बिहार में रेलवे को बहुत ही जल्द सौगात मिलने वाला है. बताया जा रहा है कि साल के अंत में 27 रूटों पर 18 वंदे भारत ट्रेनों की शुरूआत होने वाली है. आपको बता दें कि इन रूटों के पहले फेज में रूटों का निर्धारण कर दिया गया है. वंदे भारत के परिचालन को लेकर जिन रूटों का चयन किया गया है उसमें पटना काशी और दिल्ली का नाम भी शामिल हैं. बताया तो यह भी जा रहा है कि इन रूटों पर ट्रेनों के पचिचालन शुरू हो जाने से महज पांच घंटे में पटना से दिल्ली का सफर किया जा सकता है. अगर वर्तमान की ट्रेनों की बात करें तो इसमें 12 से ज्यादा घंटे लगते हैं.

वर्तमान में अगर हम वंदे भारत ट्रेनों की स्थिति के बारे में देखें तो 2 रूटों पर ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. Delhi to Varanasi और Delhi to Vaishno Devi Katra की रूट में ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि वंदे भारत ट्रेन की रफ्तार बुलेट ट्रेन की रफ्तार से करीब आधी बताई जा रही है. बता दें कि इस पूरे मसले पर रेलवे कुछ नया करने की तैयारी कर रही है. बता दें कि वाराणसी से दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की बात कही जा रही है. जिसका रूट उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के रास्ते बंगाल तक जाने की बात कही जा रही है. जिसको लेकर कई राज्यों में रुटों का निर्धारण भी किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में वाराणसी और पंडित दिनदयाल उपाध्याय जं. के बाद यह ट्रेन बिहार में सासाराम के रास्ते आगे बढ़ेगी हालांकि इसके रूट को पटना से भी जोड़ने की बात कही जा रही है लेकिन अभी तक इसकी कोई अधिकारिक घोषणा नहीं कि गई है. उधर झारखंड में हजारीबाग और कोडरमा के रास्ते यह ट्रेन आगे बढ़ेगी.

वंदे भारत ट्रेन की अगर हम रफ्तार को देखें तो इसकी मुल रफ्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटे बताई जा रही है. जबकि भारत में अभी इसकी रफ्तार 160 है. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसकी रप्तार में बढ़ोतरी करने की बात कही गई है. जिसमें पटरी पर कार्य पूर्ण होने के बाद इसकी रफ्तार में बदलाव आने की बात कही गई है. हाई स्पीड ट्रेन के परिचालन को लेकर यह बताया जा रहा है. रेल पटरियों के बीच पहले से और भी मजबूत पिलर लगाने का काम किया जा रहा है. साथ ही रेलवे इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि रेलवे पटरियों पर किसी तरह का कोई नुकसान हो. इसीलिए पटरियों पर चारदीवारी लगाया जाएगा. इसके साथ ही रेलवे ने वंदे भारत ट्रेन की रूट में कवच प्रणाली को और भी मजबूत करने की बात कही जा रही है. बता दें कि इस ट्रेन की रफ्तार को देखते हुए इसे मिनी बुलेट ट्रेन के नाम से अब लोग बुलाने लगे हैं.

ट्रेनों के रूट को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ECR में 417 किलोमीटर लंबे DDU-मानपुरप्रधानखंटा रेलखंड पर ट्रेन में किसी तरह की दुर्घटनाओं को रोका जाए. इस सुरक्षा प्रणाली में इस बात भी ख्याल रखा जा रहा है कि एक ही रेल खंड पर ट्रेनें एक दूसरे से नहीं टकराएंगी. बता दें कि हाई स्पीड ट्रेन के परिचालन को लेकर सुरक्षा तंत्र को और भी मजबूत किया जा रहा है. रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने कहा है कि 4 चरणों में पूरा होने के बाद परियोजना का प्रथम चरण पर काम शूरू हो जाएगा, उन्होंने कहा है कि सोननगर से गया तक सबसे पहले काम की शुरुआत होगी. साथ ही यह भी कहा गया है कि इस पूरी परियोजना को साल 2024 के अंत तक पूरा लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

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