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वह खिलाड़ी जिसके टीम में होने मात्र से जीत हो जाती थी सुनिश्चित

Bihari News

वेस्टइंडीज एक ऐसा नाम, जिसकी विश्व क्रिकेट में अपनी अलग पहचान है. इस देश ने कई चैंपियन खिलाड़ी, आला दर्जे के खिलाड़ी, जो अकेले मैच का रुख मोड़ देते हैं. इस देश ने विश्व क्रिकेट को सबसे खूंखार पेस अटैक दिया और उसी दर्जे के बल्लेबाज. क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप टेस्ट क्रिकेट में इस देश के बल्लेबाज ने नाबाद 400 रनों की पारी खेली थी. इस देश से ही आया था एक गेंदबाज, जिसके पूरे करियर में कोई भी बल्लेबाज उन्हें छक्का नहीं लगा पाया, लेकिन आज हम इनकी बात नहीं करेंगे. जिस देश ने क्रिकेट का पहला विश्व कप जीता उसी देश के एक चैंपियन खिलाड़ी की ही बात करने वाले हैं. मगर यह खिलाड़ी थोड़ा हट के है. चक दे क्रिकेट की खास पेशकश चक दे क्लिक्स में बात होगी वेस्टइंडीज के एक ऐसे खिलाड़ी की, जिसने ऑलराउंड प्रदर्शन से टी20 क्रिकेट में अपने देश को विश्व क्रिकेट के बराबर लाकर खड़ा कर दिया. आज बात उस खिलाड़ी की जिसे दुनिया डीजे ब्रावो के नाम से जानती है, और जिनका असली नाम ड्वेन ब्रावो है.

    

ड्वेन जोन ब्रावो का जन्म 7 अक्टूबर 1983 को त्रिनिदाद एंड टोबैगो के सेंटाक्रुज कस्बे में हुआ था. ड्वेन ब्रावो के पिता का नाम जॉन ब्रावो और मां का नाम जॉयक्लीन ब्रावो है. ब्रावो के एक हाफ ब्रदर यानी एक सौतेले भाई हैं जिनका नाम डेरेन ब्रावो है. इसके अलावा ब्रावो की चार बहनें भी हैं. स्कूली दिनों में ब्रावो क्रिकेट और फुटबॉल दोनों खेलते थे लेकिन वो ब्रायन लारा ही थे, जिन्होंने उन्हें क्रिकेट के लिए इंस्पायर किया. बता दें कि लारा और ब्रावो का घर एक ही गांव में था. दोनों का घर कुछ ही दूरी पर था. ब्रावों ने यह बताया है कि जब वे क्रिकेट के प्रति अपनी दिलचस्पी को बढ़ा रहे थे उस समय क्रिकेट की दुनिया में लारा का बल्ला कमाल दिखा रहा था. उनके कारनामें से विश्व क्रिकेट चकित हो रहा था. और वेस्टइंडिज अपने टीम के लिए दूसरे लारा की तलाश कर रहा था. इस दौरान ब्रावो अपने आप को लारा बनाना चाह रहे थे. लारा की तरह बल्लेबाजी करना चाहते थे. बाद में जब ब्रावो को टीम में शामिल किया गया था तो उस समय वे एक बेहतरीन ऑलराउंडर की हैसियत से टीम में जुड़े.

कहा तो यह भी जाता है कि लारा और ब्रावो के पारिवारिक संबंध है इस बात में कितनी सच्चाई है हमें नहीं पता लेकिन इतना पता है कि ब्रावो लारा से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. उनकी बल्लेबाजी को उन्होंने अपना स्टाइल बनाया है. क्रिकेट के प्रति प्यार के कारण ही उन्हें कम उम्र में क्रिकेट खलने का मौका मिल गया. उन्हें अंडर-15 में त्रिनिदाद और टोबोगो के लिए क्रिकेट खेलने का मौका मिला. इसी दौरान उन्हें डोमेस्टिक क्रिकेट में भी खेलने का मौका मिल गया.

फिर आया साल 2002 हर खिलाड़ी का सपना होता है अपनी टीम से खेलने का ब्रावो को भी त्रिनिदाद और टोबैगो की तरफ से खेलने का मौका मिल गया. घरेलू क्रिकेट के डेब्यू मैच में ओपनिंग करते हुए उन्होंने 15 और 16 रन बनाए थे. हालांकि इस मैच के एक महीने के बाद ब्रावो ने घरेलू क्रिकेट में अपना पहला शतक जमा दिया. इसके बाद उन्होंने अपनी टीम के लिए एक के बाद एक मैच खेले और टीम को जीत दिलवाई. इसी दौरान उन्होंने विंडवार्ड आइसलैंड के खिलाफ खेलते हुए 11 रन देकर 6 विकेट अपने नाम कर लिया और दिखा दिया कि वे अब एक ऑलराउंडर के तौर पर वेस्टइंडीज की टीम में शामिल होने की क्षमता रखते हैं.

घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन का इनाम मिला और करीब एक महीने के बाद ब्रावों को वेस्टइंडीज टीम में शामिल कर लिया गया. ब्रावों ने 18 अप्रैल 2004 के दिन इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे डेब्यू मैच खेला. जिसमें ब्रावों ने 31 रन की पारी खेली और गेंदबाजी में भी 2 विकेट अपने नाम किया था. इसी साल 22 जुलाई 2004 को ब्रावो का वनडे क्रिकेट में भी डेब्यू हो गया और यहां भी उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा इसके बाद उन्हें इंग्लैंड में होने वाले टेस्ट सीरीज में शामिल कर लिया गया. क्रिकेट का मक्का कहा जाने वाला लोर्ड्स के मैदान पर सफेद जर्सी में ब्रावो पहली बार मैदान में उतरे थे. अपनी पहली पारी में उन्होंने 44 रन बनाए. इस पूरे सीरीज में उनका प्रदर्शन शानदार रहा था. इस पूरे सीरीज में उन्होंने 16 विकेट अपने नाम किये थे. इसी सीरीज के दौरान ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर उन्होंने शानदार गेंदबाजी करते हुए 55 रन देकर 6 विकेट अपने नाम किया था. जोकि उनका टेस्ट क्रिकटे में गेंदबाजी का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन रहा है.

फिर आया साल 2005 इस साल साउथ अफ्रिका कि टीम ने वेस्टइंडीज का दौरा किया. एंटीगुआ में खेले गए पहले टेस्ट मैच में ब्रावो के बल्ले से पहला शतक निकला इस दौरान उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से यह दिखा दिया कि इस खिलाड़ी में किस तरह कि प्रतिभा है. हालांकि इस पूरे सिरीज में उनका प्रदर्शन शानदार रहा. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए सीरीज के दो टेस्ट मैचों में से एक मैच में उन्होंने 113 रन की शानदार पारी खेली तो वहीं आखिरी टेस्ट मैच में इन्होंने अपनी गेंद से कमाल दिखाया और 6 खिलाड़ियों को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया. हालांकि इस सीरीज के बाद ब्रावो चोटिल हो गए और कुछ महीने के लिए आराम मिल गया. हालाकि इस शानदार खिलाड़ी की कमी तो वेस्टइंडीज को महसूस हो ही रही थी. इंजरी से लौटने के बाद ब्रावो को चैंपियंस ट्रॉफी की टीम में शामिल कर लिया गया. जहां उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपने कैरियर का पहला वनडे शतक बना लिया. इस दौरान उन्होंने 112 रन की शानदार पारी खेली और क्रिस गेल के साथ मिलकर इन्होंने 174 रनो की साझेदारी भी की थी. साल 2007 में खेले गए एक मैच में दिनेश रामदीन की जगह ब्रावो को विकेटकीपर बनने का भी मौका मिल गया था. इसी साल खेले गए टी-20 विश्वकप में उनसे बहुत उम्मीद थी लेकिन ब्रावों उसपर खरे नहीं उतरे हालांकि इन्होंने इस सीरीज में कुल 129 रन बनाए और 13 विकेट भी अपने नाम किया था. तमाम उतार चढ़ाव के बीच में इन्हें 2011 के विश्वकप में खेलने का मौका मिल गया. लेकिन यह विश्वकप भी इनके लिए अच्छा नहीं रहा. बीच वर्ल्डकप में ही चोट के कारण इन्हें टुर्नामेंट से बाहर जाना पड़ा. हालांकि ब्रोवो को उनके जज्बे में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई. अगले साल यानी कि साल 2012 में खेले गए टी-20 विश्वकप में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को विश्वकप विजेता बना दिया. हालांकि इसके बाद भी उन्हें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेले गए विश्वकप में टीम में शामिल नहीं किया गया. हालांकि इन दोनों ही विश्वकप में ब्रोवो की कमी टीम को खुब खली. इसी दौरान साल 2011-2013 के दौरान वेस्टइंडीज ने 24 टेस्ट मैच खेले जिसमें ब्रोवो को खेलने का मौका नहीं मिला ऐसे में उन्होंने 2015 में सन्यास की घोषणा कर दी.

इसके बाद साल 2016 में हुए विश्वकप में एक बार फिर से ब्रोवो को खेलने का मौका मिला और इन्होंने डेथ ओवरों में इन्होंने शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया.

इस विश्वकप के दो साल के बाद उन्होंने विश्व क्रिकेट के सभी फॉर्मेंट से संन्यास की घोषणा कर दी. हालांकि उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा को वापस ले लिया और अगले साल होने वाले विश्वकप में उन्हें टीम के साथ जोड़ लिया गया. साल 2021 में हुए टी-20 विश्वकप में इन्होंने शानदार प्रदर्शन किया लेकिन टीम विश्वकप तक नहीं पहुंच पाई. उसके बाद उनहोंने नवंबर के महीने में अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उन्होंने हमेशा के लिए क्रिक्रेट से संन्यास की घोषणा कर दी.

ब्रोवो ने भले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी लेकिन अभी भी वे इंडियन प्रीयमियम लिग में खेलते रहे हैं. इन्होंने IPL की शुरुआत मुंबई की तरफ से खेलते हुए किया और लगातार तीन साल तक इसी टीम के साथ जुड़े रहे हैं. इतना ही नहीं मुंबई की तरफ से खेलते समय साल 2010 में ब्रोवो ने मुंबई की टीम को लीड भी किया था. हालांकि Ipl के चौथे सीजन में वे चेन्नई सुपरकिंग्स के साथ हो गए थे. और इस टीम में रहते हुए ब्रावो दो बार पर्पल कैप विनर भी रहे हैं. साल 2022 के IPL से भी संन्यास की घोषणा कर दी.

ब्रोवो के अगर हम अंतरराष्ट्रीय कैरियर की बात करें तो 40 टेस्ट मैचों के 71 इनिइंग में 3 शतक और 15 अर्धशतक लगाया, टेस्ट मैच में उन्होंने 2200 रन बनाए हैं इस दौरान इन्होंने 86 विकेट भी चटकाए हैं तो वहीं वनडे की बात करें तो 164 मैच के 141 पारियों में इन्होंने 2 शतक और 10 अर्धशतक लगाए हैं इस दौरान इन्होंने 2968 रन भी बनाए हैं. 199 विकेट अपने नाम किया है. वहीं अगर हम टी-20 की बात करें तो 91 मैचों की 74 पारियों में 1255 रन बनाए हैं इस दौरान इन्होंने 4 अर्धशतक भी लगाए हैं. और 78 विकेट अपने नाम किया है. वहीं अगर हम IPL की बात करें तो 161 मैचों के 113 पारियों में 1560 रन बनाए हैं और इन्होंने 183 विकेट अपने नाम किया था.

ब्रावो उन खिलाड़िय़ों की लिस्ट में हैं जिन्हें भारत में खुब प्यार मिला है. इनके द्वारा गाये गए गाने भी भारत में खुब सुने जाते हैं. बता दें कि ब्रावो का एक गाना गीत चैम्पियन भारत में खुब पसंद किया जाता है. साथ ही उन्होंने साउथ की फिल्म में कैमियों की भूमिका भी निभा चुके हैं.

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