बिहार के लोगों के लिए खुशखबरी है. बहुत ही जल्द बिहार खाद के मामले में आत्मनिर्भर होने वाला है. पिछले लंबे समय से बिहार में खाद को लेकर बायानबाजी देखने को मिलता रहा है. केंद्र सरकार की तरफ से कुछ कहा जाता था जबकि राज्य सरकार उन बयानों का खंडन कर देती थी. ऐसे में अब बरौनी खाद कारखाने का ट्रायल सफलतापूर्वक हो गया है. बता दें कि ट्रायल के बाद जब अधिकारियों के हाथों में खाद के दाने आए तो वे खुशी से झुम उठे. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि बहुत ही जल्द बरौनाी खाद कारखाना की उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जा सकता है. हालांकि कारखाने से यूरिया खाद के उत्पादन की शुरुआत हो गई है. ऐसे में उसकी गुणवत्ता को ध्यान मे रखते हुए फिलहाल उसकाी पैकेजिंग पर रोक लगा दी गई है.
इस कारखाने की शुरुआत को लेकर यह बताया जा रहा है कि इसमें टेक्निकल कमी के कारण इसमें यूरिया की पैकेजिंग शुरू नहीं की गई है. इस कारखाने से खाद की पैकेजिंग तब तक शुरू नहीं हो जाती है जबतक कि इसकी गुणवत्ता में सुधार न हो. उसके बाद ही यह बिक्री के लिए बाहर भेजा जाएगा. इस दौरान बनने वाले खाद को फिर से री-साइकलिंग की प्रक्रिया से गुजरना होगा. बता दें कि खाद के उत्पादन की बात सुनने के बाद लोडिंग के पहुंचे ट्रक को वापस लौटना पड़ा है. इधर विभाग की तरफ से यह भी बताया जा रहा है कि कमीशनिंग की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है. बहुत ही जल्द इसकी गुणवत्ता में सुधार कर लिया जाएगा. बता दें कि बैरौनी कारखाना अपने उत्पाद के साथ ही लोकल ऑर वोकल के तहत स्थानिय लोगों के द्वारा बने जैवित खाद की खरीद करेगा और उसे बाजार में बेचेगा. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि इससे स्वरोजगार में बढ़ोतरी देखने को मिलने वाली है.
अगर हम इस कारखाने के बनने के लागते को देख लें तो 336 एकड़ में फैले इस बरौनी खाद कारखाने का निर्माण पहले 7 हजार 43 करोड़ रुपये में होना था लेकिन बीच में कोराना और दूसरे कारणों से इसमें देरी होती रही जिसके कारण इस कारखाने में होने वाले खर्च बढ़कर 8387 करोड़ रुपया हो गया है. बता दें कि इस कारखाने से एक दिन में 3850 मैट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होता है जबकि 22 00 टन अमोनिया का उत्पादन होता है. इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि यह कारखाना जमीन के अंदर के पानी का इस्तेमाल नहीं करता है बल्कि यह गंगाजल का इस्तेमाल कर रहा है. इस कारखाने के शुरू हो जाने से एक तरफ जहां बिहार के लोगों को इसका लाभ मिलेगा ही साथ ही साथ इसका लाभ देश के अन्य प्रदेशों को भी मिलने वाला है. बरौनी में उत्पादित खाद को दूसरे राज्यों में भेजने के लिए पूर्व मध्य रेलवे से संपर्क स्थापित किया गया है. इसके लिए कारखाना के अंदर ही 4.2 किमी का रेलवे ट्रैक बिछाया गया है. साथ ही कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है.
बताया जा रहा है कि जब इस कारखाने का उद्घाटन होगा तो उर्वरकों के नामों में बदलाव होगा. बता दें कि देश में वन नेशन वन फर्टिलाइजर स्क्रीम के तहत काम हो रहा है जिसमें हर्ल कारखाना से उत्पादित खाद अपना यूरिया की बजाय अब भारत ब्रांड के नाम से उसकी ब्रिकी करेगा. आपको बता दें कि देश में इन दिनों उर्वरकों के कई नाम से बेचा जाता है जिससे किसानों को काफी परेशानी का सामान करना पड़ता है ऐसे में कहा जा रहा है कि अब किसानों को एक ही नाम के खाद मिलने वाले हैं. जोकि किसानों के लिए फायदेमंद होने वाला है.
इस कारखाने को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि कारखाना अभी वोकल फोर लोकल नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण एक तो स्थानिय लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ जैविक खाद की भी खरीद कंपनी की तरफ से नहीं की जा रही है. ऐसे में स्थानिय लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. हालांकि कारखाना के अधिकारियों की तरफ से यह कहा जा रहा है कि हम स्थानीय लोगों को जोड़ने वाले हैं. ऐसे में अब देखना है कि जब कारखाने की शुरुआत होगी तो उसमें कितने स्थानीय लोगों को जोड़ा जाएगा.