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बिहार के पीएमसीएच में फ्रांस और जर्मनी के तर्ज पर ग्रीन ग्रिड की शुरुआत

Bihari News

उर्जा संचरण के क्षेत्र में बिहार के पटना मेडिकल कॉलेज में पहले ग्रीन ग्रिड का निर्माण होने जा रहा है. पीएमसीएच को 5200 बेड के अस्पताल में परिवर्तित किया जायेगा. मिली जानकारी के अनुसार ग्रीन ग्रिड के निर्माण में लगभग 260 करोड़ रुपये की लागत आएगी. जिसके तहत बिजली के साथसाथ सौर उर्जा को भी उपयोग में लाया जायेगा और उर्जा संरक्षण पर भी जोर दिया जायेगा. बिहार में पहली बार इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है जहाँ ग्रीड भवन को पूरे तरीके से ग्रीन बिल्डिंग के रूप में बनाया जायेगा. आपको बता दें की इसके निर्माण में जीआईएस यानि गैस इंसुलेटेड सिस्टम का इस्तेमाल किया जाना है. इस तकनीक को सबसे पहले जर्मनी में उपयोग में लाया गया था. लेकिन पिछले एक दशक से यह भारत समेत और भी कई अन्य देशों में प्रचलित है. और अब बिहार भी इसकी शुरुआत करने जा रहा है.

ग्रीन ग्रिड में सोलर उर्जा का प्रयोग ग्रिड भवन और ग्रिड के आंतरिक संचालन में किया जाना है. वहीँ अस्पताल में सामान्य बिजली की पूर्ति की जाएगी. आपको बताते चलें की इस ग्रिड में अलगअलग ग्रिड से आपूर्ति की जानी है. मीडिया में चल रही रिपोर्ट्स के अनुसार पहली आपूर्ति.. लाइन के जरिये छपरा से 220 केवी बिजली न्यू दीघा ग्रिड तक जाएगी और फिर उसके बाद ओल्ड दीघा ग्रिड तक आएगी. उसके बाद ही वहां से पीएमसीएच स्थित ग्रीन ग्रिड तक पहुंचेगी. वहीँ दुसरे आपूर्ति लाइन की बात करें तो इसके जरिये खगौल ग्रिड से बिजली ओल्ड दीघा ग्रिड तक पहुंचेगी और उसके बाद ग्रीन ग्रीड तक पहुंचेगी.

आइये अब हम बात करते है इसके निर्माण से हमे क्या फायदे हो सकते हैं. अक्सर आंधीतूफान या बारिश के मौसम में एयर इंसुलेटेड सिस्टम सब स्टेशन यानि एआईएएस में पानी गिरने और प्लास्टिक या फ्लैक्स के चिपक जाने से और कभीकभी आंधी में तार टूट जाने पर लाइन बंद हो जाती थी. लेकिन अब गैस इंसुलेटेड सिस्टम यानि जीआईएएस से तैयार की गयी ग्रीन ग्रिड सब स्टेशन में इस तरह की बाधा नहीं आएगी. वहीँ हम गैस इंसुलेटेड सिस्टम के दूसरे फायदे की बात करें तो तो यह पूरी तरह से इंडोर सिस्टम है और इसमें बड़ीबड़ी पाइप लाइने भी होती हैं. इन बड़ीबड़ी पाइप लाइनो में गैस भरी जाती हैं. साथ ही इसमें स्टेशन के इक्यूपमेंट भी स्टॉल किये जाते हैं. आपको बता दें की इसमें काम करने के लिए न ही ज्यादा कर्मचारी की जरूरत होती है और ना ही इसे ज्यादा मेंटेनेंस चाहिए होता है. इसके जरिये अस्पताल को बिना किसी रुकवाट या परेशानी के निर्बाध रूप से बिजली उपलब्ध हो जाएगी. साथ ही वाटर हार्वेस्टिंग के उपयोग से उर्जा संरक्षण पर भी जोर दिया जायेगा. इसके अलावे अस्पताल के परिसर में हर जगह पर आसानी से बिजली पंहुचेगी.आपको बता दें की बिजली गंगा के बेड से होकर पहुंचेगी. जिससे पीएमसीएच स्थित ग्रीन ग्रिड में गंगा के बेड से होकर विद्युत जायेगा. इसके लिए गंगा के बेड में, कुछ गंगा के पाथ वे से होकर फिर पुनः गंगा के बेड से होकर बिजली पीएमसीएच तक पहुचेगी.

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