बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव होना है. इन दोनों ही सीटों पर होने वाले उप चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों की तरफ से तैयारी शुरू हो गई है. बता दें कि इस चुनाव में महागठबंधन का जहां लिटमस टेस्ट होना है तो वहीं बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंक देगी. बता दें कि बिहार में होने वाला उप चुनाव इसलिए भी खास हैं क्योंकि बिहार की तीन बड़ी पार्टियों में अब राजदऔर जदयू एक साथ है जबकि पुरानी स्थिति में बीजेपी और जदयू एक साथ हुआ करती थी. ऐसे में जब बिहार के सियासी समीकरण बदले हैं तो ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की परीक्षा होगी कि किसमें कितना दम है.

बता दें कि बिहार में होने वाले विधानसभा उप चुनाव में 3 नवंबर को मतदान होना है. जबकि मतो की गिनती 6 नवंबर को होगी और इस दिन पता चल जाएगा कि मोकामा और गोपालगंज विधानसभा की सीट से कौन बादशाह बना है. आपको बता दें कि मोकामा की सीट से पहले अनंत सिंह विधायक थे लेकिन AK 47 मामले में सजायाफ्ता होने के बाद विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त हो गयी. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी इस विधानसभा से चुनाव मैदान में आ सकती है. पिछले दिनों नीलम देवी की मुलाकात उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी हुई है. ऐसे में इस बात को ज्यादा बल मिल रहा है कि नीलम देवी ही मोकामा से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि इसको लेकर अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. मोकामा विधानसभा के राजनीतिक इतिहास को देखें तो साल 2005 के बाद से अनंत सिंह लगातार इस सीट सेजीतते आ रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियों का सहारा भी लिया कई बार वे निर्दलिय भी जीतने में कामयाब रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इस बार जब अनंत सिंह चनाव मैदान में नहीं होंगे तो नीलम देवी को और पार्टी को कितना नुकसान होगा. आपको बता दें कि इससे पहले लोकसभा चुनाव में नीलम देवी चुनाव मैदान में थी. उस समय लड़ाई जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ थी. जिसमें ललन सिंह को जीत मिली और निलम देवी को हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि इस बार जदयू और राजद एक साथ है. ऐसे में कहा जा रहा है कि इस सीट पर महागठबंधन की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. हालांकि अगर बीजेपी की बात की जाए तो इस सीट पर उन्हें चुनाव लड़ने के लिए काफी मजबूती दिखानी होगी राजनीतिक पंडित तो यह भी बता रहे हैं कि बीजेपी को काही जहोज्जद करना पड़ सकता है.

मोकामा के बाद जिस सीट पर चुनाव होना है उसमें गोपालगंज की सदर विधानसभा सीट है यह सीट पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हुई है. बता दें कि सुभाष सिंह पिछले चार बार से यहां से विधायक रहे हैं. ऐसे में यह सीट बीजेपी के गढ़ के रूप में जाना जा रहा है. यहां पर महागठबंधन को हराना बहुत मुश्किल होगा. जिस तरह से मोकामा की सीट पर बीजेपी को चुनाव जीतने में काफी जहोज्जद करना पड़ सकता है उसी तरह सी गोपागलगंज की सीट पर महागठबंधन को जीतने के लिए काफी मेहनत करना पड़ सकता है. ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच में चुनावी भीड़ंत देखने को मिलती रही है. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है महागठबंधन यहां से कांग्रेस का उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि गोपालगंज की यह सीट बीजेपी का गढ़ है ऐसे में बीजेपी यहां से सुभाष सिंह के ही परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे सकती है. जिससे पार्टी को सहानुभूति का फायदा मिलेगा.

हालांकि यह सबकुछ चुनाव परिणाम के बाद ही साफ हो पाएगा लेकिन इस बार होने वाला उपचुनाव बीजेपी और महागठबंधन दोनों के लिए आन की बात हो गई है.

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