारी, आक्रामक और खतरनाक बल्लेबाज की. उस दौर में जब एक से बढ़कर एक खतरनाक गेंदबाज हुआ करते थे, इस बल्लेबाज ने कभी हेलमेट नहीं पहना. वो कहते थे हेलमेट पहनकर वो कायरों की तरह गेंदबाजों का सामना नहीं करना चाहते. हेलमेट ना पहनने वाले इस बल्लेबाज से तेज गेंदबाज ही डरते थे. एक ऐसा बल्लेबाज, जिसे क्रिकेट के भगवान अपना आदर्श मानते हैं. आज के लेख में हम वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज सर विवियन रिचर्ड्स के जीवन से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

विशेषण राजाहमेशा केवल एक बल्लेबाज की याद दिलाता है और वह कोई और नहीं बल्कि पूर्व वेस्ट इंडीज के क्रिकेटर सर आइजैक विवियन अलेक्जेंडर रिचर्ड्स हैं, जिन्हें किंग विव के नाम से जाना जाता है. सेंट जॉन्स, एंटीगुआ (तब ब्रिटिश लेवर्ड द्वीप समूह का हिस्सा) में जन्मे रिचर्ड्स अपने युग के सबसे विनाशकारी बल्लेबाज थे, और जबकि कई बड़े रिकॉर्ड वाले हैं, कुछ ही गेंदबाजी आक्रमण उनका सामना कर सकते थे, या फिर उनको धमकाने की हिम्मत रखते थे.

रिचर्ड्स एक उत्कृष्ट आक्रमणकारी शैली के साथसाथ एक बहुत ही शक्तिशाली दाएं हाथ के बल्लेबाज थे, साथ ही एक उत्कृष्ट क्षेत्ररक्षक और एक उपयोगी ऑफस्पिन गेंदबाज भी थे. उन्हें अक्सर विश्व क्रिकेट कासबसे विनाशकारी बल्लेबाज माना जाता है जिन्हें 2000 में सर डोनाल्ड ब्रैडमैन, सर गारफील्ड सोबर्स, सर जैक हॉब्स और शेन वार्न के साथ विशेषज्ञों के 100 सदस्यीय पैनल द्वारा सदी के पांच क्रिकेटरों में से एक को चुना गया था. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि रिचर्ड्स ने 1974 के विश्व कप के लिए क्वालीफाइंग मैचों में भाग लेते हुए एंटीगुआ के लिए अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल भी खेला था.

हालांकि रिचर्ड्स एक बहुत ही विनम्र पृष्ठभूमि से आए और 18 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था और सेंट जॉन्स में डीआर्सी के बार और रेस्तरां में काम करने लगे. अपने बचपन के दौरान रिचर्ड्स ने क्रिकेट की शुरुआती तालीम अपने पिता और एक पड़ोसी और पारिवारिक मित्र पैट इवांसन से लिया, पैट एंटीगुआ क्रिकेट टीम की कप्तानी कर चुके थे. आगे रिचर्ड्स को प्रोत्साहन उनके भाइयों मर्वन और डोनल्ड ने दिया, जो एंटीगुआ के लिए खेल चुके थे. रिचर्ड्स के परिवार और आसपास के लोग ये जान चुके थे कि एक दिन रिचर्ड्स विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम बनेगा. इसी रेस्तरां के मालिक D’Arcy Williams भी समझ गए थे और उन्होंने रिचर्ड्स के लिए नए सफेद ग्लव्स, पैड और बैट उपलब्ध कराए.

22 साल के होतेहोते रिचर्ड्स एंटीगुआ, लीवर्ड आइलैंड और कंबाइंड आइलैंड टूर्नामेंट खेल चुके थे. तभी लेन क्रीड, जो सॉमरसेट क्रिकेट क्लब के वाईस चेयरमैन थे एंटीगुआ में थे और उन्होंने रिचर्ड्स को बल्लेबाजी करते देखा. लेन क्रीड रिचर्ड्स की अद्भुत हिटिंग क्षमता को देखकर विस्मित हो गए. लीन रिचर्ड्स की बल्लेबाजी देख इतने प्रभावित हुए कि रिचर्ड्स को वो अपने साथ इंग्लैंड ले आए. इंग्लैंड आकर लीन क्रीड ने लैंसडाउन क्रिकेट क्लब में रिचर्ड्स के लिए लीग क्रिकेट खेलने की व्यवस्था करा दी. रिचर्ड्स ने लैंसडाउन में अपना पहला सीज़न शीर्ष बल्लेबाजी औसत के साथ समाप्त किया और कुछ ही समय बाद उनको काउंटी साइड समरसेट के साथ दो साल के अनुबंध की पेशकश की गई जिसने उनके करियर की बाढ़ के दरवाजे खोल दिए.

विवियन रिचर्ड्स ने 1974 में भारत दौरे पर बैंगलोर में वेस्टइंडीज के लिए अपना टेस्ट अंतराष्ट्रीय डेब्यू किया था लेकिन अपने डेब्यू मैच की पहली पारी में सिर्फ 4 रन और दूसरी पारी में 3 रन ही बना पाए. इसके बाद सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में, जो कि दिल्ली में खेला गया था, रिचर्ड्स ने भारतीय गेंदबाजी आक्रमण को तहसनहस कर दिया. रिचर्ड्स ने मैच में 20 चौकों और 6 छक्कों से सजी नाबाद 192 रनों की पारी खेली थी. वेस्टइंडीज ने उनमें एक मजबूत ओपनर को देखा और रिचर्ड्स ने भी अपने समृद्ध करियर के शुरुआती सालों में अपने प्रोफाइल को बनाए रखा. रिचर्ड्स ने वेस्ट इंडीज को 1975 के उद्घाटन विश्व कप में न केवल अपनी विनाशकारी बल्लेबाजी के साथ बल्कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में अपने पैंथर जैसे क्षेत्ररक्षण के साथ भी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने सलामी बल्लेबाज एलन टर्नर और चैपल बंधुओं, इयान और ग्रेग को रन आउट करने के लिए अपनी सुनिर्देशित मिसाइलों जैसे थ्रो से वेस्टइंडीज के पक्ष में मैच को बदल दिया.

1979 वर्ल्ड कप आतेआते विवियन रिचर्ड्स विश्व के सबसे आक्रामक बल्लेबाज के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा बना चुके थे. Gordon Greenidge, Des Haynes, Clive Lloyd और Alvin Kalicharan के साथ खेलते हुए रिचर्ड्स को खुलकर बल्लेबाजी करने की आजादी मिली और लोगों ने तब रिचर्ड्स की बल्लेबाजी को भरपूर एन्जॉय किया. लॉर्ड्स में फाइनल में रिचर्ड्स के शतक की बदौलत वेस्टइंडीज ने एक बार फिर वर्ल्ड कप पर कब्जा किया. 1979 विश्व कप की जीत ने न केवल वेस्टइंडीज को क्रिकेट सर्किट में अजेय बना दिया बल्कि आंतरिक विभाजन के बावजूद वेस्टइंडीज को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट करने में मदद की.

वर्ष 1976 विवियन रिचर्ड्स के लिए बेमिसाल रहा था जब उन्होंने रिकॉर्ड 1710 रन बनाए थे, जिसमें इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में बनाए गए 829 रन भी शामिल था. बुखार की वजह से पहला टेस्ट नहीं खेल पाने के बावजूद रिचर्ड्स ने 829 रन बनाए थे, इसी दौरान उन्होंने ओवल में अपना करियर बेस्ट 291 रनों की पारी खेली थी और इंग्लैंड को 3-0 से हराया था. एक कैलेंडर इयर में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड रिचर्ड्स के नाम रहा, 30 सालों तक, जब पाकिस्तान के मोहम्मद युसूफ ने 2006 में उनके रिकॉर्ड को तोड़ा.

1983 वर्ल्ड कप फाइनल में रिचर्ड्स के आउट होने के बाद ही भारत के लिए जीत के द्वार खुले थे. 184 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए रिचर्ड्स नंबर-3 पर उतरे थे, अपनी शैली में बल्लेबाजी करते हुए रिचर्ड्स ने 33 रनों की पारी में 7 चौके लगा भी दिए थे लेकिन कपिल देव ने आश्चर्यजनक कैच पकड़कर रिचर्ड्स की पारी को समाप्त कर दिया. हालांकि हार ने रिचर्ड्स को परेशान कर दिया, लेकिन उनकी सबसे बड़ी निराशा यह थी कि 1987 के उपमहाद्वीप में जिस टीम का उन्होंने नेतृत्व किया था, वह ’83 की हार का बदला लेने में विफल रहा. लेकिन तब, यह एक अनुभवहीन टीम थी, जिसे वह माइकल होल्डिंग, गॉर्डन ग्रीनिज और मैल्कम मार्शल के बिना संभाल रहे थे.

1985 में महान क्लाइव लोएड के रिटायरमेंट के बाद रिचर्ड्स ने वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम की कमान संभाली थी और 50 टेस्ट मैचों में उन्होंने कैरिबियाई टीम का नेतृत्व किया, जिसमें टीम को 27 जीत मिली और 15 बार हार का सामना करना पड़ा लेकिन सबसे महत्वपूर्ण वो एक भी सीरीज नहीं हारे.

रिचर्ड्स का बैटिंग स्टाइल वनडे क्रिकेट के लिए एकदम सटीक बैठता था. उस समय में असाधारण तेजी से स्कोरिंग के साथ जहां औसत दर बहुत कम थी रिचर्ड्स ने अपने युग के बाकी शीर्ष बल्लेबाजों से खुद को अलग कर लिया था. हालांकि यह आश्चर्यजनक है कि इतिहास के सबसे तेज और सबसे खतरनाक गेंदबाजों के दौर में रिचर्ड्स ने कभी हेलमेट नहीं पहना. जबकि बल्लेबाजी स्पष्ट रूप से उनका सबसे मजबूत पक्ष था, रिचर्ड्स गेंद के साथ भी अधिक उपयोगी योगदानकर्ता थे, खासकर एकदिवसीय मैचों में, जहां उन्होंने 32.05 की औसत और 4.43 की इकॉनोमी रेट से 99 विकेट चटकाए थे.

उन्हें ब्लैक ब्रैडमैन कहा जाता था, इतना बड़ा स्कोर हासिल करने की उनकी क्षमता के लिए नहीं बल्कि गेंद को फेंके जाने से लगभग पहले देखने की उनकी अमानवीय क्षमता के लिए. उनकी सजगता ऐसी थी कि तेज गेंदबाज उनसे डरते थे.

खेलने की अपनी बहुत ही रोमांचक शैली के अलावा, रिचर्ड्स को 1983 और 1984 में रंगभेद युग के दौरान दक्षिण अफ्रीका में एक विद्रोही वेस्ट इंडीज टीम के लिए खेलने के लिए ब्लैंकचेकप्रस्ताव को अस्वीकार करने के अपने व्यक्तिगत सिद्धांतों के लिए महान सार्वजनिक सम्मान मिलता है.

रिचर्ड्स केवल चार गैरअंग्रेज क्रिकेटरों में से एक हैं जिन्होंने 100 प्रथम श्रेणी शतक बनाए हैं, अन्य ऑस्ट्रेलियाई डोनाल्ड ब्रैडमैन, न्यूजीलैंडर ग्लेन टर्नर और पाकिस्तानी जहीर अब्बास हैं. रिचर्ड्स को 2010 की डॉक्यूमेंट्री फिल्म फायर इन बेबीलोनमें दिखाया गया था जिसमें उन्होंने वेस्ट इंडीज के लिए खेलने के अपने अनुभवों के बारे में बात की थी. रिचर्ड्स 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग में दिल्ली डेयरडेविल्स के मेंटर के रूप में शामिल हुए.

हालाँकि, कम ही लोग जानते होंगे कि रिचर्ड्स का भारतीय अभिनेत्री नीना गुप्ता के साथ एक संक्षिप्त रिश्ता था, जिसके साथ उनकी एक बेटी, मसाबा गुप्ता है, लेकिन शादी तलाक में समाप्त हो गई और रिचर्ड्स ने फिर से मरियम से शादी की और उनके दो बच्चे हैं: मतारा और माली, जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेलीं. वह इयान बॉथम के बेटे लियाम के गॉडफादर भी हैं.

एक नजर सर विवियन रिचर्ड्स के करियर पर – 121 टेस्ट मैचों में 24 शतक और 45 अर्धशतक के साथ 8540 रन. 187 वनडे अंतराष्ट्रीय में 11 शतक और 45 अर्धशतक के साथ 6721 रन. टेस्ट में 291 बेस्ट स्कोर और वनडे में नाबाद 189.

507 फर्स्ट क्लास मैचों में 36,212 रन, जिसमें उनके बल्ले से 114 शतक और 162 अर्धशतक आए. यहां 322 रन उनका बेस्ट स्कोर रहा. वहीं 500 लिस्ट ए मैचों में रिचर्ड्स ने 26 शतक और 109 अर्धशतक के साथ 16,995 रन बनाए हैं. यहां पर भी नाबाद 189 रन उनका बेस्ट स्कोर रहा. अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में रिचर्ड्स ने 150 विकेट हासिल किए जबकि घरेलु स्तर पर उनके नाम 513 विकेट दर्ज हैं.

चक दे क्रिकेट की पूरी टीम महान सर विवियन रिचर्ड्स के उज्जवल भविष्य और स्वस्थ जीवन की कामना करती है. आपको विवियन रिचर्ड्स की बल्लेबाजी में सबसे खास कौन सी चीज लगती है ? कमेंट में जरुर बताएं.

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