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“लीची की भूमि” के नाम से प्रसिद्ध बिहार का यह जिला

Bihari News

भूमिका

आज हम बात करेंगे बिहार के उस जिले के बारे में जो लीची की भूमि के नाम से प्रसिद्ध है. जिस जिले में स्वतंत्रता सेनानियों की सफलता ने अंग्रेजों की चिंता बढ़ा दी थी. जो हिन्दू और इस्लाम संस्कृति और विचारों का एक बैठक स्थल बना. जो क्रांतिकारियों की कर्मभूमि के नाम से प्रसिद्ध रहा. अब और सस्पेंस ना रखते हुए हम आपको बता दें की हम जिस जिले के बारे में बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि मुजफ्फरपुर जिला है. इस जिले का नाम एक ब्रिटिश राजस्व अधिकारी मुजफ्फर खान के नाम पर पड़ा था. इस जिले का मुख्यालय मुजफ्फरपुर शहर में हीं स्थित है.

चौहद्दी और क्षेत्रफल

यदि इस जिले की चौहद्दी देखे तो पूरब की दिशा में दरभंगा और समस्तीपुर, पश्चिम की दिशा में सारण और गोपालगंज व उत्तर की दिशा में सीतामढ़ी व पूर्वी चंपारण वहीँ दक्षिण की दिशा में वैशाली व सारण जिला मौजूद है. मुजफ्फरपुर जिले में दो अनुमंडल, 16 प्रखंड और कुल 1811 गाँव है. यहाँ की कुल जनसँख्या 2011 के अनुसार 48,01062 है.

इतिहास

आइये अब अपने इस चर्चा में हम जानते हैं मुजफ्फरपुर जिले के इतिहास के बारे में. 18वी सदी के समय में यह जिला अपने अस्तित्व में आया और इसका नाम एक अमिल मुज़फ्फर खान के नाम पर रखा गया. जिसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं. प्राचीन काल के समय यह मिथिला राज्य का हीं एक अंग था. लेकिन आगे चल कर मिथिला से वैशाली तक इसके राजनितिक सत्ता का केंद्र स्थानांतरित हो गया. फिर इस जिले का इतिहास वज्जि गणराज्य के उदय के समय से देखा जा सकता है. आठ समूहों का वज्जि साम्राज्य एक सम्मिलन था. इन आठ समूहों में सबसे अधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली लिच्छवी थे. जब चीनी यात्री ह्वेनसांग तीसरी सदी के समय भारत आये तो उन्होंने अपने यात्रा का विवरण किया था. उनके यात्रा के विवरण को देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है की महाराजा हर्षवर्धन का इस क्षेत्र में काफी समय तक शासन रहा. जब महाराजा की मृत्यु हो गयी तो स्थानीय क्षत्रपों ने अपना शासन यहाँ जमा लिया. आगे चल कर बंगाल के पाल वंश का आठवीं सदी के बाद इस क्षेत्र में शासन शुरू हुआ. उनका यह शासन 1019 तक देखने को मिला. 11वी सदी में तिरहुत पर कुछ समय तक चेदी वंश द्वारा भी शासन किया गया. यहाँ का पहला मुसलमान शासक तुगलक वंश से गयासुद्दीन एवज आया जो सन 1211 से लेकर 1226 के बीच तक रहा. फिर हरिसिंह देव जो की चंपारण के सिमराओं वंश शासक थे उन्होंने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जमा लिया. आगे चल कर कामेश्वर ठाकुर जो की मिथिला के शासक थे उन्हें यह सत्ता उन्होंने सौंप दी. यहाँ कई क्रांतिकारी ऐसे रहें जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में एक नयी जान फूंक दी. यह क्षेत्र जुब्बा सहनी, खुदीराम बोस और पंडित सहदेव झा जैसे क्रांतिकारियों की कर्मभूमि रही. 1908 के प्रसिद्ध बम मामले में यह जिला चर्चित रहा. खुदीराम बोस जो एक युवा बंगाली क्रांतिकारी था उसने महज 18 साल के उम्र में हीं अंग्रेज अधिकारी के गाड़ी पर बम फेंक दिया था. खुदीराम बोस को इस मामले के लिए फांसी पर लटका दिया गया. आगे चल कर खुदीराम बोस जैसे क्रन्तिकारी देशभक्त के लिए यहाँ स्मारक भी बनाया गया जो अब भी मौजूद है. वर्ष 1920 में महात्मा गाँधी ने भी इस जिले का दौरा किया था. इस जिले के क्रांतिकारियों ने लगातार 1930 के नमक आन्दोलन से 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में अपना अहम् योगदान दिया. शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली जिला 1972 तक मुजफ्फरपुर जिले में हीं शामिल था. इस जिले को हिन्दू और इस्लामी सभ्यताओं के मिलन स्थली और इसके सांस्कृतिक पहचान के रूप में भी लोग देखते हैं.

प्रसिद्ध व्यक्ति

आइये अब अपने आगे के इस चर्चा में हम बात करते हैं यहाँ के प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में.

प्रसिद्ध व्यक्ति की सूचि में सबसे पहले हम बात करेंगे कलम के जादूगर कहे जाने वाले रामबृक्ष बेनीपुरी की. यह पेशे से एक कवी, साहित्यकार और पत्रकार थे. इनका जन्म 1899 में मुजफ्फरपुर जिले में हीं हुआ था. ये अपना सम्बन्ध राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस से भी रखते थे. अपने जीवन काल में बेनीपुरी हमेशा राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता संग्राम सम्बन्धी कार्यों में संलग्न रहे. इनकी रचनाओं में जय प्रकाश, नेत्रदान, सीता की माँ, मील के पत्थर, गेंहू और गुलाब, माटी की मूरत जैसी अनेकों प्रसिद्ध रचनाएँ शामिल है. इनके सम्मान में अखिल भारतीय रामबृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार बिहार सरकार द्वारा दिया जाता है.

दूसरे नंबर पर हम बात करते हैं स्वतंत्रता सेनानी मगफुर अहमद अजाजी की. ये स्वतंत्रता सेनानी होने के साथसाथ लेखक, कवी समाज सेवक और राजनितिक कार्यकर्त्ता भी थे. यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी बड़े नेता और सेनानी थे. इनका जन्म वर्ष 1900 में मुजफ्फरपुर जिले में हीं हुआ था. ये मुज्ज़फरपुर में आयोजित उर्दू सम्मलेन के अध्यक्ष थे. इस सम्मलेन में पहली बार एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमे उर्दू को बिहार में एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करने की मांग की गयी थी.

अब हम बात करेंगे जुब्बा सहनी के बारे में. इनका नाम भी स्वतंत्रता सेनानियों की सूचि में शुमार है. साल 1942 में भारत छोडो आन्दोलन के समय इन्होने एक अंग्रेज लियो वालर जो की मीनापुर थाने का एक अंग्रेज इंचार्ज था उसे जिन्दा हीं आग में जला दिया. फिर वर्ष 1944 में पकड़े जाने पर इन्हें फांसी की सजा दे दी गयी. जुब्बा सहनी के नाम पर हीं मुजफ्फरपुर में जुब्बा सहनी पार्क और एक खेल स्टेडियम बना.

कैसे पहुंचे

आइये अब अपने इस चर्चा में हम जानते है की सड़क, रेल और हवाई मार्ग के जरिये मुजफ्फरपुर कैसे पहुंचे.

  • सड़क मार्ग

यह जिला बिहार के कई प्रमुख मार्गों से जुड़ता है. यदि राजधानी पटना से सड़क मार्ग के जरिये मुजफ्फरपुर आना चाहे तो वाया NH 22 के जरिये आ सकते हैं. यह सफ़र 83.7 किलोमीटर तक में है. जिसकी दूरी तय करने में दो घंटे और दस से पंद्रह मिनट तक का समय लग सकता है. यह सड़क आपको हाजीपुर और गोरौल होते हुए मुजफ्फरपुर तक ले जाएगी.

जानकारी के लिए बताते चलें की जब आप मुजफ्फरपुर के लिए आ रहें हैं और रास्ते में BR 06 नंबर वाली गाड़ियाँ दिखाई देने लगे तो समझ जाइये की इस जिले में आपका प्रवेश हो चूका है और आप सही रास्ते से जा रहे हैं.

  • रेल मार्ग

आइये अब अपने आगे के चर्चा में हम जानते हैं यहाँ के रेल मार्ग के बारे में. मुजफ्फरपुर जंक्शन भारतीय रेल के पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र में महत्वपूर्ण जंक्शनो में से एक है. इस जंक्शन का स्टेशन कोड MFP है. यहाँ से भारत के कई नगरो और महानगरों के लिए आपको आसानी से ट्रेन मिल जाएगी. यदि आप पटना जंक्शन से मुजफ्फरपुर जंक्शन आना चाहते हैं तो आपको वहां से डायरेक्ट ट्रेन की सुविधा नहीं मिलेगी. ट्रेन लेने के लिए आपको पाटलिपुत्र जंक्शन या हाजीपुर जंक्शन जाना होगा. वहीँ मुजफ्फरपुर से भी ट्रेन पाटलिपुत्र जंक्शन या हाजीपुर जंक्शन तक हीं आती है. फिर इन स्टेशनो से आपको पटना जाने के लिए आसानी से ऑटो मिल जाएँगी. जिसका किराया लगभग 50 रुपये तक होगा. मुजफ्फरपुर जंक्शन के अलावे इस जिले में नारायणपुर जिसका स्टेशन कोड NRPA, सीहो जिसका स्टेशन कोड SIHO, सिलौत जिसका स्टेशन कोड SLTऔर ढोली जिसका स्टेशन कोड DOL है आदि स्टेशन भी शामिल है.

  • हवाई मार्ग

चलिए अब आखिरी में हम बात करते हैं हवाई मार्ग की. यहाँ का सबसे नजदीकी हवाईअड्डा पताही हवाईअड्डा है. लेकिन यह लम्बे समय से बंद पड़ा है. इसके अलावे पटना का जयप्रकाश नारायण हवाईअड्डा है. इस हवाईअड्डे से भारत के कई प्रमुख नगरों और महानगरों के लिए विमाने उड़ान भरती है और नगरों और महानगरों से इस हवाई अड्डे पर विमाने उतरती हैं. फिर इस एअरपोर्ट से आप ट्रेन, निजी गाड़ी या बस जैसे अन्य वाहनों के जरिये मुजफ्फरपुर आसानी से आ सकते हैं.

पर्यटन स्थल

आइये अब आगे की चर्चा में हम जानते हैं इस जिले में मौजूद पर्यटन स्थलों के बारे में.

  • जुब्बा सहनी पार्क

जुब्बा सहनी पार्क मुजफ्फरपुर शहर में हीं स्थित है. स्टेशन से इसकी दूरी लगभग दो किलोमीटर तक है. स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने वाले क्रांतिकारी के नाम पर हीं पार्क की स्थापना हुई थी. जुब्बा सहनी की चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं.

  • बाबा गरीबनाथ मंदिर

बाबा गरीबनाथ का मंदिर मुजफ्फरपुर में प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यह मंदिर बिहार के देवघर के नाम से प्रचलित है. बता दें की यह मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है. सावन के महीने में दूरदूर से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. यह मंदिर भी मुजफ्फरपुर शहर में हीं स्थित है. स्टेशन से इसकी दूरी एक से डेढ़ किलोमीटर तक में होगी.

  • लीची गार्डन

लीची उत्पादन के लिए यह जिला बहुत प्रसिद्ध है यह तो हर कोई जानता है. लीची के लिए यहाँ कई लीची गार्डन भी आपको देखने को मिल जायेंगे. लगभग तीन लाख टन लीची का उत्पादन यह जिला अकेले हर साल करता है. बोचहा, मुसहरी और झपहा जैसे क्षेत्रों में आपको कई लीची के बगान देखने को मिलेंगे. इन सभी क्षेत्रो की दूरी मुजफ्फरपुर से दस से पंद्रह किलोमीटर तक के रेंज में है.

  • रामचंद्र शाही संग्रहालय

अब बात करते हैं रामचंद्र शाही संग्रहालय की. इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए यह जगह बेहद हीं पसंद आएगा. साल 1979 में इस संग्रहालय की स्थापना हुई थी. तृतीय शताब्दी से लेकर 13वी शताब्दी तक के आपको संरक्षित बौद्ध स्तूप, मुहर, जैन और महावीर जैसी कई कलाकृतियाँ देखने को मिल जाएँगी. शहर से कुछ हीं दूरी पर यह संग्रहालय स्थित है.

  • चतुर्भुज स्थान

चतुर्भुज नारायण का मंदिर भी मुजफ्फरपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. भगवान् विष्णु की शालिग्राम की प्रतिमा इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित है. अन्कुट महोत्सव के आयोजन में यहाँ दूरदूर से आये कई श्रधालुओं का जमावड़ा देखने को मिलता है.

  • कोल्हुआ

अब हम अंतिम में बात करते हैं सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल कोल्हुआ की. यह मुजफ्फरपुर जंक्शन से लगभग तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ आपको मौर्य सम्राट अशोक द्वारा निर्माण करवाए गये अखंड पौलिश बलुआ पत्थर का खम्भा देखने को मिल जायेगा.

कृषि और अर्थव्यवस्था

चलिए अब अपनी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए हम जानते हैं यहाँ के कृषि और अर्थव्यवस्था के बारे में. इस जिले में लोगों के आय का मुख्य स्रोत कृषि है. यहाँ धान, गेंहू, मक्का, मरुआ यानि रागी, जुट, राई और सरसों, रेंडी या अरंडी, अरहर, चना तथा तम्बाकू जैसे फसलो की खेती की जाती है. इसके अलावे यहाँ के शाही लीची की मांग केवल राष्ट्रिय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिलती है. यहाँ का लहठी बाज़ार भी राष्ट्रिय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान रखता है. यहाँ के लहठी की मांग पर्व त्यौहार और शादी विवाह के मौके पर भी खूब देखने को मिलती है.

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