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JDU को लगा बड़ा झटका, दिग्गज नेता ने थामा इस पार्टी का हाथ

Bihari News

राहत इंदौरी का एक शेर याद आ रहा है कि सरहदों पर बहुत तनाव है क्या, कुछ पता करो कही चुनाव है क्या ? यह शेर मौजू समय में एक दम फिट बैठ रहा है. क्योंकि जिन राज्यों में विधानसभा का चुनाव होना है वहां राजनेताओं के पाला बदलने का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह के गतिविधियां खुब होती रही है. ऐसे में इसी महीने में नागालैंड में विधानसभा का चुनाव होना है और इस चुनाव को लेकर बिहार की राजनीतिक पार्टीयां ज्यादा सक्रियता दिखा रही है. बता दें कि पहले जदयू उसके बाद राजद और अब चिराग पासवान की समर्थित लोजपा भी नागालैंड में अपनी सहभागिता दिखा रही है. बता दें कि चिराग पासवान की पार्टी ने जदयू को बड़ा झटका दिया है. चुनाव से ठीक पहले जदयू के नेता अपने समर्थकों के साथ चिराग पासवान की टीम में शामिल हो गए हैं.

तो आइए अब एक नजर डाल लेते हैं जदयू के उन नेताओं के बारे में जिन्होंने जदयू से नाता तोड़कर चिराग पासवान की पाटी लोजपा (रामविलास ) में शामिल हो गए हैं. जदयू कैंडिडेट कितोहो एस रोतोखा को जदयू ने घासपानी।। निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था. लेकिन उन्होंने शुक्रवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया है. इतना ही नहीं रोतोखा के साथ ही पार्टी के कई अन्य नेता भी इसमें शामिल रहे हैं. रोतोखा की तरफ से जारी बयान में यह कहा गया है कि महासचिव इम्सुमोंगबा पोंगेन के नेतृत्व में नागालैंड जदयू के पदाधिकारियों ने गुरुवार को आपात बैठक की थी. इसी में सर्वसम्मति से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता इस्तीफा का फैसला लिया गया था. उन्होंने नागालैंड जदयू अध्यक्ष लोथा पर सवाल खड़े किए. साथ ही यह भी कहा कि उनका जदयू प्रदेश अध्यक्ष पर से विश्वास उठ गया है.

इस पूरे घटनाक्रम के बाद जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अपाफ अहमद खान की ओर से इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा है कि राज्य कार्यकारी दल की बैठक अधिकारिक नहीं ती. ऐसा इसलिए क्योंकि ये महासिचिव पोंगेन की अध्यक्षता में नहीं थी. वह नागालैंड में जदयू का अहम हिस्सा हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण जदयू ने कितोहो एस रोतोखा को निष्कासित कर दिया है. उनके द्वारा उठाए गए कदम की हम निंदा भी करते हैं. इधर मीडिया से बात करते हुए रोताखा ने कहा है कि जदयू छोड़ने का उनका फैसला बेहद दुखद है. हालांकि प्रदेश जदयू में राजनीतिक परिस्थितियां और स्थिति ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस दौरान उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष लोथा पर निरंकुश तरीके से काम करने का आरोप लगाया है.

बता दें कि इसी महीने में विधानसभा का चुनाव होना है. और जदयू ने भी उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है. बता दें कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने 29 और 30 जनवरी नागालैंड का दौरा किया था. बता दें कि जदयू नागालैंड में करीब 14 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. लेकिन इन सब के बीच में लोजपा(रामविलास) ने जदयू को बड़ा झटका दिया है. बता दें कि जदयू के 29 नेताओं ने सामूहिक इस्तीफे की घोषणा कर दी है.

बता दें कि जदयू इस विधानसभा में 6 प्रतिशत वोट और 4 विधानसभा सीटों जीतने के इरादे से चुनाव मैदान में उतरना चाह रही थी. ताकि जदयू राष्ट्रीय पार्टी बन सके लेकिन अब इसमें पार्टी को बड़ा झटका लगा है. आपको बता दें कि जदयू साल 2018 में यहां 13 सीटों पर चुनाव लड़ने में कामयाव रही थी जिसमें एक सीट जीतने में सफल रही थी. बता दें कि जदयू को बिहार अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त हैं ऐसे में यह कहा जा रहा है कि पार्टी अगर नागालैंड में छह प्रतिशत वोट लाने में कामयाव रहती है या फिर चार विधानसभा जीतने में सफल रहती है तो पार्टी नेशनल पार्टी का दर्जा प्राप्त कर सकती है. जदयू साल 2003 में दो सीटें जीतने में कामयाव रही थी उस समय वोट प्रतिशत 5.8 का रहा था तो वहीं साल 2008 में एक भी सीट जीतने में कामयाव नहीं हो सकी उसके बाद साल 2013 और 2018 मे उसे एक सीट जीतने में सफल रही थी.

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