बिहार की सियासत में आए दिन एक नया रूप देखने को मिलता है. पिछले कुछ दिनों से जिस तरह के घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं. उससे तो यही लगता है कि लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी जगह की तलाश कर रही है. जैसे ही यह खबर सामने आई है कि नीतीश कुमार दिल्ली जाने वाले हैं उसके बाद से प्रदेश का सियासी पारा ऊपर चढ़ने लगा है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ही विपक्ष के कुछ नेताओं की मुलाकात की बात कही जा रही है. मीडिया में चल रही खबरों की माने तो नीतीश कुमार की मुलाकात लालू प्रसाद यादव से भी होने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से सिंगापुर जा सकते हैं. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार अगर दिल्ली जा रहे हैं तो विपक्ष को एकजुट करने पर काम करने वाले हैं.

नीतीश कुमार ने बिहार वजट सत्र से पहले यह ऐलान किया था कि बिहार बजट सत्र समाप्त होने के बाद हम विपक्षी एकता के लिए दिल्ली का दौरा करेंगे. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार उसी दौरे को लेकर दिल्ली जाने वाले हैं. आपको बता दें कि नीतीश कुमार जब 2022 में एनडीए से अलग हुए थे तो उसी समय उन्होंने कहा था कि साल 2024 में पीएम मोदी के विजय रथ को रोक देंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि पूरे देश में विपक्षी एकता को जुटाया जाएगा. उस समय विपक्षी एकता को जुटाने की पहल भी की गई थी जिसमें सबसे पहली मुलाकात तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से उन्होंने की थी. इस दौरान केसीआर पटना आए थे उस समय उन्होंने तेजस्वी और नीतीश कुमार के साथ मिलकर एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेस किया था जिसमें उन्होंने आगामी प्लान के बारे में बताया था. इस दौरान नीतीश कुमार ने पीएम उम्मीदवार की अपनी इच्छा को नकार दिया था. हालांकि इसके बाद वे दो बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं. पहली बार जब दिल्ली गए थे तो सोनिया गांधी से इनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी. हालांकि बाद में उनका तीन दिन का दौरा हुआ जिसमें नीतीश कुमार कांग्रेस के सांसद रहे राहुल गांधी, कर्नाटक के पूर्व CM और JDS नेता एचडी कुमारर्वामी, CPI माले के महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के महासचिव डी राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, एनसीपी के प्रमुख शरद पवार और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव से उनकी मुलाकात हुई थी. हालांकि इस मुलाकात के बाद जब मीडिया के सामने आए तो नीतीश कुमार ने साफ तौर पर इनकार किया था कि वे पीएम बनना नहीं चाहते हैं. हालांकि उन्होंने कहा था 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराना है. और विपक्षी एकता को मजबूत करना है. आपको बता दें की नीतीश कुमार कि एक मंशा यह भी है कि वे थर्ड फ्रंट की बात नहीं करते हैं वे मेन फ्रंट की बात करते हैं. ऐसे में अब देखना है कि नीतीश कुमार अन्य पार्टियों के साथ कांग्रेस को कैसे एकजुट कर पाते हैं.

नीतीश कुमार ने मंच से कई बार यह कहा है कि कांग्रेस को एक बार बात करने की जरूरत है. साथ ही नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि कांग्रेस अगर हमारे साथ आती है तो हम बीजेपी को 100 से नीचे ला देंगे. लेकिन कांग्रेस ने नीतीश की एक न सूनी. पिछले दिनों जब राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता चली गई तब कांग्रेस को नीतीश कुमार याद आने लगे. अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि राहुल गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे. ऐसे में अब कांग्रेस के सुर भी बदले हुए नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि अब नीतीश कुमार और कांग्रेस अध्यक्ष की बात हुई है. और वे नीतीश कुमार से मिलने की इच्छा जताई है. बता दें कि नीतीश कुमार तीन दिन के दौरे पर दिल्ली के लिए रवाना होने वाले हैं. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार

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