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भारत के लिए नहीं खेले एक भी मैच फिर भी नाम पर खेली जाती है भारत की सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट

Bihari News

जिसके नाम पर खेली जाती है भारत की इतनी प्रतिष्ठित टूर्नामेंट, भारत के लिए क्यों नहीं खेल पाया एक भी मैच ?

पुणे कॉलेज में संस्कृत का प्रोफेशर बना गया भारतीय क्रिकेट का ग्रैंड ओल्ड मैन

जो 37 सालों तक खेलता रहा डोमेस्टिक क्रिकेट, जब भारत के लिए खेलने की बारी आई तो कह दिया गया बूढ़ा

भारतीय डाक ने जिसके सम्मान में जारी किया स्टाम्प

100 वर्षों तक जीने वाले भारत के पहले फर्स्ट क्लास क्रिकेटर

विजय हजारे

“पचास के एक आदमी के लिए, उसकी सहनशक्ति पर विश्वास किया जाना देखा जा सकता था. एक थका देने वाले दिन के अंत में भी वह सुबह की तरह तरोताजा थे. उनकी बल्लेबाजी रूढ़िवादिता पर आधारित थी और ऑफ साइड पर वह विशेष रूप से मजबूत थे. वह शक्तिशाली रूप से निर्मित नहीं था, लेकिन उसके पास मजबूत कलाई थी, जो सही समय के साथ मिलकर, उसके स्ट्रोक को क्षेत्ररक्षकों को हरा देने के लिए पूरी गति प्रदान करती थी.” विजय हजारे ने अपने संस्मरण ‘क्रिकेट रिप्लेड’ में कहा है और जानते हैं किसके लिए कहा है ? चक दे क्रिकेट की खास पेशकश चक दे क्लिक्स में आज जिस खिलाड़ी की बात करने वाले हैं, वो भारत के लिए एक भी मैच नहीं खेले हैं लेकिन फिर भी उनको भारतीय क्रिकेट का ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ कहा जाता है. उनके नाम पर भारत में प्रतिष्ठित लिस्ट ए टूर्नामेंट खेली जाती है. इंडियन पोस्ट ने उनके सम्मान में स्टाम्प भी जारी किया. आज बात करेंगे भारतीय क्रिकेट के सिरमौर दिनकर बलवंत देवधर जिन्हें दुनिया डीबी देवधर के नाम से जानती है. देवधर ट्रॉफी के जनक डीबी देवधर के जीवन से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी और अनछुए पहलुओं को जानने की कोशिश करेंगे.

डीबी देवधर

14 जनवरी, 1892 को पूना(जो अब पुणे है) में दिनकर बलवंत देवधर का जन्म हुआ था. डीबी देवधर यकीनन सबसे प्रतिष्ठित भारतीय क्रिकेटर थे जो कभी भी भारत के लिए आधिकारिक टेस्ट में नहीं खेले। उनका जीवन उल्लेखनीय 101 वर्षों का था. देवधर का प्रथम श्रेणी यानी फर्स्ट क्लास करियर भी उनके धैर्य को सलाम करता था, जो कि 1911 से 1946 तक चला. उन्हें भारत में टेस्ट क्रिकेटरों की पहली पीढ़ी द्वारा एक पिता के रूप में देखा गया और देवधर ने भी उन्हें अपने स्वयं के व्यक्तिगत उदाहरण से प्रेरित किया.

जब भारत ने 1932 में पहला आधिकारिक टेस्ट मैच खेला था, देवधर 40 वर्ष के थे और टेस्ट खेलने के लिए उनको काफी उम्रदराज समझा गया. लेकिन देवधर फिटनेस के मामले में युवाओं को शर्मशार कर देते थे.

देवधर 1911 से 1948 तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेले. उनकी पहचान एक आक्रामक दाएं हाथ के बल्लेबाज के रूप में हुई जो एक लेग स्पिनर भी था. अपने 37 साल के फर्स्ट क्लास करियर में उन्होंने 81 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 39.32 की एवरेज से 4,522 रन बनाए थे, और 246 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर था. देवधर के बल्ले से इस दौरान 9 शतक और 27 अर्धशतक निकले और गेंद से उन्होंने 11 विकेट भी लिए. 1939 से 1941 तक उन्होंने रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र की कप्तानी की थी और इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र की टीम को फर्स्ट क्लास क्रिकेट में स्थापित किया.

देवधर एक कुशल कप्तान थे, जिनकी युवा प्रतिभाओं की खोज पर नजर थी. 1939-40 के रणजी सीज़न से पहले, महाराष्ट्र ने प्रतियोगिता में कभी भी एक भी मैच नहीं जीता था, ट्रॉफी तो दूर की बात थी. देवधर 1939-40 और 1940-41 में लगातार दो सत्रों के लिए पूना में रणजी ट्रॉफी लेकर आए. कमल भंडारकर और खांडू रंगनेकर को महाराष्ट्र की ओर से भर्ती करने और 1939-40 के सीजन में मध्य भारत से विजय हजारे की वापसी हासिल करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, ताकि हजारे और महाराष्ट्र दोनों के लिए एक शानदार अवधि शुरू हो सके.

डीबी देवधर के लिए सबसे बड़ा क्षण निस्संदेह नवंबर 1940 में पूना क्लब मैदान में कट्टर प्रतिद्वंद्वी बॉम्बे के खिलाफ आया, जब अपने 49वें जन्मदिन से दो महीने पहले उन्होंने शानदार 246 रन बनाकर महाराष्ट्र को 675 के बड़े स्कोर तक पहुंचा दिया था. उस पारी को याद करते हुए हजारे कहते हैं, “जब सभी युवा एक पचास या एक मामले में एक शतक से संतुष्ट लग रहे थे, तो यह पचास साल पुराना चमत्कार हमेशा के लिए एक कवि द्वारा महिमामंडित लौकिक धारा की तरह चला गया. उसने महसूस किया कि पंख वाले विकेट पर, कोई भी पक्ष केवल अच्छे टोटल से आश्वस्त नहीं हो सकता. उसका शानदार होना ही था.”

लेकिन 675 अभी भी विजय मर्चेंट के नेतृत्व वाली एक मजबूत बॉम्बे टीम की बल्लेबाजी लाइन-अप से परे नहीं था, लेकिन देवधर ने जबरदस्त सुझबुझ और बढियां ढंग से अपने संसाधनों का उपयोग किया, आखिरकार पांचवीं दोपहर तक, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से हजारे की गेंद पर हवेवाला द्वारा खेला गया एक स्कायर को पकड़ा और बंबई की 650 रन की चुनौती को देखा, उस सीजन में महाराष्ट्र के खिताब के सफल बचाव में देवधर ने 500 से अधिक रन बनाए और यहां तक ​​कि चार साल बाद भी, वह एक योग्य प्रतियोगी थे, जब नवानगर के खिलाफ दोनों पारी में उन्होंने शतक बनाया, रणजी ट्रॉफी में ऐसा दूसरा उदाहरण था. उस वक्त देवधर 53 साल के थे.

अनौपचारिक ही सही लेकिन पुणे के एक कॉलेज में संस्कृत के एक प्रोफेसर, डीबी देवधर टेस्ट शतक बनाने वाले पहले भारतीय के रूप में देखे जाते हैं. हालांकि यह 1926-27 के आर्थर गिलिगन की मेहमान टीम के खिलाफ हो सकता है. उन्होंने ऑल इंडिया को 75 की पहली पारी की बढ़त दिलाने के लिए एक उत्तम दर्जे का 148 रनों का स्कोर बनाया जिससे तीसरे दिन समय समाप्त होने पर एमसीसी हार के कगार पर थी. देवधर ने पुणे में 1937/38 में महाराष्ट्र के लिए लॉर्ड टेनीसन के विरुद्ध भी शतक बनाया था.

क्रिकेटर डीबी देवधर मार्ग

1946 में भारतीय टीम के साथ इंग्लैंड और 1947/48 में ऑस्ट्रेलिया में हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार के रूप में, देवधर भारतीय टीम के लिए प्रोत्साहन का एक बड़ा स्रोत थे. 1973-74 में उनके सम्मान में एक घरेलू क्षेत्रीय एक दिवसीय प्रतियोगिता देवधर ट्रॉफी का नाम रखा गया, जो आज भी खेली जाती है, और जो लिस्ट ए क्रिकेट की एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है. दो अन्य सांकेतिक सम्मान 1965 में पद्म श्री और 1991 में पद्म भूषण से भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित किया गया और पुणे में उनके नाम पर एक सड़क का नामकरण – क्रिकेटर डीबी देवधर मार्ग – पूना यंग क्रिकेटर्स हिंदू जिमखाना मैदान के पास किया गया है. देवधर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI के वाईस प्रेसिडेंट भी रहे साथ नेशनल सेलेक्टर के रूप में भी उन्होंने काम किया, इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर भी अपनी सेवाएं दी.

पुणे के सहारा क्रिकेट स्टेडियम में देवधर जी की एक मूर्ति

24 अगस्त, 1993 को 101 वर्ष की उम्र में डीबी देवधर हम सबसे जुदा हो गए. भारत की पूर्व नेशनल बैडमिंटन चैंपियन तारा देवधर, सुंदर देवधर और सुमन देवधर डीबी देवधर की बेटियां हैं. 2012 में पुणे के सहारा क्रिकेट स्टेडियम में देवधर की एक मूर्ति का अनावरण किया गया था.

चक दे क्रिकेट की पूरी टीम भारतीय क्रिकेट के ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ डीबी देवधर को कोटि-कोटि नमन करती है. आपके अनुसार क्या वाकई में भारत के लिए टेस्ट खेलने के लिए देवधर फिट नहीं थे ? किस वजह से वो भारत के लिए एक भी टेस्ट मैच नहीं खेल सके ? कमेंट में हमें बताएं.

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