अप्रैल महीने में बिहार विधान परिषद् के पांच सीटों पर चुनाव कराये जायेंगे. आपको बता दें की मई महीने में चार सीटें खाली होंगी. केदारनाथ पाण्डेय जो की सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से थे उनके निधन के वजह से यह सीट रिक्त हुई है. वहीं 8 मई 2023 को चार अन्य सीटों का कार्यकाल भी समाप्त हो जायेगा. मिली जानकारी के अनुसार इन निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाता सूचि को भी तैयार किया जा रहा है. मालूम हो की आने वाले अगले साल यानि 2024 में लोकसभा के चुनाव भी होने हैं. इसके साथ ही साथ विधान परिषद् की 11 सीटें और राज्यसभा की 5 सीटें भी खाली होंगी. इन रिक्त सीटों के लिए भी अलग से चुनाव कराये जाने हैं. मई महीने में जिन चार सीटों का कार्यकाल विधानपरिषद में समाप्त होना है उनमे गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचित सदस्य अवधेश नारायण सिंह इसके अलावे वीरेंद्र नारायण यादव जो की सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हैं, वहीँ संजीव श्याम सिंह जो की गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हैं और कोसी से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित संजीव कुमार सिंह की सीट भी शामिल है. लिहाजा यह उम्मीद है की भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से मार्च में ही चुनावी कार्यक्रम जारी कर दिए जायेंगे.

आइये अब अपने चर्चा के बीच उन पांच नामों की चर्चा करते हैं जिनके कार्यकाल राज्यसभा से समाप्त होने वाले है. आने वाले साल यानि 2024 में बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो जाएँगी. प्रोफेसर मनोज कुमार झा जो की आरजेडी से अपना सम्बन्ध रखते हैं, डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह जो की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं, अशफाक करीम जो की राजद के ही हैं, भाजपा के सुशील कुमार मोदी और अनिल हेंगड़े जो की जदयू से हैं इन सभी के कार्यकाल मई 2024 तक ख़त्म हो जायेंगे.

आइये अब अपनी चर्चा को बढ़ाते हुए उन विधान परिषद् के 11 सदस्यों के नाम जानते हैं जिनका कार्यकाल 2024 तक पूरा हो जायेगा. आने वाले साल में विधान परिषद् की कई सीटों में बदलाव होंगे. वर्ष 2024 के मई महीने में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, और वर्त्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल पूरे होने हैं. साथ ही साथ इनके अलावे पूर्व मंत्री मंगल पांडेय, प्रेमचंद्र मिश्रा जो की कांग्रेस से हैं, खालिद अनवर, मंत्री संजय कुमार झा, जदयू के रामेश्वर महतो, आरजेडी के डॉ. रामचंद्र पूर्वे, सैय्यद शहनवाज हुसैन, हम पार्टी के संतोष कुमार सुमन और बीजेपी के संजय पासवान का मौजूदा कार्यकाल समाप्त होना है.

दरअसल विधान परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों तक का होता है और हर दो सालों में इसके एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं. इसकी व्यवस्था राज्यसभा के ही समान होती है. इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं, वहीँ इसके कुछ सदस्यों का मनोनयन राज्यपाल के द्वारा किया जाता है. आपको बता दें की विधान परिषद् विधानमंडल का ही एक अंग होता है. किसी भी राज्य के विधान परिषद् का आकार उस राज्य के विधान सभा में स्थित सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होने चाहिए, वहीँ 40 सदस्य से कम भी नहीं होने चाहिए. यदि हम एमएलसी बनने के योग्यता की बात करें तो उसे भारत का नागरिक होना, कम से कम 30 वर्ष आयु का होना, मानसिक रूप से समर्थ होना इसके अलावे जहाँ से वह व्यक्ति चुनाव लड़ रहा वहां के मतदाता सूचि में उसका नाम होना साथ ही साथ समान समय में वह संसद का सदस्य भी नहीं होना चाहिए.

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