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चर्चा का विषय बना 43 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, 10 साल की उम्र में प्राथमिकी

Bihari News

कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को न्याय भी देर से मिलता है तो उस समय वह न्याय भी अन्याय होता हैं. ठीक ऐसा ही एक रोचक मामला बक्सर जिलें से आया हैं. बता दे कि यह मामला 43 साल पहले का है. 43 साल पहले एक बच्चे पर शस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज हुआ था और अब जाकर 53 साल की अधेड़ उम्र में उन्हें इस मामले में न्याय मिला हैं और उन्हें दोषमुक्त किया गया हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि उस बच्चे पर डुमराव थाने में धारा – 148 एवं 307 भारतीय दंड संहिता एवं 27 शस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज किया गया था. बीते मंगलवार को प्रधान न्यायिक मजिस्ट्रेट किशोर न्याय परिषद राजेश सिंह के द्वारा इस मामले का निष्पादन किया गया था. 43 साल बाद शस्त्र अधिनियम के तहत आया यह फैसला कोर्ट में चर्चा का विषय बना रहा.

चलिए अब आपको यह पूरा मामला विस्तार से बताते हैं . बक्सर जिले की चौगाई निवासी स्वर्गीय श्याम बिहारी सिंह के दस वर्षीय पुत्र के खिलाफ साल 1979 में सात सितम्बर को डुमराव थाना में धारा-148 307 भारतीय दंड सहिंता एवं 27 शस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज किया गया था. उस समय उस बच्चे की आयु केवल 10 वर्ष पांच महीने की थी. बता दे कि यह मामला किसी के खिलाफ मारपीट और शस्त्र प्रदर्शन का था. मामले में चार्जसीट दायर की गयी जिसके बाद इस बच्चे का मुकदमा एक नवम्बर 2012 को एसीजेएम द्वितीय के न्यायालय से अंतरित होकर किशोर न्याय परिषद में पहुंचा.

किशोर न्याय परिषद में यह मामल उसके बयान के लिए काफी दिनों तक लंबित रहा और बीते मंगलवार को 55 वर्ष के अधेड़ हो चुके आरोपित बयान लेने के बाद न्यायधीश राजेश सिंह ने अभियोजन पक्ष से कोई भी साक्षी उपस्थित नही होने की स्थिति में उन्हें बचपन के केस से दोषमुक्त करने का फैसला दिया. इस तरह से करीब 42 साल बाद जिस दस साल के बालक पर केस दर्ज किया गया था वह 55 साल की उम्र में दोषमुक्त हो गए. इस न्याय के लिए उन्हें काफी लम्बा इंतजार करना पड़ा पर देर से ही सही मगर न्याय मिल ही गया.

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