नगर पालिका चुनाव को लेकर लोगों का मानना है कि यह चुनाव दिसम्बर से पहले खत्म नहीं होगी, लेकिन ऐसा हो सकता है कि नगर पालिका का चुनाव जनवरी में फंस जाए. बता दे कि चुनाव आयोग के द्वारा नगर पालिका के चुनाव में भाग लेने वाले नए मतदाता की सूचि जारी की सकती है. लेकिन यह सूचि अगले वर्ष यानी कि 2023 में ही चुनाव आयोग के द्वारा जारी की जाएगी. ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग पर दबदबा होगा कि वह नगर निकाय चुनाव 2023 में जारी की गयी नई मतदाता सूचि के अनुसार ही कराए. वहीं इस बात को लेकर चुनाव के जानकारों का कहना है कि चुनाव आयोग अगले वर्ष 5 जनवरी 2023 में नए मतदाता की सूचि जारी करेगा. इसके साथ ही अगर सूचि जारी करने में देरी होती है तो, वैसे प्रत्याशी जो 20 के है उनकी भी उम्र 21 हो जाएंगी.आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नगरपालिका चुनाव में वही प्रत्याशी भाग ले सकते है जिनकी कम से कम 21 वर्ष उम्र है. अगर किसी प्रत्याशी कि उम्र 21 वर्ष से कम होगी तो वो ये चुनाव लड़ने में सक्षम नही हो सकते है. वहीं अगर निर्वाचन आयोग के द्वारा सिर्फ अतिपिछड़े जाती वाले लोगों के लिए नए सिरे से नामांकन की शुरुआत करता है , तो ऐसे में इस चुनाव में भाग लेने वाले प्रत्याशियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है. बताते चले कि अतिपिछड़े वर्ग की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा नगर निकाय चुनाव आयोजित किया जायेगा. ऐसे में पूरी उम्मीद है कि नगर निकाय चुनाव में भाग लेने वाले दावेदारों के नाम और तस्वीर बदल सकते हैं.बता दे कि सरकार के द्वारा गठित किया गया अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों में एक बार फिर जान आ गयी है. अतिपिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के साथसाथ चार नए सदस्यों की भी नियुक्ति की गयी हैं. इसके अलावा आयोग के नए सचिव की भी तैनाती की गयी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट की ओर से अतिपिछड़े लोगों के लिए एक गाइड लाइन जारी की गयी है, जिसके अंतर्गत आयोग को लज्द से जल्द इनकी सूचि तैयार कर के सरकार को सौपनी होगी. इस सूचि के मिलने के बाद ही सरकार के द्वारा यह निर्णय लिया जायेगा कि सरकार नए सिरे से किस तरह से अतिपिछड़ों का आरक्षण का फार्मूला तय करेगी. बता दे कि राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा मुहर लगाये जाने के बाद चुनाव की नई तिथियाँ घोषित की जाएगी. वहीं अब मिली जानकारी के अनुसार आयोग को अब जल्द से जल्द अपनी रेपर्ट सरकार को सौपनी होगी. बता दे के कि जानकारों का कहना है कि अतिपिछड़ों की जगह वैसी जाती के लोगों को ज्यादा लाभ दिया जाना चाहिए जिनका सम्बन्ध राजनीति से काफी दूर है.

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