आज हम बात करेंगे एक ऐसे जिले के बारे में जो अंतराज्कीय सीमा बंगाल के साथसाथ दो अन्तराष्ट्रीय सीमा से भी जुड़ा हुआ है. जी हाँ आज हम बात कर रहें हैं हमारे बिहार के 38 जिलों में से एक किशनगंज जिले के बारे में. यह जिला अपने वर्त्तमान अस्तित्व में 14 जनवरी वर्ष 1990 में आया था. चलिए अब हम आपको बताते हैं की इस जिले का नाम किशनगंज कैसे पड़ा. दरअसल इस क्षेत्र में एक थके हारे हिन्दू संत खगदा नवाब, मोहम्मद फकीरुद्दीन की अवधि के दौरान पहुंचे थे. थकावट होने की वजह से वे आराम करने के उद्देश्य से यहाँ रुके. लेकिन जब उन्हें पता चला की इस क्षेत्र का नाम आलमगंज है यहाँ के नदी का नाम रमजान और जो इस क्षेत्र के जमींदार का नाम फकीरुद्दीन है तो उन्होंने यहाँ रुकने से इनकार कर दिया था. जब इस बात का पता जमींदार को चला तो उसने किशनगंज गुड़री से रमजान पुल गंधी घाट तक के कुछ क्षेत्रों की घोषणा कृष्णाकुंज के नाम  से कर दी. समय के साथसाथ यह क्षेत्र लोगों के बीच किशनगंज नाम से प्रचलित हो गया. इस जिले का मुख्यालय किशनगंज शहर में हीं स्थित है.

  • चौहद्दी और क्षेत्रफल

आइये अब जानते हैं इस जिले के चौहद्दी और क्षेत्रफल के बारे में. यदि इस जिले के चौहद्दी की बात करें तो यह जिला दक्षिण और पश्चिम की दिशा में पूर्णिया जिले से घिरा हुआ है. वहीँ पूर्व दिशा की तरफ पाश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले से घिरा है. यदि उत्तर की बात करें तो पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और नेपाल के अन्तराष्ट्रीय सीमा से यह अपनी सीमा साझा करता है. वहीँ बांग्लादेश से इसे पश्चिम बंगाल की एक संकीर्ण पट्टी जो लगभग 20 किलोमीटर चौड़ी है वो इसे अलग करती है. यदि हम जिले के क्षेत्रफल की बात करें तो यह जिला 1,884 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसकी जनसँख्या लगभग 1690948 है. यदि यहाँ के साक्षरता दर की बात करें तो 57.04% यहाँ की साक्षरता दर है. इस जिले में कुल सात प्रखंड, 802 गाँव और चार नगपलिका हैं.

इतिहास

चलिए अब हम जानते हैं इस जिले के इतिहास के बारे में. ऐसा कहा जाता है की इस जिले का इतिहास महाभारत काल जितना पुराना था. महाभारत काल में इस जिले का नाम ठाकुरगंज हुआ करता है. आगे चल कर नेपाल के सीमा पर होने के कारण यह लोगों के बीच नेपालगढ़ के नाम से भी प्रचलित हुआ. जब मुग़लों द्वारा इस जगह पर कब्ज़ा कर लिया गया तो उसके बाद मुहम्मद रेजा द्वारा इस जिले का नाम आलमगंज रख दिया गया था. फिर आलमगंज से लोगों के बीच यह जिला किशनगंज नाम से कैसे प्रचलित हुआ इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं. किशनगंज पूर्णिया जिले का एक महत्वपूर्ण उपमंडल था. फिर यह जिला अपने वर्त्तमान अस्तित्व में 14 जनवरी 1990 को आया.

प्रतिष्ठित व्यक्ति

यदि हम इस जिले के प्रसिद्ध व्यक्ति की बात करें तो हमें इन्टरनेट पर इस जिले के किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति की जानकारी नहीं मिली. यदि आप किशनगंज जिले के किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में जानते हैं तो आप हमें हमारे कमेंट सेक्शन बॉक्स में इसकी जानकारी जरुर दें.

कैसे पहुंचे

आइये अब हम जानते हैं इस जिले के यातायात की सुविधा में सड़क, रेल और हवाई मार्ग के बारे में.

  • सड़क मार्ग

तो चलिए सबसे पहले हम जानते हैं इस जिले के सड़क मार्ग के बारे में. इस जिले का सड़क मार्ग बिहार के कई प्रमुख मार्गों से जुड़ता है. हम इस जिले से बिहार के कई हिस्सों में आसानी से जा सकते हैं. यदि हम राजधानी पटना से इस जिले में आने की बात करें तो सबसे पहले हम बात करते हैं वाया NH27 की. इस सड़क की दूरी 380 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में 8 घंटे और 36 मिनट तक का समय लगता है. आइये अब इस मार्ग के बारे में विस्तार से जानते हैं. तो बता दें की पटना से महात्मा गाँधी सेतु पुल होते हुए NH22 के जरिये हाजीपुर से होते हुए सराय, भगवानपुर, कुर्हानी फिर मुजफ्फरपुर होते हुए NH 27 के जरिये जारंग ईस्ट, सिमरी, बसुदेओपुर,काकरघाती, सकरी ईस्ट, झंझारपुर, फुलपरास, सिमराही बाज़ार, नरपतगंज, फोर्बेस्गंज से सिमराहा फिर अररिया और यहाँ से NH 327 के जरिये सिसौना, हरदार, सिमलबारी फिर फुलवारी और यहाँ से आप आसानी से किशनगंज पहुँच जायेंगे.

आइये अब हम बात करते हैं वाया NH 31 की. इस सड़क की दूरी 371 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में 8 घंटे और 45 मिनट तक का समय लग सकता है. यदि विस्तार से इस सड़क के रूट को देखें तो पटना से NH31 के जरिये खुसुरपुर, बख्तियारपुर, बाढ़ होते हुए मोकामे खास, सिमरिया, बिहात से बेगुसराय पहुंचेंगे. अब यहाँ से साहेबपुर कमाल खगड़िया, महेशखूंट, सोंदिहा, सतीश नगर, नौगछिया और फिर NH231 होते हुए बेलगाछी से NH27 के जरिये बैसी, सुरजापुर, कांकी से किशनगंज पहुँच जायेंगे.

आइये अब हम जानते हैं वाया NH31 और NH27 की. इस सड़क की दूरी 373 किलोमीटर तक की है. जिसे तय करने में 9 घंटे और 19 मिनट तक का समय लग सकता है. पटना से महात्मा गाँधी सेतु पुल फिर हाजीपुर NH 22 से होते हुए शःदुल्लापुर से NH322 फिर यहाँ से जन्दाहा, नवादा होते हुए NH 122 से बछवारा, बेगुसराय फिर खगड़िया और यहाँ से NH31 के जरिये महेशखूंट, भ्रमरपुर और यहाँ से NH131 के जरिये नौगछिया फिर यहाँ से थोड़ी हीं दूरी तय करते हुए NH 231 होते हुए बेलगाछी और अब यहाँ से NH27 होते हुए बैसी, सुरजापुर, कांकी से किशनगंज पहुँच जायेंगे.

जानकारी के लिए बता दें की यदि आप किशनगंज सड़क मार्ग के जरिये जा रहें हैं और आपको रास्ते में BR 37 के वाहन दिखने लगें तो समझ जाइये की आप किशनगंज के सीमा में प्रवेश कर चुके हैं.

  • रेल मार्ग

आइये अब हम बात करते हैं रेल मार्ग की. भारत के दूसरे हिस्से में भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से के कनेक्टिंग जंक्शन में से एक किशनगंज का रेलवे स्टेशन है. यहाँ से कई ट्रेने बिहार और देश के प्रमुख शहरों के लिए संचालित होती हैं. यदि हम यहाँ के प्रमुख रेलवे स्टेशन की बात करें तो किशनगंज रेलवे स्टेशन है जिसका स्टेशन कोड KNE है. इसके अलावे यहाँ के अन्य रेलवे स्टेशन में सुरजा कमल, कांकी, हटवार, तौहीद आदि शामिल है. यदि आप पटना से किशनगंज ट्रेन के माध्यम से आना चाहते हैं तो पटना जंक्शन से आपको कई ट्रेनें मिल जाएँगी. जिनमे सबसे पहले है सिक्किम महानंदा एक्सप्रेस. यह ट्रेन पटना जंक्शन से रात के समय 12:50 मिनट पर है. और यह ट्रेन आपको सुबह 11:50 मिनट पर किशनगंज पहुंचा देगी. इसके अलावे ब्रहम्पुत्रा मेल भी है जो दोपहर के समय 2:30 मिनट पर पटना जंक्शन से खुलती है और किशनगंज आपको देर रात 2:15 मिनट पर पहुंचा देगी. अब बात करते हैं डिब्रूगढ़ टाउन राजधानी एक्सप्रेस की. यह ट्रेन सुबह के समय 4:25 मिनट पर है. जो आपको सुबह 11:08 मिनट तक पहुंचा देगी. साथ हीं हर रोज संचालित होने वाले ट्रेनों में नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस है. यह ट्रेन रात के समय 9 बज कर 55 मिनट पर है और यह ट्रेन आपको किशनगंज सुबह के समय 6 बज कर 15 मिनट पर पहुंचा देगी. इन ट्रेनों के अलावे कई आपको कई साप्ताहिक ट्रेन भी मिल जायेंगे.

  • हवाई मार्ग

आइये अब आखिरी में हम बात करते हैं इस जिले हवाई मार्ग के बारे में. तो बता दें की इस जिले का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है. इस जिले का निकटतम हवाई अड्डा बागडोरा हवाई अड्डा है जो पश्चिम बंगाल राज्य के अंतर्गत आता है. लेकिन यदि बिहार राज्य से बात करें तो आप पटना का हवाई अड्डे यहाँ का चालू निकटतम हवाई अड्डा है. इस हवाई अड्डे पर आप भारत के कई प्रमुख नगरों और महानगरों से आ सकते हैं. और इस हवाई अड्डे के माध्यम से आप भारत के कई प्रमुख नगरो में विमान के जरिये जा भी सकते हैं. पटना हवाई अड्डे पर पहुँचने के बाद आप सड़क मार्ग या रेल मार्ग के जरिये किशनगंज पहुँच सकते हैं. सड़क और रेल मार्ग के जरिये किशनगंज कैसे पहुंचना है इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं.

पर्यटन स्थल

इस जिले के रूचि के स्थान में हम बात करेंगे खगरा मेला के बारे में. यह मेला वर्ष 1950 से हीं जनवरीफरवरी के महीने में लगाया जाता है. इसकी शुरुआत कृषि प्रदर्शनी के तौर पर हुई थी. किसी समय में यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला माना जाता था. और यहाँ देश से कई व्यापारी इस मेले में भाग लेने आते थे.

अब हम बात करते हैं नेहरु शांति पार्क के बारे में. यह पार्क किशनगंज रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ कई किस्म के फुल के पेड़पौधे पायें जाते हैं. इस पार्क में गौतम बुद्ध की लगी प्रतिमा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है.

चलिए अब हम बात करते हैं चुर्ली स्टेट के बारे में. इस क्षेत्र के रियासत को लोग उस वक्त इसी नाम से जाना करते थे. यहाँ एक जमींदार हुआ करता था जिसकी जमींदारी बंगाल से नेपाल तक फैली हुई थी. इस जमींदार की एक भव्य हवेली हुआ करती थी जो अब एक खंडहर के रूप में तब्दील हो चुकी है. लेकिन अभी भी यह हवेली पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है.

चलिए अब हम बात करते हैं यहाँ स्थित हरगौरी मंदिर के बारे में. यह मंदिर किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास सौ साल से भी अधिक पुराना माना जाता है. इस मंदिर के निर्माण के सम्बन्ध में लोगों के बीच एक प्रचलित कथा भी है. जहाँ ऐसा कहा जाता हैं की यहाँ के एक जमीनदार को एक हीं पत्थर पर शिव और पार्वती की मूर्ति मिली थी. जमींदार इसे अपने साथ बनारस ले गया. लेकिन जब जमींदार के सपने में शिव भगवान् आयें और उन्होंने उस जमींदार से कहा की यह मूर्ति जहाँ से मिली है वहीँ पर इस मूर्ति को स्थापित की जाये. फिर अगले हीं दिन जमींदार द्वारा यहाँ धूमधाम से मंदिर की स्थापना करवायी गयी. आज भी शिवरात्रि के अवसर पर लोग दूरदूर से यहाँ पूजा अर्चना करने आते हैं.

चलिए अब आखिरी में हम बात करते हैं कछुदाह झील के बारे में. यह एक प्राकृतिक झील है जो की किशनगंज से लगभग चालीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ कई अप्रवासी पक्षी प्रवास करने आते हैं. नए साल पर लोगों के लिए यह जगह एक पिकनिक का स्पॉट भी बना रहता है. सरकार स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस जगह पर भी काम कर रही है.

कृषि और अर्थव्यवस्था

बिहार राज्य का यह जिला अपनी प्राकृतिक सुन्दरता को लेकर काफी मशहूर है. यहाँ मुख्य रूप से धान, गेंहू, मक्के, पटसन यानी जुट की खेती की जाती है. इस जिले में पिछले दो दशक से चाय की खेती भी एक नए विकल्प बनकर सामने आ रही है. यहाँ किशनगंज मुख्लायालय से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेलवा से ठाकुरगंज तक चाय के बगान नज़र आते हैं. यहाँ के स्थानीय बाज़ारों में यहीं से पैकेजिंग कर बेचने का काम भी किया जाता है. वहीँ कई बारे इनके हरी पत्तियों को असम और पश्चिम बंगाल के फैक्ट्रीयों में प्रोसेसिंग के लिए भेजा जाता है. यहाँ के अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका कृषि की हीं रही है.

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