6-6 उंगलियों वाला खिलाड़ी, जिसने सबसे पहले लगाया था 6 गेंदों में 6 छक्का !
जिसने अपने पहले टेस्ट शतक को कर दिया ट्रिपल सेंचुरी में तब्दील, 365 रन जड़कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
6-6 उंगलियों के साथ हुआ था पैदा, बन गया विश्व का सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर
जिसके नाम पर ICC हर साल देती है प्लेयर ऑफ द इयर अवार्ड
जिंदगी हो या फिर क्रिकेट, जो बाधाओं को पार करता है, जो संघर्ष करता है, जो डटा रहता है, जीत उसी की होती है. इस लेख में एक ऐसे खिलाड़ी की बात होगी, जिसका कद क्रिकेट वर्ल्ड में सबसे ऊपर है. खिलाड़ी का अंतराष्ट्रीय करियर ऐसा रहा जिसका ख्वाब हर क्रिकेटर देखता है. बल्लेबाजी हो, गेंदबाजी हो या फिर फील्डिंग, ये खिलाड़ी तीनों ही मोर्चों पर कमाल के थे. शायद इसलिए महान डॉन ब्रैडमैन इस खिलाड़ी को सर्वकालीन महानतम क्रिकेटर मानते हैं. इस खिलाड़ी ने अपने करियर में कई कीर्तिमान बनाए, जिसमें एक ओवर में 6 छक्के जड़ने से लेकर पहले टेस्ट शतक में 365 रनों की मैराथन पारी खेलना शामिल है. खिलाड़ी की महानता उनके आंकड़े खुद बयां करते हैं. आज के अंक में वेस्टइंडीज के महानतम खिलाड़ियों में से एक Sir Garfield Sobers, जिन्हें सर गैरी सोबर्स कहा जाता है, उनके जीवन से जुड़ी कुछ जानी-अनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.
आपको जानकार हैरानी होगी कि सोबर्स 12 उंगलियों के साथ पैदा हुए थे. जन्म से ही उनके हाथों में एक-एक उंगली ज्यादा थी, यानी कुल मिलाकर 12 उंगली.
‘गैरी सोबर्स: माय ऑटोबायोग्राफी’ में उन्होंने उस ‘खासियत (12 उंगली) ‘ का जिक्र किया है. सोबर्स ने लिखा, ‘दूसरे बच्चे कहेंगे कि मैं क्रिकेट में बहुत अच्छा था क्योंकि मेरे हाथ में छह उंगलियां थीं … दरअअसल, पहली अतिरिक्त उंगली काफी जल्दी गिर गई, जब मैं लगभग 9 या 10 साल का था. मैंने 11 उंगलियों के साथ पहली बार क्रिकेट खेला और इसके बाद 14 या 15 साल की उम्र में दूसरे हाथ की उंगली को खुद निकलवा लिया था.’
गैरी सोबर्स का जन्म 28 जुलाई, 1936 को बारबाडोस में एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था. लेकिन सोबर्स के कदम रुकने वाले नहीं थे, उनके आंखों में आग थी और क्रिकेट के प्रति गजब का समर्पण. गरीबी सोबर्स के रास्ते का कांटा नहीं बन पाई बल्कि उससे वो और भी मजबूत हुए. उनका परिवार इतना गरीब था कि वो अपने बेटे के लिए पैंट तक नहीं सिलवा सकता था. यही वजह थी कि सोबर्स 16 साल की उम्र तक शॉर्ट्स में ही क्रिकेट खेलते थे. और फिर हीरा कबतक अपनी चमक को छुपा सकता था, वो तो चमकने के लिए पैदा हुआ था. ये क्रिकेट के लिए उनका जुनून ही था कि साल 1952-53 में उन्हें अचानक वेस्टइंडीज की टीम से बुलावा आ गया. जब भारत के खिलाफ उन्होंने अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था तब बारबाडोस क्रिकेट एसोसिएशन ने अपने पैसे से उन्हें सफेद किट दिलाई थी.
बेहतरीन ऑलराउंडर गैरी सोबर्स क्रिकेट की हर विधा में पारंगत थे. उन्होंने एक ओर जहां अपनी बल्लेबाजी से धूम मचाया, वहीं अपनी जबरदस्त गेंदबाजी क्षमता से सबको हैरान कर दिया. सोबर्स अपनी लेग स्पिन, चाइनामैन और मध्यम गति तेज गेंदबाजी से सबको चौंकाया.
यहां तक कि सोबर्स ने बतौर गेंदबाज ही वेस्टइंडीज की तरफ से अपना डेब्यू किया था. इंग्लैंड के खिलाफ अपने अंतराष्ट्रीय डेब्यू पर सोबर्स ने 4 विकेट चटकाए थे. लेकिन अपने टेस्ट डेब्यू के 4 साल बाद सोबर्स ने ऐसा कारनामा किया, जिसको देखकर दुनिया दंग रह गई. वह साल था 1958, वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के बीच मैच खेला जा रहा था, और महज 21 साल के सोबर्स ने अपने पहले ही शतक को ट्रिपल सेंचुरी में बदल दिया.
किंग्स्टन में सोबर्स ने नाबाद 365 रनों की पारी खेली थी, जो एक विश्व रिकॉर्ड बन गया. 36 साल बाद वेस्टइंडीज के ही एक और महान खिलाड़ी ब्रायन लारा ने 375 रन बनाकर सोबर्स के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ा था.
सोबर्स के नाम हुआ बेमिसाल रिकॉर्ड
1966 में सोबर्स ने अकेले अपने दम पर वेस्टइंडीज को इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज जितवाया था. उस दौरान उन्होंने ना सिर्फ 3 बार 150 रनों की पारी खेली बल्कि एक बार 94 रन भी बनाए. इसके अलावा सोबर्स ने 20 विकेट चटकाए थे. सोबर्स के नाम 1968 में एक अद्भुत और अविश्वसनीय रिकॉर्ड जुड़ा. क्रिकेट इतिहास में 6 गेंदों पर 6 छक्के जड़ने का कारनामा सबसे पहले गैरी सोबर्स ने ही किया था. सोबर्स ने इंग्लिश काउंटी में नौटिंघमशायर से खेलते हुए ग्लेमॉर्गन के मैलकोम नैश के ओवर की सभी 6 गेंदों पर छक्के जड़ दिए. यह सिर्फ फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ही नहीं बल्कि क्रिकेट इतिहास में पहली बार देखने को मिला था. हालांकि 17 साल बाद भारत के रवि शास्त्री ने बड़ोदा के तिलकराज को 6 गेंदों पर 6 छक्के लगाकर सोबर्स के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली. हालांकि इसके बाद युवराज सिंह, हर्शल गिब्स और काइरोन पोलार्ड ने भी 6 गेंदों पर 6 छक्के लगाने का कारनामा किया मगर यह अद्भुत कारनामा करने वाले सोबर्स दुनिया के पहले खिलाड़ी बने.
एक घटना ने बदल दिया खेलने का तरीका
महान गैरी सोबर्स के डेब्यू सीरीज से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है, जो शायद बहुत कम लोगों को पता है. इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू सीरीज में तेज गेंदबाज लेन हट्टन की एक बाउंसर सोबर्स के सिर पर लगी थी. सोबर्स ने हट्टन की गेंद को छोड़ने का प्रयास किया था लेकिन गेंदब उनके सिर पर जा लगी. इस घटना के बाद सोबर्स ने अपने पूरे करियर में किसी बाउंसर को छोड़ने की कोशिश नहीं की. वो हमेशा बाउंसर पर आक्रामक स्ट्रोक लगाते दिखाई दिए.
शराब पीकर ठोका शतक
सर गैरी सोबर्स ने 1973 में लॉर्ड्स के मैदान पर नशे में शतक ठोक दिया था. दरअसल लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान सोबर्स 31 रन बनाकर नाबाद रहे और दिन का खेल खत्म हो गया था. रात में क्लाइव लॉयड ने सोबर्स को लंदन के नाईट क्लब में चलने के लिए कहा. वेस्टइंडीज के दोनों खिलाड़ी पूर्व ऑफ स्पिनर रेग स्कारलेट के नाईट क्लब में गए और वहीं पर सुबह 4 बजे तक शराब पीते रहे. चूंकि सोबर्स को अगली सुबह बल्लेबाजी करनी थी इसलिए उन्होंने नहीं सोने का फैसला किया. सोबर्स का मानना था कि अगर वो सो जाएंगे तो वो मैच के लिए उठ ही नहीं पाएंगे इसलिए सोबर्स ने क्लेयरेंडन कोर्ट नामक जगह पर और शराब पी और इसके बाद वो लॉर्ड्स में नहाने चले गए. सोबर्स समय पर बल्लेबाजी करने के लिए भी उतरे. पहली ओवर की 5 गेंदें तो उन्हें दिखी तक नहीं, लेकिन छठी गेंद सोबर्स के बल्ले के बीचो-बीच लगी और फिर बल्लेबाज ने इसके बाद ऐसी बल्लेबाजी की, कि दुनिया देखती रह गई. बल्लेबाज ने शानदार शतक ठोका और पूरा वेस्टइंडीज खेमा हैरान था. सोबर्स ने नाबाद 150 रनों की पारी खेली थी.
महान गैरी सोबर्स ने 1974 में क्रिकेट को अलविदा कहा, 93 टेस्ट मैचों के करियर में सोबर्स ने 57.78 की औसत से 8032 रन बनाए, साथ ही 235 विकेट भी झटके. उनके नाम 26 शतक और 30 अर्धशतक दर्ज हैं. गैरी सोबर्स का भारत से भी खास रिश्ता रहा, इस दिग्गज ऑलराउंडर ने बॉलीवुड ऐक्ट्रेस अंजू महेंद्रू को दिल दे दिया था. कहा जाता है कि दोनों की शादी लगभग पक्की थी, दोनों की सगाई भी हुई पर शादी नहीं हो पाई. अंजू के पेरेंट्स को इस रिश्ते से नाराजगी थी. सोबर्स ने बाद में ऑस्ट्रेलियाई मूल की लड़की फ्रू किब्रे से 1969 में शादी रचाई. दोनों का अब तलाक हो चुका है, दोनों के 2 बेटे हैं और उन्होंने एक बेटी को गोद लिया था.
कहते हैं कि आधुनिक क्रिकेट wg grace की देन है लेकिन सोबर्स क्रिकेट को नई उंचाइयां देने के लिए याद किए जाते हैं. 2004 में, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी का उद्घाटन किया, जो आईसीसी द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में चुने गए खिलाड़ी को प्रतिवर्ष प्रदान की जाती है. पुरस्कार का नाम सोबर्स के नाम पर रखने की सिफारिश रिची बेनौद, सुनील गावस्कर और माइकल होल्डिंग के एक पैनल द्वारा की गई थी, जिन्हें ICC द्वारा “एक ऐसे व्यक्ति का चयन करने के लिए कहा गया था जिसके साथ क्रिकेट के अंतिम व्यक्तिगत पुरस्कार का सम्मान किया जाए”. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वर्ल्ड क्रिकेट में सर गैरफील्ड सोबर्स का कद कितना बड़ा है.