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दुर्गा पूजा का है बड़ा महत्व, जानें शुभ मुहूर्त, नियम और विधि

Bihari News

कुछ ही दिनों में नवरात्रि जैसे शुभ पर्व की शुरुआत होने वाली हैं. इस पर्व को लेकर शक्ति के साधकों को काफी इन्तेजार रहता हैं. वहीं दूसरी ओर लोगों के मन में इस पर्व को लेकर कई सवाल होते हैं. जिनमें वे जानना चाहते है कि इस पर्व की शुरुआत कब होगी, घट स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या हैं, इस पूजा को करने के लिए कीं कीं नियमों का पालन करना होता? इन सभी सवालों का जवाब आज हम आपको बताने जा रहे हैं. बता दे कि नवरात्री के इस पर्व को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मनाया जाता हैं. नवरात्री को शक्ति की साधना के लिए सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना जाता हैं. नवरात्री का यह पर्व देवी दुर्गा से जुड़ा है जो की साल में 4 बार मनाया जाता हैं. जिसमें से चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी पड़ती हैं. इन चारों में शारदीय नवरात्री को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं और इसी के साथ दुर्गा पूजा भी संपन्न होती हैं. वहीं अगर इस साल के शारदीय नवरात्री के तारीख की बात करें तो, इस साल यह 26 सितम्बर 2022 से शुरू होगी और 5 अक्टूबर तक चलेगी. आइए , अब हम आपको देवी दुर्गा की साधना-आराधना से जुड़े इस पावन पर्व की प्रमुख तिथियों, पूजा विधि औएर उसके शुभ मुहुरुत के बारे में विस्तार से बताते हैं.

सबसे पहले जानते है नवरात्री पर घट स्थापना का क्या मुहूर्त हैं. इस पर्व में शक्ति की साधना के लिए 9 दिनों तक पूजा- पाठ की जाती हैं, जिसमें सबसे पहले दिन कलश स्थापना की जाती हैं. इस साल शारदीय नवरात्री का पहला दिन 26 सितम्बर 2022 को पड़ेगा और इसी दिन घट की भी स्थापना की जाएगी. अगर हम देश की राजधानी दिल्ली के समय के अनुसार चलें तो घट स्थापना के लिए सबसे उत्तम शुभ मुहूर्त सुबह 06:11 मिनट से लेकर 07:51 बजे तक हैं. इस मुहूर्त के अलावा भी आप चाहे तो घट की स्थापना इसी दिन अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं, जिसका समय सुबह 11:48 से दोपहर 12:36 तक निर्धारित किया गया हैं.

वहीं अगर नवरात्री के पावन तिथियां पर नजर डालें तो, नवरात्री का पहला दिन 26 सितम्बर , सोमवार हैं . नवरात्री का पहले दिन यानी की प्रतिपदा के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं. 27 सितम्बर , मंगलवार को नवरात्री का दूसरा दिन हैं . इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं. 28 सितम्बर, बुधवार को नवरात्री का तीसरा दिन, इस दिन माँ चंद्रा घंटा की पूजा की जाती हैं. 29 सितम्बर , गुरुवार को नवरात्री का चौथा दिन हैं , इस दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती हैं. 30 सितम्बर, शुक्रवार को नवरात्री का पांचवा दिन, इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती हैं. नवरात्री का छठा दिन 1 सितम्बर, शनिवार को हैं. इस दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती हैं. 2 सितम्बर रविवार को नवरात्री का सातवां दिन है. नवरात्री के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती हैं. 3 सितम्बर (सोमवार) और 4 सितम्बर (मंगलवार) को नवरात्री का आठवां और नौवां दिन हैं. इस दिन माँ महागौरी और माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं. वहीं इस पर्व का अंतिम दिन यानी की माँ दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन का दिन 5 अक्टूबर बुधवार को मनाया जा रहा हैं. नवरात्री के अंतिम दिन माँ दुर्गा को विदाई दी जाती है और उनके प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता हैं और इसी के साथ नवरात्री की समाप्ति हो जाती हैं.

अब हम आपको बताते है कि नवरात्री की पूजा विधि क्या हैं. नवरात्रि के पहले दिन शक्ति की साधना को करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद नौ दिनों तक किए जाने वाले नवरात्रि के व्रत का संकल्प लें और शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधानम से माँ दुर्गा की पूजा करे और कलश की स्थापना करें. नवरात्री के प्रति दिन मान दुर्गा की सप्तशती की पाठ जरुर करें. इसके बाद अपने अनुसार नवरात्री के नौवें दिन पूजा पाठ कर के 9 कन्याओं का भी विशेष रूप से पूजन करें और उन्हें भोजन खिलायें. भोजन में कन्याओं को कन्याओं को पूड़ी, चना, हलवा आदि को खिलाये और फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें कुछ दक्षिणा दे और उनका आशीर्वाद ले . इसके बाद व्रत का पारण करें.

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