बिहार में जिस तरह से कड़ाके की ठंड से लोगों का जिना मुहाल हो गया था ठीक उसी तरह से अब गर्मी से भी लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. बता दें कि प्रदेश में अब धीरे धीरे ठंड में कमी आती जा रही है. यानी कि अब दिन का तापमान उपर चढ़ने लगा है. ऐसे में अब दिन में लोगों को हल्की गर्मी का एहसास होने लगा है. साथ ही मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि 23 जनवरी को प्रदेश के कई हिस्सों में तेज तो कई हिस्सों में बूंदाबादी होने की संभावना जताई गई है. साथ ही मौसम के जानकारों का कहना है कि इस बार अल नीनो के असर से अधिक गर्मी पड़ेगी. जिसका असर हमें मानसून पर देखने को मिलने वाला है.
इधर IMD पटना की तरफ से जारी अपडेट के अनुसार यह बताया जा रहा है कि भारतीय उपमहाद्वीप पर ला नीना के असर के कारण इस बार अधिक सर्दी पड़ी है. बताया जा रहा है कि ला नीना का असर जनवरी से मार्च तक रहेगा. मौसम विभाग की माने तो जुलाई से सितंबर तक अल नीनो की संभावना है. इससे अधिक गर्मी की संभावना है. अल नीनो यदि प्रभाव बनाता है तो कम बारिश से संकट का सामान करना पड़ सकता है. इधर मौसम के जानकारों का कहना है कि अभी अल नीनों का असर दक्षिणी हिस्से में महसूस किया जा रहा है. इसके कारण मध्य और पश्चिमी प्रशांत महासागर की सतह पर तापमान में बदलाव दिख रहा है. इससे अल नीनो का असर बढ़ने के रूप में देखा जा रहा है.
बार बार अल नीनो का जिक्र हो रहा है तो आइए जान लेते हैं आखिर होता क्या है अल नीनो…
आपको बता दें कि अल नीनो का प्रयोग प्रशांत महासागर के सतरह के ऊपर तापमान में होने वाले बदलाव से संबंधित है. प्रशांत महासागर के सतह पर होने वाले बदलाव का असर दुनियाभर में मौसम पर पड़ता है. बता दें कि अल नीनो से तापमान गर्म होता है. जबकि ला नीना का तापमान ठंडा होता है. प्रशांत महासागर में बदलते तापमान के असर के कारण अल नीनो का निर्माण होता है. जिसके कारण समुद्री सतह का तापमान 5 डिग्री तक बढ़ जाता है. ऐसे में मानसून मिशन कपल्ड फोरकास्ट सिस्टम की माने तो ला नीना का असर जनवरी से मार्च तक दिखने वाला है. इस ला नीना को लेकर यह कहा जा रहा है कि भारत में इस दौरान स्थितियां सामान्य रहने वाली है. बता दें कि समुद्र, पर्यावरण औॅर सतह के आंकड़ों के आधार पर भविष्य में मौसम का क्या हाल रहेगा इसकी भविष्यवाणी की जाती है.
भारतीय मौसम विभाग की तरफ से जारी अपडेट के अनुसार यह बताया जा रहा है कि देश में जुलाई से लेकर सितंबर तक अल नीनों का असर रह सकता है. बता दें कि इस समय तक देश में मानूसन का सीजन होता है. इधर मौसम विभाग की माने तो अल नीनों जुलाई से अगस्त के बीच में आता दिख रहा है. विभाग के वैज्ञानिकों की माने तो उन्होंने कहा कि ला नीनो में अभी काफी समय है ऐसे में सटीक भविष्यवाणी करना ठीक नहीं है इसके लिए हमें कुछ दिन इंतजार करने की जरूरत है.
अगर हम पिछले साल के आंकड़ों को देखे तो यह बताया जा रहा है कि अल नीनो और ला नीना के कारण खुब गर्मी पड़ी थी और अत्यधिक ठंड का भी असर देखने को मिला था. इस दौरान कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात रहे थे तो कई स्थानों पर सुखे जैसे भी हालात देखने को मिले हैं. हालांकि केंद्रीय पृथ्वी एवं विज्ञान मंत्री एम राजीवन ने कहा है कि अल नीनो का आना चिंता की बात है. और इससे मानसून कमजोर हो सकता है. उन्होंने कहा है कि यह मानसून के लिए अच्छी खबर नहीं है. यह भी बताया है कि मार्च से अप्रैल के बीच में यह साफ हो पाएगा कि देश में किस तरह की स्थिति रहने वाली है. इस अल नीना के कारण 2016, 2019 और 2020 में सुखाड़ जैसे हालात रहे थे सबसे बुरा असर साल 2016 में देखने को मिला था.