बिहार में जमीन से जुड़े सबसे ज्यादा मामले हैं. ऐसे में बिहार सरकार लगातार जमीन से जुड़े मामलों को खत्म करना चाहती है. इसी कड़ी में जमीन दाखिल खारिज से जुड़े मामलों को बिहार सरकार समाप्त करना चाहती है. पिछले दिनों ही बिहार सरकार ने दाखिल खारिज के नियमों में बदलाव किये थे ऐसे में अब दाखिल खारिज के ऑनलाइन नियमों में बदलाव की बात कही गई है. बता दें कि दाखिल–खारिज अपील के मामलों में ऑनलाइन आवेदन देने के लिए साल 2006-07 की समय सीमा खत्म कर दी गई है. अब इसके लिे पहले यानी कि 16 साल पहले के पुराने मामलों के निष्पादन के लिए भी जिला भूमि सुधार उप समाहर्ता DCLR कोर्ट में अपील दायर किया जा सकता है. इसके लिए अब सॉफ्टवेयर में संशोधन कर दिया गया है.
इस पूरे मामले को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इससे संबंधित एक पत्र सभी समाहर्ता को लिखा है. जिसमें उन्होंने सभी डीसीएलआर को निर्देश देते हुए कहा है कि दाखिल खारिज अपील/ पुनरीक्षण वाद मामले में साल 2006-07 के पूर्व के मामलों को भी ऑनलाइन स्वीकार करने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. पिछले दिनों जब यह सेवा शुरू की गई थी तो 2006 के बाद के मामलों में ऑनलाइन अपील करने का प्रावधान किया गया था. अंचलाधिकारी द्वारा दाखिल–खारिज को अस्वीकृत करने की स्थिति में भूमि सुधार उप समाहर्ता को सुनवाई कर निर्णय लेने का अधिकार है. दाखिल–खारिज की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के कुछ दिनों के बाद विभाग ने दाखिल खारिज अपील को भी ऑनलाइन कर दिया था उस समय साल 2006-07 का जो समय–सीमा की पाबंदी लागयी गयी थी. उसे आम लोगों की सुविधा को देखकर हटा दिया गया है.
मीडिया में चल रही खबरों की माने तो नए आंकड़ों के अनुसार अबतक एक करोड़ से अधिक दाखिल खारिज के मामले ऑनलाइन दायर किये गए हैं. जिसमें करीब एक तिहाई अंचलाधिकारियों द्वारा कई अन्य कारणों से रद्द कर दिया गया है. इन रद्द मामलों को देखते हुए विभाग ने एक मार्च से पूरे प्रदेश के अंचलों में फीफो लागू कर दिया है. और अस्वीकृत मामलों की ऑनलाइन आवेदन देने में पहेल से चली आ रही समय सीमा में संशोधन किया है. अंचल कार्यालय में दाखिल–खारिज के मामले अस्वीकृत होने पर 30 दिनों के भीतर DCLR कोर्ट में अपील दायर करने का प्रावधान किया गया है. ऐसे में यह बताया गया है कि अगर DCLR को यह लगता है कि गलत तरीके से उनका आवेदन रद्द कर दिया गया है ऐसे में DCLR को यह अधिकार है कि एक महीने की समय सीमा को बढ़ाकर आवेदन स्वीकृत करने का अधिकार है. ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त इस तरह के आवेदन की सुनवाई के बाद 30 दिनों की तय समय सीमा के भीतर निबटारा किया जाना है.
इस पूरे प्रकरण को लेकर भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता का कहना है कि भूमि सुधार अप समाहर्ता और अपर समाहर्ता अनुरोध कर रहे हैं कि सभी पुराने मामलों में ऑनलाइन आवेदन देने की सुविधा लोगों को दी जाए. इसी को ध्यान में रखते हुए यह ध्यान यह व्यवस्था की गई है. विभाग के मंत्री का कहना है कि अब लोग दाखिल खारिज के अस्वीकृत मामलों में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा से लाभान्वित होंगे. आपको बता दें कि बिहार में जमीन से जुड़े सबसे ज्यादा मामले हैं. खासकर अपराध से जुड़े मामले हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसको समाप्त करने को लेकर कई तरह के कार्य कर रहे हैं.