जब आपके मोबाइल नंबर पर यह मैसेज आए कि आप भारतीय क्रिकेट टीम के वाट्सअप ग्रुप के साथ जुड़ गए हैं तब आपको कैसा लगेगा. जरा सोचिए इस खुशी को आप किस तरह से व्यक्त कर सकते हैं. ठीक इसी तरह की खुशी इस खिलाड़ी के चेहरे पर भी थी. मन में उल्लास था. फिर मैंने मां को फोन लगाया और बताया की मैं भारतीय टीम में सलेक्ट हो गया हूं. मुझे मां से आशीर्वाद मिला. मां और बेटे के बीच का यह संवाद इतना सहज नहीं था. दोनों के आंखों में आंसु थे. बोलते समय बिहार का यह लाल भावुक हो गया था. जैसे ही मां से अपने सलेक्शन की बात कही मां के आंखों से खुशी के आंशु निकल पड़े. उस खिलाड़ी ने बताया कि मेरी हमेशा चाहती थी कि मैं क्रिकेटर बनु और वे हमारी मदद करती थी. अब तक आप समझ गए होंगे हम करने जा रहे हैं बिहार के लाल मुकेश कुमार के बारे मेंमुकेश का चयन भारतीय टीम में बतौर तेज गेंदबाज के रूप में हुआ है. दक्षिण अफ्रिका के साथ होने वाले तीन वनडे मैचों की सीरीज में बिहार का यह लाल अपनी रफ्तार से दक्षिण अफ्रिकी बल्लेबाजों को परेशान करता दिखेगा.

मुकेश कुमार बिहार के काकड़कुंड गांव के रहने वाले हैं. मुकेश कुमार का परिवार बहुत ही साधारण हैं. उनके पिता स्व. काशीनाथ सिंह कोलकाता में टैक्सी चलाते थे. जिससे उनका घर परिवार चलता था. लेकिन ब्रेन स्टॉक के कारण उनका निधन हो गया. लेकिन मुकेश ने क्रिकेट खेलना बंद नहीं किया. मुकेश की मां का नाम मालती देवी है वह गांव में ही रहती है. वह बताती है कि इसी गांव में वह बच्चों के साथ क्रिकेट खेला करता था. आज वह इस मुकाम तक पहुंचा हैं. मुकेश के चयन से पूरे प्रदेश में खुशी का माहौल है. गांव में ही रहने वाले उनके चाचा धर्मनाथ सिंह ने बताया कि हम लोग बहुत खुश हैं. गांव के लोग भी बहुत खुश हैं. मेहनत के बल पर आगे बढ़ा. घर की स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी उसने ग्रेजुएशन किया, बचपन से क्रिकेट खेलता था. वो कहता था कि मैं अपने मुकाम को हासिल करूंगा.

मुकेश की मां ने बताया कि मेरा बाबू का सलेक्शन टीम इंडिया में हुआ है, आज मैं बहुत खुश हूं, यह उसकी जीत है. बचपन से खेलतेखेलते और लोगों व मातापिता की दुआ से आज मुकेश अपने मुकाम तक पहुंचा. आज उसके पिता जीवित होते तो वे भी मुकेश की सफलता पर फूले नहीं समाते. दुख है कि उसके पिता इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज वो उसे आशीर्वाद दे रहे होंगे. मुकेश हमेशा फोन करता है. कल शाम 7 बजे फोन किया और कहा कि मां मेरा सलेक्शन हो गया है तो मैंने उसे आसीर्वाद दिया.

मुकेश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भले ही मेरी मां ने मुझे क्रिकेटर बनने के लिए हमेशा प्रोतसाहित किया लेकिन मेरे पिताजी चाहते थे कि मैं सरकारी नौकरी करूं. लेकिन जब मैंने रणजी मैच खेला तो मेरे पिताजी बहुत खुश हुए. साथ ही उन्होंने मुझे आशीर्वाद भी दिया. वो दिन आज भी मुझे याद है. काश! आज मैं यह खबर अपने पिताजी को सुना पाता. मुकेश ने आगे बताया कि मुझे क्रिकेटर बनाने में भारत के पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली वीवीएस लक्ष्मण रणदेव बोस सर ने मेरी काफी मदद की है.

मुकेश के रणजी, ईरानी और इंडिया ए में शानदारी गेंदबाजी करते हुए अपनी टीम को जीत दिलाई है. ऐसे में अब लोगों को उम्मीद है कि मुकेश अब भारतीय टीम को भी अपनी धारदार गेंदबाजी से जीत दिलाए जिससे प्रदेश के साथ ही देश का मान बढ़ें.

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