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भारत का वो प्रतिभाशाली खिलाड़ी जिसने गेंद और बल्ले दोनों से किया कमाल, फिर भी नहीं मिला ऑलराउंडर का टैग

Bihari News

एक खिलाड़ी जो बनना चाहता था बल्लेबाज, लेकिन कभी नहीं मिला बल्लेबाज का तगमा. जिसके गुरु थे क्रिकेट के द्रोणाचार्य रमाकांत आचरेकर. खिलाड़ी ने बार-बार दिखाया अपने बल्ले का जौहर, लेकिन फिर भी रहा एक गेंदबाज ही. गेंद और बल्ले दोनों से किया कमाल, फिर भी नहीं कहलाया ऑलराउंडर

आज की कहानी एक ऐसे क्रिकेटर की, जो ऑलराउंडर होते हुए भी कभी नहीं कहलाया ऑलराउंडर
आज की कहानी एक अनसंग हीरो अजीत अगरकर की.

दोस्तों क्रिकेट बड़ा ही अद्भुत खेल है, कोई खिलाड़ी रातों-रात स्टार बन जाता है, तो किसी को पूरे करियर में वो नेम और फेम नहीं मिलता, जिसके वो हक़दार हैं. इस लेख में हम आपको ऐसे ही एक खिलाड़ी के बारे में बताएंगे, जिन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से उम्दा प्रदर्शन किया लेकिन, उन्हें कभी भी ऑलराउंडर का टैग नहीं मिल पाया. जिसने 21 गेंदों में तूफानी अर्धशतक लगाया, जिसने शतक क्या तीसरा शतक भी लगाया. अगरकर ने क्रिकेट की शुरुआत तो कि एक बल्लेबाज के रूप में की और रमाकांत अचरेकर से बल्लेबाजी के गुर सीखे लेकिन बाद में अपनी गेंदबाजी में मेहनत कर भारत के लीड गेंदबाज बने. ये वही रमाकांत अचरेकर हैं, जिन्हें क्रिकेट का द्रोणाचार्य कहा जाता है, जिन्होंने भारत को और विश्व को सचिन तेंदुलकर जैसा कोहिनूर दिया.
अचरेकर ने अगरकर को देखते ही कहा, ‘क्रिकेट तुम्हारा शौक नहीं, एक दिन जुनून बनेगा.’

अब अगरकर की पहचान एक बल्लेबाज के रूप में होने लगी साथ ही उन्होंने अपनी गेंदबाजी पर भी मेहनत किया. और अब उनकी पहचान एक ऐसे बल्लेबाज के रूप में होने लगी जो जरुरत पड़ने पर गेंदबाजी भी कर लेते हैं और विकेट भी चटका लेते हैं. उस वक्त मुंबई से एक से बढ़कर एक बल्लेबाज निकल रहे थे. अगरकर भी उस वक्त ऐसे ही बल्लेबाज थे, जो बल्ले से सचमुच आग उगल रहे थे. अंडर-16 के मशहूर जायल शील्ड टूर्नामेंट में अजीत अगरकर ने खूब सारे रन बनाए. महज 15 साल की उम्र में अजीत अगरकर ने मुंबई की रणजी टीम में जगह बनाई. ये वो दौर था जब मुंबई की टीम की तूती बोलती थी और इस टीम में चयन होना ही काफी गर्व की बात हुआ करती थी. अगरकर ने न सिर्फ टीम में जगह बनाई बल्कि तिहरा शतक जड़कर सबको अपना दीवाना बना दिया. लोग उनकी तुलना सचिन से करने लगे. इसके बाद अगरकर ने अपनी गेंदबाजी में निखार लाना शुरू कर दिया. लेकिन इसी बीच भारत की अंडर-19 टीम की तरफ से खेलते हुए श्रीलंका अंडर-19 के खिलाफ भी शतक जड़ दिया. फिर आया साल 1998, जब अगरकर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की वनडे टीम में जगह मिली. अगरकर ने इस मैच से लेकर अगले 13 वनडे मैचों तक सभी में विकेट लिया.

अजीत अगरकर के नाम क्रिकेट के कई शानदार रिकॉर्ड दर्ज हैं. एकदिवसीय क्रिकेट में भारत की तरफ से सबसे तेज 50 विकेट लेने का रिकॉर्ड अगरकर के ही नाम है. इसके अलावा अगरकर के नाम भारत की ओर से सबसे तेज वनडे अर्धशतक लगाने का भी रिकॉर्ड है. उन्होंने साल 2000 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 21 गेंदों में 50 रन बना डाले थे. अजीत अगरकर के नाम एक और रिकॉर्ड है, जो बेहद खास है. अजीत ने वो कारनामा किया है, जो सचिन तेंदुलकर जैसा महान बल्लेबाज भी नहीं कर सका है. क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में अगरकर ने नंबर-8 पर बल्लेबाजी करते हुए शानदार शतक लगा दिया था.

अगरकर के नाम सबसे कम वनडे मैचों में 200 विकेट और 1000 रन बनाने का भी रिकॉर्ड है. लेकिन इन कारनामों और रिकॉर्ड के बावजूद अगरकर की गिनती ऑलराउंडर के रूप में नहीं हुई. आपको क्या लगता है? क्या अजीत अगरकर को ऑलराउंडर का टैग मिलना चाहिए या नहीं ? कमेंट में हमें बताएं.

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