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तेज गेंदबाज जिसके सामने लारा, सचिन और द्रविड़ जैसे बल्लेबाज हो जाते थे परेशान !

Bihari News

गेंदबाज जिसकी गेंदों ने लाई विश्व क्रिकेट में क्रांति, लारा, सचिन और द्रविड़ जैसे धुरंधर हो जाते थे परेशान

विश्व क्रिकेट में तेज गेंदबाजी में क्रान्ति लाने वाला गेंदबाज

लारा, सचिन और द्रविड़ जैसे बल्लेबाज जिसके आगे हो जाते थे परेशान

सबसे अधिक टेस्ट विकेट लेने वाला विश्व का दूसरा तेज गेंदबाज

गेंदबाज, जिसने अपने टेस्ट करियर की अंतिम गेंद पर लिया विकेट, जो है वर्ल्ड कप इतिहास का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज

ऑस्ट्रेलिया की तरफ से 100 टेस्ट खेलने वाले पहले तेज गेंदबाज

विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा बल्लेबाज जिसने लगभग 100 की औसत से बल्लेबाजी की, सर डॉन ब्रैडमैन किस देश ने दिया ? ऑस्ट्रेलिया ने. आगे चलकर इसी देश ने एलेन बॉर्डर, स्टीव वॉ और रिकी पोंटिंग जैसे महान कप्तान दिए. शेन वार्न सदी का सबसे बड़ा स्पिनर इसी देश ने दिया. जिस देश ने 5 बार विश्व कप पर कब्ज़ा किया. विश्व क्रिकेट में जिस क्रिकेट टीम का हमेशा से दबदबा रहा, जिसे क्रिकेट का पावरहाउस कहा जाता है. चक दे क्रिकेट की टीम लेकर आई है विश्व क्रिकेट के सबसे सफल तेज गेंदबाज की दास्तां, जिसकी गूंज विश्व क्रिकेट के हर कोने में सुनाई देती है.

एक ऐसा खिलाड़ी जिसके पास अपने साथियों की तरह ना डरावनी आंखें और ना लंबी मूंछें थी और ना ही स्लेज करने का तरीका था, लेकिन उसके हाथ से निकलती गेंदें किसी भी बल्लेबाज को दहलाने के लिए काफी था. आज के लेख में हम बात कर रहे उस तेज गेंदबाज की, जिसे दुनिया ग्लेन मैक्ग्रा के नाम से जानती है. आज के अंक में हम ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा के जीवन से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

दोस्तों, ग्लेन मैक्ग्रा का जन्म 9 फरवरी, 1970 को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में हुआ था, लेकिन जब मैक्ग्रा सिर्फ 3 साल के थे तब उनका परिवार न्यू साउथ वेल्स के नैरोमाईन कस्बे में शिफ्ट हो गए. एक पतलादुबला लेकिन लंबे कद का लड़का जिसे बास्केटबॉल से लेकर टेनिस और क्रिकेट तक हर तरह के खेल से प्यार था लेकिन जब खुद की प्रतिभा को पहचाना तो यह प्यार पूरी तरह से क्रिकेट की तरफ शिफ्ट हो गया.

स्कूल में मैक्ग्रा के दोस्त उनसे कहते थे तुम कभी क्रिकेटर नहीं बन पाओगे और एक तेज गेंदबाज तो बिलकुल भी नहीं.’ यही कारण था कि मैक्ग्रा को जूनियर क्रिकेट टूर्नामेंट की टीम में शामिल भी नहीं किया जाता था. लेकिन मैक्ग्रा ने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि वो ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल तेज गेंदबाज बनेंगे. और इसलिए उन्होंने खुद को अपने तरीके से तैयार करना शुरू कर दिया था. मैक्ग्रा तब खाली मैदानों पर जमकर पसीना बहाते थे, 44 गैलन के एक ड्रम को निशाना बनाकर अपनी लाइन लेंथ पर काम करते थे, यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था.

तभी एक दिन ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर डग वाल्टर की नजर एक दुबले लड़के पर पड़ी. उन्हें उस लड़के की गेंद में कुछ अलग बात लगी, उन्हें उसकी गेंदों में कुछ विशिष्ठ दिखाई दिया. वाल्टर को लग गया कि आगे चलकर यह लड़का इंटरनेशनल गेंदबाजी में क्रांति ला सकता है.

डग वाल्टर ने मैकग्रा से सिडनी जाकर अपनी गेंदबाजी को तरासने की सलाह दी. ग्लेन मैक्ग्रा उनकी सलाह मानकर सिडनी तो आ गए लेकिन यहां उनके पास ना रहने के लिए घर था और ना ही खाने के लिए पैसे, मैक्ग्रा इन हालातों में 6 महीनों तक रहे, खुले आसमान के नीचे कारवां बीच पर. इस दौरान मैक्ग्रा ने एक बैंक में भी नौकरी की. मैकग्रा के कुछ दोस्तों की मानें तो मैक्ग्रा तब कागज पर अपना नाम लिखकर अपने साथ काम करने वाली लड़कियों को देते और कहते इसे संभाल कर रखना क्योंकि एक दिन मैं बहुत बड़ा आदमी बनने वाला हूं.

ग्रेड क्रिकेट खेलने के मकसद से सिडनी आए ग्लेन मैक्ग्रा ने 1992 में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू कर लिया था और सिर्फ 8 मैचों में खेलने के बाद 12 नवंबर, 1993 को उन्हें ऑस्ट्रेलियाई टीम से बुलावा आ गया. शुरुआत तो साधारण ही रही थी लेकिन इसके बाद अगले सीरीज में वेस्टइंडीज के खिलाफ मैक्ग्रा ने ऐसी गेंदबाजी की. कि देखने वाले हाथ मलते रह गए. तब दुनिया ने मैक्ग्रा की शानदार गेंदबाजी की पहली झलक देखी थी.

लगभग एक दशक से अजेय चल रही वेस्टइंडीज की टीम जिसके खिलाफ ऑस्ट्रेलिया एक अरसे से कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीत सकी थी, उस टीम को एक नए गेंदबाज ने धूल चटा दी थी. मैक्ग्रा ने उस सीरीज में कुल 17 विकेट चटकाए थे और ऑस्ट्रेलिया ने वह टेस्ट सीरीज 2-1 से जीती थी और 15 सालों से चली आ रही वेस्टइंडीज की बादशाहत को खत्म किया था. दरअसल, वेस्टइंडीज की टीम ने 15 सालों बाद अपनी टेस्ट की नंबर 1 रैंकिंग खोई थी.

वेस्टइंडीज को धराशाई करने वाले इस गेंदबाज के पास उस ज़माने के अन्य गेंदबाजों की तरह तेज रफ्तार नहीं थी लेकिन उनके पास गेंद को लगातार एक जगह पर डालते रहने की काबिलियत और 6 फुट ऊँची लंबाई थी. यह उन्हें दूसरे गेंदबाजों से अलग और खास बनाती थी.

अपने पहले एशेज सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच के दौरान मैकग्रा ने इंग्लैंड की टीम को ढेर किया. 38 रन देकर 8 विकेट चटकाकर मैक्ग्रा ने सनसनी मचा दी थी. इस गेंदबाज ने अपने करियर में इंग्लैंड के दिग्गज बल्लेबाज माइक एथर्टन को कभी नहीं बक्शा, 19 बार किसी एक बल्लेबाज को आउट करना अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ जैसे बल्लेबाज मैक्ग्रा की सटीक लाइन लेंथ के आगे परेशान दिखे. ग्लेन मैक्ग्रा के टीममेट ब्रेड मैक्न्मार उनकी पतली टांगों की तरफ इशारा करते हुए कहते थे कि तुमने किसी कबूतर से टांगें चुराई है, यही वजह थी कि लोग मैक्ग्रा को पीजन(यानी कबूतर) के उपनाम से जानने लगे थे.

जुलाई, 2004 में भारत के खिलाफ खेलते हुए नागपुर के मैदान पर मैक्ग्रा ऑस्ट्रेलिया की तरफ से 100 टेस्ट मैच खेलने वाले पहले तेज गेंदबाज बने थे.

2005 एशेज सीरीज के पहले टेस्ट मैच में मार्कस ट्रेस्कोथिक को आउट कर ग्लेन मैक्ग्रा ने टेस्ट इंटरनेशनल क्रिकेट में अपने 500 विकेट पूरे किए थे, साथ ही उन्होंने अपने करियर में 104 बार बल्लेबाजों को शून्य पर आउट किया था, जो आज भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. ब्रायन लारा को बोल्ड कर उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 300 का आंकड़ा छुआ था.

2005 के यादगार एशेज सीरीज के पहले मैच में 31 गेंदों में इंग्लैंड के 5 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाने वाले स्पेल के बाद अगले मैचों में मैक्ग्रा की नामौजूदगी ऑस्ट्रेलिया की हार का सबसे बड़ा कारण मानी गई थी. इसकी भरपाई मैक्ग्रा ने अगले एशेज सीरीज में पूरी की. आपको जानकर हैरानी होगी कि मैक्ग्रा ने इंग्लैंड के खिलाफ कुल 30 टेस्ट मैच खेले थे, जिनमें से लगभग 22 मैचों में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाई थी. शेन वार्ने और ग्लेन मैक्ग्रा की जोड़ी को टेस्ट इतिहास की सबसे सफल जोड़ियों में गिना जाता है, इस जोड़ी ने एशेज सीरीज में लगभग 300 विकेट झटके हैं, जिनमें इंग्लैंड के कुछ महानतम बल्लेबाजों के नाम भी शामिल है.

साल 2003 में वेस्टइंडीज दौरे पर खेले जाने वाली टेस्ट सीरीज के पहले दो मैचों में ग्लेन मैक्ग्रा टीम का हिस्सा नहीं थे क्योंकि उनकी पत्नी जेन उस समय सेकेंडरी कैंसर से जूझ रही थी लेकिन तीसरे मैच से पहले पत्नी के ही कहने पर मैक्ग्रा इस दौरे में शामिल हुए थे.

उस दौरे के चौथे मैच के दौरान शानदार बैटिंग कर रहे रामनरेश श्रवन की मैक्ग्रा से एक तीखी नोंकझोंक हो गई. श्रवन ने मैक्ग्रा की पत्नी के बारे में एक ऐसी बात बोल दी जिसे सुनकर मैक्ग्रा ने श्रवन से कहा अगर तुमने फिर से ऐसी बात कही तो मैं तुम्हारी गर्दन चीर दूंगा, हालांकि सरवन को जब जेन की हालत के बारे में पता चला तो उन्होंने मैक्ग्रा से माफ़ी मांग ली थी.

साल 2006 एशेज का पांचवां टेस्ट मैक्ग्रा के करियर का अंतिम टेस्ट मैच था, जिसमें अपनी आखिरी गेंद पर विकेट लेकर तेज गेंदबाज ने अलग अंदाज में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा था.

टेस्ट की ही तरह वनडे क्रिकेट को भी उन्होंने अप्रतिम तरीके से अलविदा कहा था, 2007 के वर्ल्ड कप में 26 विकेटों के साथ प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंटरहने वाले इस गेंदबाज ने अपने करियर को जिस तरह से अलविदा कहा, वो शायद हर किसी का सपना होता है लेकिन सबको वैसा मौका नसीब नहीं होता है.

ग्लेन मैक्ग्रा ने अपने करियर में कुल 124 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने कुल 563 विकेट चटकाए जबकि 29 बार फाइव विकेट हॉल प्राप्त किया. मैक्ग्रा का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट प्रदर्शन पाकिस्तान के खिलाफ पर्थ के मैदान में आया था, जहां उन्होंने 24 रन देते हुए 8 विकेट लिए थे.

वर्ल्ड कप इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा ने अपने वनडे करियर में कुल 250 मैच खेले और कुल 381 विकेट लिए, जिसमें 15 बार फाइवविकेट हॉल शामिल रहा.

ग्लेन मैक्ग्रा के पास सटीक लाइन और लेंथ पर गेंद डालने का ऐसा हुनर था कि अगर उन्हें एक सिक्के पर गेंद डालने को कहा जाता तो वह यह काम दिन भर कर सकते थे. ऐसी सटीकता इस गेंदबाज की याददाश्त में भी देखने को मिलती हैं, सैकड़ों अंतराष्ट्रीय मैच खेलने के बाद और अनगिनत यादगार स्पेल डालने के बावजूद भी मैक्ग्रा को अपनी हर टेस्ट विकेट आज भी याद है, बल्लेबाज का नाम, विकेट नंबर से लेकर स्टेडियम तक. हर्षा भोगले से एक वार्तालाप के दौरान मैक्ग्रा ने इस बात को साबित भी किया था.

ग्लेन मैक्ग्रा ने 2002 में मैक्ग्रा फाउंडेशन की स्थापना की थी जो ब्रैस्ट कैंसर के रोगियों के लिए काम करती है लेकिन इस काम के पीछे की प्रेरणा यानी कि मैक्ग्रा की पत्नी जेन थी, जिनका कैंसर की ही वजह से 2008 में निधन हो गया था. जेन केन बाद मैक्ग्रा ने साल 2010 में दूसरी शादी की थी, उनकी दूसरी पत्नी का नाम सारा है.

ICC हॉल ऑफ फेम और तीन बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुके ग्लेन मैक्ग्रा वर्तमान में MRF पेस फाउंडेशन में बतौर डायरेक्टर काम कर रहे हैं और तेज गेंदबाजों की नई पीढ़ी को तैयार कर रहे हैं. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम दिग्गज तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा के उज्जवल भविष्य की कामना करती है. आप ग्लेन मैक्ग्रा के क्रिकेटिंग करियर को किस तरह देखते हैं ? कमेन्ट में जरुर बताएं.

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