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बिहार का वह जिला जहाँ भगवान राम को पारंपरिक गीतों में मिलती है गाली

Bihari News

भूमिका

श्री राम को भगवान विष्णु का सातवाँ अवतार माना गया है. भगवान राम की छवि भारतीय संस्कृति के पहचान के रूप में जानी जाती है. हर कोई श्री राम को पुरुषोत्तम राम का दर्जा देता है और सभी श्री राम को पूजते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि बिहार का एक ऐसा जिला भी है जो भगवान राम को जमकर गाली भी देते हैं. भला गाली दे भी क्यों ना हमारे समाज में अपने दामाद को मजाकिया रूप में गाली देने की परंपरा सदियों पुरानी जो है. अब तो आप समझ हीं गये होंगे की हम किस जिले की आज चर्चा करने वाले हैं. दरअसल हम बात कर रहें हैं बिहार के दरभंगा जिले की. जो प्राचीन में कभी मिथिला राज्य भी हुआ करता था. आज भी लोग इस क्षेत्र को मिथिला के नाम से हीं जानते हैं. मिथिला की बेटी जानकी मिथिला नरेश जनक की पुत्री थी और जानकी का विवाह पुरुषोतम श्री राम से हुआ था. अक्सर यह जिला अपने संस्कृति, खानपान और मेहमान नवाजी के लिए जाना जाता है. यहाँ अक्सर शादी विवाह के पारंपरिक गीतों के रूप में घर की महिलाएं श्री राम को दामाद के रूप में मानते हुए यह गीत गुनगुनाती हैं कीरामजी से पूछे जनकपुर के नारी, बता द बबुआ, लोगवा देत काहे गारी. यहाँ हर नव विवाहित जोड़े को श्री राम और सीता के रूप में हीं देखा जाता है. यह जिला अपने संस्कृति के लिए काफी धनी माना जाता है. कुछ लोगों का ऐसा मानना है की इस जिले का नाम दरभंगा द्वारबंगासे लिया गया है. जहाँ द्वार का अर्थ होता है दरवाजा और बंगा बंगाल से निकला संक्षिप्त शब्द है. यानी बंगाल का द्वार. 1 जनवरी साल 1875 में दरभंगा जिले का गठन हुआ था. इस जिले का मुख्यालय दरभंगा शहर में हीं स्थित है.

  • चौहद्दी और क्षेत्रफल

इस जिले के चौहद्दी की यदि हम बात करें तो इस जिले के पूरब की दिशा में सहरसा पश्चिम में सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर, वहीँ उत्तर में मधुबनी तथा दक्षिण की दिशा में समस्तीपुर जिला स्थित है. यदि इस जिले के क्षेत्रफल की बात करें तो 2279 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहाँ की आबादी 39,37, 385 है. यहाँ कुल 3 अनुमंडल, 18 प्रखंड और 1277 गाँव मौजूद हैं. इस जिले की क्षेत्रीय भाषा मैथली है. मैथली वह भाषा है जिसके मिठास की तुलना गुड़ से की जाति है.

इतिहास

आइये अब हम जानते हैं इस जिले के इतिहास के बारे में. प्राचीन समय में वैदिक स्रोतों के अनुसार आर्यों की विदेह शाखा द्वारा अग्नि के संरक्षण में सरस्वती तट से पूरब में सदानीरा जिसे अब लोग गंडक के नाम से जानते हैं उसकी तरफ गये और विदेह राज्य की उन्होंने स्थापना की. विदेह राज्य की स्थापना के पश्चात यहाँ के राजा मिथि हुए जिनके नाम पर यह प्रदेश मिथिला नाम से विख्यात हो गया. आगे चल कर इस राज्य में जनक नाम के राजा हुए. इस समय को धार्मिक ग्रंथों में रामायणकाल के नाम से जाना गया है. राजा जनक की पुत्री सीता हुई जिसका विवाह श्री राम से हुआ. जब विदेह राज्य का अंत हुआ तब यह प्रदेश आगे चल कर वैशाली गणराज्य में समाहित हो गया. आगे चल कर यहाँ मौर्य, शुंग, गुप्त और कण्व के शासकों ने शासन किया. आगे चल कर 13वीं सदी में मिथिला और तिरहुत क्षेत्रों का बंटवारा पश्चिम बंगाल के मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के समय में हुआ. बंटवारा होने के पश्चात उत्तरी हिस्से में मिथिला आया जिसके अंतर्गत मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर जिला रहा. उसके बाद 16वीं सदी में दरभंगा राज की राजधानी दरभंगा शहर रही. फिर ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1845 में दरभंगा सदर को अनुमंडल बना लिया गया. आगे चल कर साल 1864 में दरभंगा शहर नगर निकाय के रूप में जाना जाने लगा. फिर साल 1972 में दरभंगा को एक प्रमंडल का दर्जा दिए जाने के बाद मधुबनी और समस्तीपुर के अंतर्गत रखा गया.

प्रतिष्ठित व्यक्ति

आइये अब हम जानते हैं इस जिले के प्रतिष्ठित व्यक्ति के बारे में.

इस जिले के प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में हम सबसे पहले बात करेंगे दरभंगा के महाराजा सर रामेश्वर सिंह ठाकुर के बारे में. ये भारतीय सिविल सेवा में भर्ती हुए साथ हीं दरभंगा, भागलपुर और छपरा में सहायक मजिस्ट्रेट भी रह चुके हैं. बता दें की महाराजा रामेश्वर सिंह ठाकुर लेफ्टिनेंट गवर्नर की कार्यकारी परिषद् में नियुक्त होने वाले पहले भारतीय थे. इन्हें वर्ष 1902 में नाईट कमांडर ऑफ़ द इंडियन एमपायर के नाम से भी लोग जानने लगे. साथ हीं साथ आगे चल कर ये बर्थडे ऑनर्स के लिस्ट में नाईट ग्रैंड कमांडर से पदोन्नत भी हुए.

चलिए अब हम दूसरे प्रतिष्ठित व्यक्ति की सूची में बात करते हैं महाराजा कामेश्वर सिंह बहादुर के बारे में. ये महाराजा रामेश्वर सिंह ठाकुर के हीं पुत्र थे. जो आगे चल कर अपने दानशीलता स्वाभाव के कारण प्रसिद्ध हुए. दरभंगा राज भारत के रजवाड़ों में अपना खास स्थान रखते थे. इन्होने खेल से लेकर शिक्षा तक अपना अहम् योगदान दिया. कामेश्वर सिंह ने दरभंगा कप टूर्नामेंट कलकत्ता जो अब कोलकाता है वहां शुरू किया था. इस टूर्नामेंट में कई टीमों ने भाग लिया जिनमें लाहौर, पेशावर, मद्रास जो अब चेन्नई है, दिल्ली, जयपुर, बॉम्बे जो अब मुंबई है, अफगानिस्तान और इंग्लैंड की टीम शामिल थी. इन्होने कई इनडोर और आउट डोर स्टेडियम भी बनवाए जिनमे लहेरियासराय पोलो स्टेडियम भी शामिल थे. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर देखभाल नहीं होने के कारण ये सब खत्म हो गये. ये संविधान सभा के सदस्य भी रह चुके हैं. ब्रिटिश राज द्वारा इन्हें मूल राजकुमार की उपाधि से सम्मानित भी किया गया.

कैसे पहुंचे

आइये अब जानते हैं इस जिले के यातायात में रेल, सड़क और हवाई मार्ग की क्या सुविधा उपलब्ध है.

  • रेल मार्ग

तो यातायात की सुविधा में हम सबसे पहले बात करेंगे रेल मार्ग के बारे में. इस जिले में रेल मार्ग को पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत समस्तीपुर रेलवे मंडल के माध्यम से संचालित किया जाता है. दरभंगा जंक्शन रेलवे स्टेशन के माध्यम से आपको भारत के कई प्रमुख शहरों के लिए आसानी से रेल की सुविधा मिल जाएगी. दरभंगा जंक्शन का स्टेशन कोड DBG है. यह स्टेशन इस जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशनो में से एक है. इसके अलावे यहाँ लहेरियासराय स्टेशन भी है. जिसका स्टेशन कोड LSI है. यदि आप राजधानी पटना से दरभंगा आना चाहे तो आपको आसानी से ट्रेन की सुविधा मिल जाएगी. जिनमे जयनगर गरीब रथ एक्सप्रेस जिसका समय सुबह 6:05 मिनट पर है और यह सुबह 11:40 मिनट पर दरभंगा जंक्शन पहुंचा देगी. अब बात करते हैं जयनगर इंटरसिटी एक्सप्रेस की जो पटना से दोपहर 3:15 मिनट पर है और यह दरभंगा जंक्शन पर रात के समय आठ बजे तक पहुंचा देगी. शाम 5:05 मिनट पर पटना से कमला गंगा इंटरसिटी एक्सप्रेस है जो की रात के समय एक बजे तक दरभंगा पहुंचा देगी. फिर पटना से सुबह 11:30 मिनट पर पाटलिपुत्र दरभंगा MEMU स्पेशल है जो की आपको शाम के समय 6:25 मिनट पर दरभंगा पहुंचा देगी. इसके अलावे कई साप्ताहिक ट्रेने भी आपको मिल जाएँगी. जिसके माध्यम से आप पटना से दरभंगा आसानी से आ सकते हैं.

  • सड़क मार्ग

चलिए अब हम बात करेंगे सड़क मार्ग कि सुविधा के बारे में. तो बता दें की इस जिले के सड़क मार्ग बिहार के कई प्रमुख सड़कों से जुड़ती हैं. जिसके माध्यम से आप कहीं भी आसानी से जा सकते हैं. यदि आप राजधानी पटना से दरभंगा आना चाहे तो वाया NH 22 और NH27 के माध्यम से आ सकते हैं. इसकी दूरी 140 किलोमीटर तक में हैं. इस सफ़र को तय करने में 3 घंटे और 26 मिनट तक का समय लग सकता है. इस सड़क से जाने के लिए सबसे पहले आप NH22 के जरिये हाजीपुर जाये. उसके बाद इसी सड़क के माध्यम से सराय, भगवानपुर, गोरौल, कुर्हानी और फिर मुजफ्फरपुर आ जायेंगे. उसके बाद NH27 के माध्यम से मैथी, जारंग ईस्ट, सिमरी, कमतौल फिर दरभंगा पहुँच जायेंगे.

अब दूसरे रूट में हम बात करेंगे वाया स्टेट हाईवे 49 की. इसकी दूरी 122 किलोमीटर तक में हैं. जिसे तय करने में लगभग चार घंटे तक का समय लग सकता है. यदि हम इस सड़क की बात विस्तार से करें तो NH22 के जरिये सबसे पहले हाजीपुर पहुंचेंगे. फिर यहाँ से स्टेट हाईवे 49 होते हुए महुआ, ताजपुर, गंगापुर, फिर यहाँ से थोड़ी हीं दूरी पर मौजूद स्टेट हाईवे 50 पर आयेंगे. उसके बाद यहाँ से बिशनपुर होते हुए दरभंगा पहुँच जायेंगे.

अब हम बात करते हैं वाया NH322 और SH 50 के बारे में. इस सड़क की दूरी 128 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में. लगभग साढ़े चार घंटे तक का समय लग सकता है. इस सड़क से दरभंगा पहुँचने के लिए सबसे पहले पटना से NH22 के जरिये हाजीपुर जायेंगे. फिर यहाँ से हाजीपुरमुसरीघरारी रोड होते हुए NH322 के जरिये मुसरीघरारी, समस्तीपुर फिर यहाँ से NH 50 के जरिये दरभंगा पहुँच जायेंगे.

बता दें की आप यदि राजधानी पटना से दरभंगा सड़क मार्ग के जरिये जाना चाहते हैं तो आपको बस और निजी वाहन जैसी सुविधा आसानी से मिल जाएगी. जानकारी के लिए बता दें की यदि आप सड़क मार्ग के जरिये दरभंगा जा रहें हैं और आपको रास्ते में कहीं BRO7 नंबर के वाहन दिखने लगे तो समझ जाइये की आप दरभंगा जिले में प्रवेश कर चुके हैं.

  • हवाई मार्ग

आइये अब अंतिम में हम बात करते हैं हवाई मार्ग की. बता दें की इस जिले का अपना निजी हवाई मार्ग दरभंगा हवाई अड्डा है. इसकी शुरुआत नवम्बर 2020 से हुई थी. यहाँ से भारत के कई प्रमुख शहरों के लिए आप उड़ान भर सकते हैं. जिनमे मुंबई, दिल्ली और बंगलौर भी शामिल है. यदि आप पटना हवाई अड्डे पर आते हैं तो वहां से रेल या सड़क मार्ग के जरिये दरभंगा पहुँच सकते हैं. रेल और सड़क मार्ग के जरिये दरभंगा कैसे आना है इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं.

पर्यटन स्थल

चलिए अब हम बात करते हैं इस जिले के पर्यटन स्थलों के बारे में.

पर्यटन स्थलों की सूचि में हम सबसे पहले बात करेंगे कुशेश्वर स्थान पक्षी अभ्यारण्य के बारे में. यह जगह पूर्बी प्रखंड में स्थित एक झील है. स्थानीय भाषा में लोग इसे चौर भी कहते हैं. ठंड के मौसम में यहाँ दुर्लभ प्रजाति के पक्षी देखने को मिल जायेंगे.

अब हम बात करेंगे कुशेश्वर स्थान मंदिर के बारे में. यह मंदिर भगवान शिव का है. जो जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर की हीं दूरी पर स्थित है. इस मंदिर में दूरदूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. मिथिला क्षेत्र के लोग इसे बाबाधाम के नाम से भी जानते हैं.

चलिए अब बात करते हैं दरभंगा राज किला के बारे में. इसकी स्थापना दरभंगा महाराज के द्वारा करवाई गयी थी.किले के अन्दर आपको कई भव्य मंदिर दिख जायेंगे.

अब हम जानेंगे अहिल्या स्थान के बारे में. यह एक प्रसिद्ध धार्मिक ऐतिहासिक स्थल है. दरभंगा जिले के जाल प्रखंड में कमतौल स्टेशन से तीन किलोमीटर की हीं दूरी पर दक्षिण में स्थित है. धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार महर्षि गौतम ने अपनी पत्नी अहिल्या को जब श्राप दिया था तब वह शिलाखंड में परिवर्तित हो गयी. जब श्री राम यहाँ आये थे तब उनके चरण से स्पर्श अहिल्या का उद्धार हुआ. इस स्थान को रामायण सर्किट से जुड़ने का गौरब भी प्राप्त हुआ है. कई लोगों के बीच यह धार्मिक पर्यटन के रूप में प्रसिद्ध है.

अब बात करते हैं यहाँ के शाही मस्जिद किलाघाट दरभंगा के बारे में. इसका निर्माण तुगलक वंश के शासक गयासुद्दीन तुगलक द्वारा की गयी थी.इसके अलावे यहाँ श्यामा मंदिर, मजार, चर्च और गुरुद्वारा भी मौजूद है.

कृषि और अर्थव्यवस्था

चलिए अब आखिरी में हम बात करते हैं दरभंगा जिले के कृषि और अर्थव्यवस्था के बारे में. तो बता दें की इस जिले का मुख्य व्यवसाय कृषि है जो यहाँ के अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका अदा करती है. यहाँ मुख्य रूप से मखाना, आम और धान के फसल देखने को मिल जायेंगे. मछली, आम और मखाने के व्यापार के लिए यह शहर मुख्य रूप से जाना जाता है.

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