सच पूछे,तो भारत की संस्कृति और परम्परा भारतीय पकवानों में भी खूब देखने को मिलती हैं, अर्थात भारतीय पाक कला या पकवान में ही भारत की संस्कृति और सभ्यता झलकती हैं. भारत विभिन्न मान्यताओं और संस्कृतियों का मिश्रण हैं, तो ज़ाहिर सी बात हैं कि पकवानों और मिष्ठानों में भी भिन्नता पाई जाती हैं. वहीं जब हम बिहार राज्य की बात करते हैं तो, यहां के व्यंजनों की बात ही अलग होती हैं. जिसका जोर पूरे देश में कही नही मिल पाता. आज हम बिहारी जायका में बात करने जा रहे बिहार के एक ऐसे मीठे व्यंजन की जिसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक खाना पसंद करते हैं. आप सभी में बहुत से लोग तीखा और चटपटा खाना पसंद करते होंगे, लेकिन शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो कि मीठा खाना पसंद न करें. थोड़ा ही सही या हल्का ही सही मीठा जरूर खायेगा. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम बिहार के एक पकवान या ये कहे की मिठाई तो गलत नही होगा , पर चर्चा करेंगे.
यह व्यंजन मौसम आधारित एक विशेष मिठाई है, जो की आम तौर पर बरसात में या कहे तो सावन के महीने में मिलने वाला पकवान हैं. इसका उपरी भाग कुरकुरा तो अन्दर का भाग नर्म होता हैं. यह बिहार की पारंपरिक और सबसे पुरानी व्यंजन हैं. इस व्यंजन को आम भाषा में चावल का बिस्कुट भी कहते हैं. लोगों का मानना है कि इस मिठाई को बनाने में काफी कठिनाई होती क्योंकि कभी इनमें जाली नही आती तो कभी ये घी में बिखर जाते हैं. हम बात कर रहे है मगध में मिलने वाली अनारसा की. भले ही आज के समय में यह देश के कई हिस्सों में मिलता हो लेकिन इस बिहारी टेस्ट की पहचान पटना, नालन्दा, गया, नवादा और जहानाबाद जिले से ही हैं. मगध मध्यकालीन भारत में भारत का राजधानी थी इस कारण इस इलाके में शहरी संस्कृति काफी लंबे समय तक विद्यमान रहा. शहरी संस्कृति के कारण यहां कई नये पकवानों ने जन्म लिया था. ये नये पकवान यहां की जमीन पर उपजने वाले फसलों से बनाये गये और इसके साथ ही बाहर उपजने वाले अनाजों के साथ भी काफी प्रयोग किया गया. अनरसा भी उसी में से एक है.
अनारसा एक प्रकार का मीठा व्यंजन है. बता दे कि इस पकवान को दीपावली के विशेष अवसर पर बनाया जाता हैं. अनारसा खाने में मुलायम लेकिन ऊपर से कुरकुरा और सौंधे होने के कारण इसका टेस्ट और भी बढ़ जाता हैं. इसे बनाने में चावल के आटे का प्रयोग किया जाता हैं. जब आप अनारसा को खायेंगे तो टेस्ट में चावल का स्वाद जरुर आएगा, लेकिन वह स्वाद माइंड ब्लोइंग होता है, जो बार–बार खाने का मन करता हैं. अगर इसके आकर की बात करे तो यह गोल चपता आकर का होता हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सासाराम शहर शेरसाह सूरी के लिए प्रसिद्ध है ही इसी के साथ सासाराम शहर मुख्य रूप से इस मिठाई यानी की अनरसे के लिए भी खूब फेमस हैं. इसके साथ ही गया भी अनारसा के लिए काफी फेमस हैं. अनारसा का भी निर्माण दो प्रकार से किया जाता हैं. एक चावल का आटा का बना सामान्य अनारसा होता है और दूसरा खोवा या मावा से बना अनारसा होता हैं. जिसे लोग मावा अनरसा कहते हैं. इस मिठाई को अगर भींगे हांथों से न छुआ जाये तो इसे हफ्ते दो हफ्ते तक रखा जा सकता हैं.
अगर इसके इतिहास की बात करे तो, इससे जुड़ी एक बहोत पुरानी धार्मिक कथा हैं. ऐसी मान्यता है कि जब पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए पूजा–अर्चना की थी तब उन्होंने अनारसा ही प्रसाद के रूप में भगवान् शंकर को अर्पित किया था. लोगों का ऐसा कहना है कि गया के टिकारी के टिकारी महराज अपने किलों में विशेष कारीगरों से अनारसा का निर्माण करवाते थे. उस समय अनारसा का स्वरुप दूसरा हुआ करता था. अनारसा मोती की जगह पतली होती और साथ ही उसके बीच छेद हुआ करता था. धीरे–धीरे समय के साथ इसका स्वरुप बदलता गया और आज यह पूरी तरह गेंद की आकर की हो गयी है जिसके अन्दर खोवा भरा होता हैं.
शायद ही आपको इस बात की जानकारी हो की चावल के आंटे में नमी खीचने की ताकत होती है और अनरसा बनाने में चावल के ही आटे का उपयोग किया जाता हैं. अनरसा बारिश के मौसम में ही बनाया जाता है और उस समय यह वातावरण से बाहर की नमी को खिंच लेती है जिसकी वजह से यह स्वाद के साथ–साथ सेहत के लिए भी काफी हो जाता हैं.
चलिए अब हम अनरस से जुड़ी कुछ फायदे की बात बताते है जो हमारे सेहत के लिए लाभदायक होता हैं.
1.) अनारसा का निर्माण चावल के आटे से किया जाता है और चावल का आटा खाने से डार्क सर्किल की समस्या को दूर होती अहि, मुहांसे खत्म होते हैं और साथ ही चेहरे पर भी ग्लो आती हैं.
2.) चावल का आटा लिवर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. चावल के आटे में कोलीन की मात्रा पाई जाती है. जिससे लिवर स्वस्थ रहता है. साथ ही लिवर संबंधी कोई बीमारी भी नहीं होती है.
3.)अनारसा में सफ़ेद तिल का भी प्रयोग किया जाता हैं और तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है.अपनी इस खूबी की वजह से ही यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है.
4.) वहीं अगर हम खोवा या मावा वाला अनरसा खाते है तो खोवा से हमारी हड्डियाँ मजबूत होती है, यह ह्रदय के लिए भी काफी फायदेमंद होता हैं, यह हमारे अन्दर रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाता है और हमारे बालों को सुन्दर बनाता हैं.
5.) अनारसा में आम तौर पर कम चीनी का प्रयोग किया जाता हैं , इसलिए इसे चीनी से पीड़ित व्यक्ति भी खा सकते है पर कम मात्रा में, जितनी की उनकी सेहत के लिए ठीक हो.