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5 बदनसीब क्रिकेटर जिनके लिए धोनी युग बना अभिशाप, नंबर 7 की जर्सी के नीचे दबे

Bihari News

भारतीय टीम में विकेट कीपर को लेकर कभी समस्या नहीं थी हां एक समय ऐसा जरूर आया था कि राहुल द्रविड़ को विकेट के पीछे खड़ा होना पड़ा था। मगर भारत के पास हमेशा अच्छे विकेट कीपर रहे हैं। लेकिन युग बदला, खेलने और सोचने का अंदाज बदला, ऑस्ट्रेलिया जैसी धाकड़ टीम केवल विकेट कीपर ही नहीं बल्कि एडम गिलक्रिस्ट जैसा धाकड़ बल्लेबाज भी खिलाती थी। गिलक्रिस्ट ने ऑस्ट्रेलिया के लिए ना जाने कितने मैच अकेले अपने कंधो पर जीता दिए। भारतीय टीम में विकेटकीपर तो थे मगर उसके साथ एक धांसू बल्लेबाज की कमी थी। सौरव गांगुली ने भी एक बार 2003 वर्ल्ड कप फाइनल में मिली हार का हवाला देते हुए कहा था अगर मेरे पास धोनी जैसा विकेट कीपर बल्लेबाज होता तो हम मैच जीत जाते। धोनी नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते है। उन्होंने जो काम भारत के लिए विकेट कीपर बल्लेबाज के रूप में किया हो वह शायद ही कोई दूसरा कर पाए। कभी कभी लगता है ऋषभ पंत में उनकी झलकियां दिखती है मगर कोई और धोनी नहीं बन सकता। आज हम आपको बताने जा रहे है ऐसे ही 5 विकेट-कीपर बल्लेबाजों के बारे में जो महान धोनी की छाया के नीचे दबे रह गए और भारतीय टीम में पुख्ता जगह नहीं बना पाए।

नमन ओझा:

भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए ना जाने कितने नौजवान दिन रात मेहनत करतें हैं। लेकिन अनेकों खिलाड़ियों का करियर बस घरेलू क्रिकेट में ही सिमट के रह जाते है। ऐसे ही कुछ हुआ ताबड़तोड़ बल्लेबाज नमन ओझा के साथ भी। नमन ओझा विकेट कीपर के साथ साथ एक धाकड़ बल्लेबाज भी थी उनकी बल्लेबाजी का नमूना हमने कई बार आईपीएल में देखा है। उन्हे हाल ही में हुई रोड सेफ्टी सीरीज में भी सचिन तेंदुलकर के साथ खेलते हुए देखा गया था। क्षमता होने के बावजूद भी भारत के लिए 2015 में उन्हे केवल एक टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला।

पार्थिव पटेल:

असीम क्षमता का भंडार कहे जाने वाले पार्थिव पटेल ने 17 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था। पार्थिव पटेल भी धोनी की छाया में सिमट कर रहे गए। पार्थिव ने बेहद छोटी उमर में भारत के लिए डेब्यू किए। उन्होंने कई बार माना की जल्दी भारतीय टीम उन्हों मौके मिलने के कारण उनको नुकसान हुआ और वह प्रिपक्वता से नहीं खेल पाए और मिले मौकों को नहीं भुना पाए।पार्थिव पटेल ने भारत के लिए केवल 25 टेस्ट 38 वनडे और 2 टी-20 मैच खेले।

दिनेश कार्तिक:

कमबैक किंग कहे जाने वाले दिनेश कार्तिक भी टीम इंडिया में कभी ऑन तो कभी ऑफ रहे। उन्हे भारतीय टीम में भरपूर्ण मौके मिले जिन्हे वह आज तक नहीं भुना पा रहे हैं। रिटोरमेंट की उमर में भारतीय सेलेक्टर्स ने उन्हें एक बार फिर मौका दिया है। उन्हे भारतीय टी-20 टीम में फिनिशर के रूप में रखा गया हैं टी 20 वर्ल्ड कप में अभी तक कार्तिक कोई छक्का नहीं लगा पाए हैं। अभी भी उनके पास मौका है भारत के लिए रन बनाने का क्योंकि वर्ल्ड कप के बाद उनका टीम से बाहर होना लगभग तय हैं। दिनेश कार्तिक ने भारत के लिए 26 टेस्ट और 94 वनडे खेले हैं। टी 20 में अभी भी वह खेल रहे है।

रॉबिन उथप्पा:

आईपीएल में 2 बार ऑरेंज कैप जीतने वाले रॉबिन उथप्पा ने ये बता दिए था कि उनमें गजब की प्रतिभा है। मगर धोनी के आगे उन्हे कभी नहीं आंका गया। आपको बता दे रॉबिन भारतीय टी 20 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा थे और लगभग पूरा वर्ल्ड कप भी खेला था और दमदार प्रदर्शन भी किया था। रॉबिन उथप्पा ने भारत के लिए 46 टेस्ट और 13 टी-20 मैच खेले।

ऋद्धिमान साहा:

टेस्ट क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी के विकल्प के रूप में साहा को रखा जाता था जब धोनी को आराम की जरूरत होती थी तब उन्हे याद किया जाता था वो भी विशेषकर टेस्ट क्रिकेट में। 2014 में धोनी ने टेस्ट फॉर्मेट से सन्यास ले लिया था। जिसके बाद शाहा को कुछ मौके मिले मगर बात फिर वही अटकी बल्लेबाजी की। बल्लेबाजी में साहा उतने दमदार नहीं दिखे। जिसके बाद ऋषभ पंत को उनकी जगह चुना जाने लगा। साहा ने भारत के लिए 40 टेस्ट और 9 वनडे खेले हैं।

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