शांत स्वभाव बेखौफ बल्लेबाज जिसने सिर्फ मनोरंजन के लिए क्रिकेट खेला….

क्रिकेट के लिए सबकुछ झोंकने वाला खिलाड़ी सिर्फ इंटरटेनमेंट के लिए क्रिकेट खेला

7 नंबर पर खेलने वाला खिलाड़ी ओपनिंग करने के बाद रिकोर्डो की झड़ी लगा दी

वो खिलाड़ी जो टेस्ट क्रिकेट को टी20 की तरह खेलता था

जब तत्कालीन पीएम ने गिलक्रिस्ट ने रिटायरमेंट वापस लेने का आग्रह किया

दोस्तों क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया इकलौती ऐसी टीम है जिसने सबसे ज्यादा विश्व कप खिताब अपने नाम किए है अगर दूसरे शब्दों में कहें तो ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट का बादशाह है। किसी टीम की बादशाहत और रूतबा इस बात पर निर्भर करता है कि उस टीम में खेल रहे खिलाड़ी कितने अक्रामक और असरदार है। टीम की विजय भी इसी बात पर निर्भर करती है कि उसकी बैटिंग से लेकर l बोलिंग और फिल्डिंग में कितना दमखम है। क्रिकेट के इतिहास में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम में ऐसे बड़े बड़े दिग्गजो ने टीम के साथ खेला है जो अपने आपमें कुछ अलग करने का जज्बा रखते थे। 90 के दशक में ऑस्ट्रेलिया टीम में एक ऐसा विकेट कीपर बल्लेबाज था। जिसके सामने बड़ी से बड़ी विरोधी टीमों के गेंदबाज रहम की भीख मांगते थे। बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने अपनी बेखौफ बल्लेबाजी से गेंदबाजों ने खौफ पैदा कर देता था। जिसने शुरुआत कभी 7 नंबर क्रम से की थी लेकिन ओपनर बनने के बाद रिकार्डो की झड़ी सी लगा दी। वो कोई और नहीं पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और विकेट कीपर बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट है।

हम बात करने वाले हैं ऑस्ट्रेलियाई टीम के उस ओपनर बल्लेबाज की जिसकी रगों में क्रिकेट बसता था। लेकिन जब क्रिकेटर बना तो सिद्दात से नही बल्कि इंटरटेनमेंट के लिए क्रिकेट खेला। फिर भी दुनिया उसकी बेखौफ बल्लेबाजी की दीवानी है। यही वजह है कि इतिहास के पन्नो में धूल पड़ने के बाद भी एडम गिलक्रिस्ट का नाम उभरकर नजर आता है…

एडम गिलक्रिस्ट का जन्म 14 नवंबर साल 1971 को न्यू साउथ वेल्स के बेलिंगन में हुआ था। इनका पूरा नाम एडम गिलक्रिस्ट है। साथी खिलाड़ी इन्हे गिली नाम से बुलाते हैं। गिलिक्रिस्ट अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं पिता का नाम स्टेनली और मां का नाम जुन गिलक्रिस्ट है। गिलक्रिस्ट ने अपनी शुरुआती दौर की पढ़ाई डेलीनक्वाम पब्लिक स्कूल से की थी। और यहीं उन्होंने अपने अंदर छिपे क्रिकेट के हुनर को पहचाना। जब गिलक्रिस्ट ने अपने स्कूल की तरफ से खेलते हुए ब्रियन टैबर शील्ड अपने नाम की। यह टूर्नामेंट न्यू साउथ वेल्स के दिग्गज क्रिकेटर ब्रियन टैबर के नाम से खेली जाती है। इसी घटना के बाद गिलि का क्रिकेट के प्रति समर्पण और भी ज्यादा हो गया। गिली जब 13 साल के थे तो उनके पिता एक शहर से दूसरे शहर चले गए। और आगे की पढ़ाई के लिए पिता ने गिली का एडमिशन कदीना हाई स्कूल में करा दिया। शहर के नए आगोश में गिली के लिए परिस्थितियां बदली , समाज बदला और मैदान बदला लेकिन जो बदलता नजर नही आया वो था गिलिक्रिस्ट का क्रिकेट के प्रति लगाव।

नए शहर में गिलि फिर से अपनी प्रतिभा को चमकाने लग गए। और स्कूल में घंटो प्रैक्टिस किया करते थे। क्रिकेट के प्रति के हौंसले और जूनून को देखते हुए गिली को स्कूल क्रिकेट टीम का कप्तान बना दिया गया। यहां गिलक्रिस्ट शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी इस प्रतिभा की वजह से गिली का चयन स्टेट की अंडर 17 टीम में हो गया ,साथ ही मैदान पर उनके शानदार प्रदर्शन की वजह से 1989में उन्हें लंदन के रिचमंड क्रिकेट क्लब से स्कॉलरशिप मिली।यहां से गिलक्रिस्ट को समझ आ गया कि वे खेल के साथ पैसा भी कमा सकते है। फिर पूरा फोकस क्रिकेट पर लगाया। नतीजा यह रहा कि गिलिक्रिस्ट जूनियर क्रिकेट में एक के बाद एक झंडे गाड़ते चले गए। गिलिक्रिस्ट के अदभुत प्रदर्शन को देखते हुए उनका चयन 1991 में इंग्लैंड दौरे के लिए आस्ट्रेलियाई नेशनल यूथ टीम में हो गया। जहां गिलिक्रिस्ट ने तीन टेस्ट मैच में एक शतक और एक अर्द्ध शतक बनाया। इस बेहतरीन प्रदर्शन के बाद गिलिक्रिस्ट को डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने के लिए ज्यादा इंतजार नही करना पड़ा। साल 1992 को उन्होंने न्यू साउथ वेल्स की तरफ से घरेलू क्रिकेट में डेब्यू किया। यहां भी गिलक्रिस्ट का बल्ला चला और पहले सीजन में 274 रन बना डाले और टीम को खिताब जितवा दिया। लेकिन यहां गिलक्रिस्ट को विकेट कीपिंग करने का मौका नहीं मिला।

साल 1994-95 का घरेलू सीजन वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के तरफ से खेला। और यहां उन्हे विकेट के पीछे हाथ आजमाने का मौका मिला। ” जो जिम्मेदारी में ना निखरे वह हुनर ही क्या। इस सीजन में गिलक्रिस्ट ने विकेट के पीछे 55 शिकार किए। गिलक्रिस्ट के चर्चे अब पूरे ऑस्ट्रेलिया में होने लगे थे। गिलक्रिस्ट के लिए अब इंटरनेशनल क्रिकेट बहुत दूर नहीं था। 25 अक्टूबर 1996 को 129 नंबर की कैप पहनकर साउथ अफ्रीका के खिलाफ इस खिलाड़ी ने वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया। हालाकि पहले ही मैच में वो सिर्फ 18 रन बनाकर एलन डोनाल्ड की गेंद पर बोल्ड हो गए। इस मैच के बाद गिलक्रिस्ट को ड्रॉप कर दिया गया।लेकिन इयान हीली की गैरमौजूदगी में फिर वापसी हुई तो इस बार बल्लेबाजी के साथ विकेट कीपिंग करने का मौका भी मिला। दोबारा मिले मौके को गिलक्रिस्ट ने दोनो हाथो से लपका और 77 रन की आतिशी पारी खेल डाली। इसके बाद उन्हें इंग्लैंड दौरे पर भी चुना गया। गिलक्रिस्ट शुरुआती करियर में सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते थे। जहां कम गेंद मिलने की वजह से वे दबाव महसूस करते थे। तब गिलक्रिस्ट ने मार्क वा और स्टीव वा से बात की तो उन्होंने ओपनिंग करने का सुझाव दिया। और फिर यहां से ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक बेखौफ ओपनर बल्लेबाज मिला। साउथ अफ्रीका के खिलाफ ओपन करते हुए गिलक्रिस्ट ने करियर और वनडे का पहले शतक जमा दिया। इस मैच के बाद तो गिलक्रिस्ट ने इस जगह को सीमेंट की तरह जमा ली। फिर उन्हे ओपनिंग की ही जिम्मेदारी मिली। गिलक्रिस्ट को दुनिया ने अब तक सिर्फ बल्लेबाजी में करिश्मा दिखाते हुए देखा था लेकिन साल 1998 के कोका कोला कप में गिलक्रिस्ट ने अपनी विकेट कीपिंग में भी करतब दिखा दिया। और एक मैच में 9 खिलाड़ियों को विकेट के पीछे शिकार बनाया।

गिलक्रिस्ट ने यहां से पीछे मुड़कर नही देखा। और 1999 के विश्व कप की ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा बने। लेकिन शुरुआती मैचों में उनका बल्ला खामोश रहा। फिर बांग्लादेश के खिलाफ 63 रनों की पारी ने पुराना गिलक्रिस्ट वापस दिला दिया। इसके बाद फाइनल मैच में 54 रनों की अहम पारी खेली और ऑस्ट्रेलिया विजेता बन गया। गिलक्रिस्ट ने रंगीन जर्सी पर जो धमाल मचाया उसके बाद उन्हें सफेद जर्सी में धमाल मचाने के लिए 5 नवंबर 1999 को पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका दिया गया। यहां उन्होंने साबित कर दिया की जर्सी का रंग बदला है ना कि गिलक्रिस्ट की बल्लेबाजी की कला। पहली पारी में 88 और दूसरी पारी में 149 रन बनाए । साथ ही टेस्ट में पहला शतक लगाया। गिलक्रिस्ट दोनो ही फॉर्मेट में अच्छा कर रहे थे। साल 2000 के अंत में उन्हे उप कप्तान बना दिया गया।

2003 के विश्व कप में गिलक्रिस्ट विरोधी टीमों पर कहर बनकर टूटे। उन्होंने विश्व कप में 408 रन बनाए। फाइनल मैच में भारत के खिलाफ 57 रनों की शानदार ने विश्व कप ऑस्ट्रेलिया की झोली में चला गया। 2003 विश्व कप के बाद 2007 का विश्व कप गिलक्रिस्ट के लिए आखिरी विश्व कप साबित हुआ। लेकिन पूरे टूर्नामेंट में में गिलक्रिस्ट ने 2003 विश्व कप जैसी आतिशी पारियां खेली। और 11 मैचों मे 453 रन बनाए। यह विश्व कप भी ऑस्ट्रेलिया की झोली में आ गिरा।और ऑस्ट्रेलिया ने विश्व कप जीत की हैट्रिक लगा दी। इसी विश्व कप में गिलक्रिस्ट ने फाइनल मैच में 149 रनों की आतिशी पारी खेली थी। ये उनका आखिरी शतक भी था। लेकिन जहां इस पारी ने गिलक्रिस्ट को हीरो बना ही दिया था साथ में विलेन भी। चलिए आपको वो एक छोटा सा किस्सा बता देते है।

दरअसल हुआ कुछ यूं था कि गिलक्रिस्ट ने फाइनल मैच में जो शानदार 149 रन बनाकर शतक बनाया था उसका सेलिब्रेशन करते हुए उन्होंने बल्ले के साथ अपने ग्लब्ज भी दिखाए जो किसी गोल संरचना के कारण उभरा हुआ लग रहा था। इस घटना को स्टेडियम में बैठे लाखों की संख्या में दर्शक और टीवी से जुड़े करोड़ो दर्शक देख रहे थे। साथ ही मैदान पर विरोधी टीम श्री लंका के सभी खिलाड़ी इस घटना से रु ब रू हो रहे थे। मैच के बाद प्रेजेंटेशन सेरेमनी में गिलक्रिस्ट ने खुद इस घटना की सच्चाई सबको बताई। उन्होंने बताया था कि ग्लब्ज के अंदर उन्होंने एक स्क्वैश बॉल रखी थी जिससे उन्हें शॉट खेलने में ज्यादा स्टेबिलिटी मिल सके। इसके बाद इस घटना की शिकायत श्रीलंकन बोर्ड ने आईसीसी से की। जहां गिलक्रिस्ट ने बड़ी मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा। और आईसीसी की मोटी रूल बुक में ऐसा कोई नियम नहीं था जो इस घटना को चीटिंग बता सके। जिसके बाद आईसीसी ने गिलक्रिस्ट को हरी झंडी दे दी। और मीडिया के सामने मुखातिब होकर बताया कि फाइनल मैच में गिलक्रिस्ट ने कोई नियम नहीं तोड़ा और ना ही किसी को ठेस पहुंचाई है। यह उनका खेलना का अनोखा अंदाज था।

साल 2008 में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के बाद गिलक्रिस्ट ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया तो ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन केविन रूड ने रिटायरमेंट वापस लेने की बात कही। मगर ऐसा नहीं हुआ। 2008 से लेकर 2011 तक IPL में डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद की तरफ से खेले। जहां 2009 में डेक्कन चार्जर्स चैंपियन बनी। इसके बाद साल 2013 में गिलक्रिस्ट किंग इलेवन पंजाब का हिस्सा बने। इस खिलाड़ी ने कुल 80 ipl मैचों मे 2069 रन बनाए। वहीं 96 टेस्ट , 287 वनडे और 13 टी 20 क्रिकेट में लगभग 16 हजार रन बनाए है।

दोस्तों, एडम गिलक्रिस्ट जैसे तूफानी और बेखौफ बल्लेबाज की जर्नी को आप कैसे देखते हैं ? हमें कमेंट करके बता सकते हैं .

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *