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भस्मासुर से बचने के लिए इस गुफा में घुसे थे महादेव

Bihari News

क्या आपको भी रहस्मयी स्थलों के भ्रमण और उसके रहस्यमयी कहानियाँ सुनने की जिज्ञासा लगी रहती है. तो चलें हमारे साथ आज एक ऐसे ही सफर पर जो की जितना रहस्मयी है वहां जाने के रास्ते उतना ही रोमांचक. इस सफ़र पर आपको टेढ़ी मेढ़ी रास्ते, पहाड़ियां, झड़ने, नदियाँ, डैम, जंगल ये सभी मिलने वाले हैं इन सभी चीजों का मजा लेने के लिए आपको बिहार से बाहर जाने की जरुरत नहीं है हम बिहारियों को ये मजा बिहार में ही मिलने वाला है. यह यात्रा जितना साहसिक है उतना ही सुखद. नमस्कार बिहारी न्यूज़ में आपका स्वागत है बिहारी विहार के आज के इस सेगमेंट में सफ़र करेंगे गुप्तेश्वर धाम गुफा की. राजधानी पटना से करीब 150 से किलोमीटर दूर रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड में कैमूर की पहाड़ी पर गुफा में स्थित गुप्तेश्वर धाम अपने अन्दर कई रहस्यों को समेटे हुए है. हम उन सभी रहस्यों को खंगालने की कोशिश करेंगे लेकिन उससे पहले हम सफ़र पर तो निकले.

करमचट डैम आपको गुप्तेश्वर धाम के रास्ते में मिलेगा जो आपको दूर दूर तक पानी ही पानी दिखने वाले इस डैम की खूबसूरती कैमूर की पहाड़ियां और भी बढ़ा देती है. ठण्ड के दिनों में पहाड़ियों के बीच से निकलती धुंध का दृश्य आपके मन को ना मोह लें तो फिर कहना. यह नजारा आपको काफी दूर तक देखने को मिलेगा. चारों तरफ छोटी छोटी पहाड़ियां लबालब पानी से भरा डैम और उसके बीच से जब आप गुजरते हो तो एक समय के लिए आप भूल जाएंगे की आप बिहार में हैं. करमचट बाँध से करीब 20 से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित गुप्तेश्वर धाम गुफा में पहुंचने के लिए रेहल, पनियारी घाट और उगहनी घाट जैसे तीन दुर्गम यानी कठिन रास्ते हैं. नया रास्ता ताराचंडी धाम के पास से है इस रास्ते से गाड़ियाँ भी जाती है. पनियारी पहुँचने के बाद गुफा में पहुँचने के लिए आपको पहाड़ी पर चढ़ना होगा. उससे पहले यहाँ से चलने के बाद रास्ते में दो बार दुर्गावती नदी को पार करना होगा. वर्षा के दिनों में इस नदी का जलस्तर इतना बढ़ जाता है कि नदी पार करना थोडा मुश्किल है अपने रिस्क पर नदी पार करें. यहां नदी पार करने की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है, इसलिए नदी पार करते वक्त सावधान रहें. अब आप गुप्ता धाम के बेहद करीब पहुँच चुके हैं. चारों तरफ हरे भरे और ऊँचे पेड़ों से घिरी इस नदी का दृश्य कश्मीर की घाटी से कम नही एहसास करवाएंगी.

लगभग 3 या 4 km ऊपरनीचे, समतल चलने के बाद पहाड़ी का दूसरा छोर आ जाता है. वहाँ से 3 या तो 4 km दूर चलने के बाद आता है बाबा गुप्तेश्वर नाथ की गुफा. जिसमें भगवान शंकर भस्मासुर से बचने के लिए छुपे थे. गुफा के लगभग दो किमी दूर एक कुण्ड है इसे आप झरना कह सकते हो क्यूंकि बारिश के दिनों में पहाड़ी से गिरता हुआ पानी झड़ना बन जाता है इस वक्त का नजारा बस देखने लायक होता है सॉरी नहाने लायक होता है क्यूंकि आप यहाँ नहाए बिना नहीं रह पाएंगे और मान्यता भी है की गुफा में पहुँचने से पहले आपको यहाँ आकर इस कुण्ड में नहाना होता है, जिसे सीता कुंड. कहते है, यहाँ का पानी इतना ठंडा यानी इतना शीतल होता है कि कुछ लोग इसे शीतल कुंड भी कहते है. शिवभक्त यहां नहाने के बाद वही से जल लेके गुफा में बाबा का दर्शन करने जाते है. इससे पहले आपको पहाड़ी पर चढ़ाई करनी है इस पहाड़ की उंचाई का आकलन करना थोडा मुश्किल है लेकिन कहा जाता है की इसकी उंचाई 3000 मीटर यानी लगभग 3 किलोमीटर होगी. ये आपके body को चैलेन्ज कर सकती है. पहाड़ी के चढ़ने के क्रम में आपको जो चीजें रोमांचित करेंगी वो है अनेक तरह की आवाज़ें, जीवजंतु, सुंदर प्राकृतिक छटा ये सभी बस मन को मोह लेता है. बन्दर और लंगूरों का झुन्ड इस यात्रा को और भी अद्भुत बनाता है.

पहाड़ पर चढ़ाई करने के रास्ते में ही आपको बघवा खोह मिलेगा इस खोह के बारे में कुछ ख़ास विस्तृत जानकारी नहीं मिल पायी है. जैसा की नाम से यह स्पष्ट होता है की यह बाघ की मांद रही होगी. लेकिन जो भी हो यह भी आपको रोमांचित करेगा. इस मांद के चारों तरफ का नजारा देखने लायक है. इसके बाद आगे बढ़ने पर आप पहुंचेंगे गुप्ता धाम का गुफ.

प्राचीन शिवलिंगों में शुमार रोहतास जिले के गुप्तेश्वर धाम गुफा स्थित शिवलिंग की महिमा का बखान आदिकाल से ही होता आ रहा है. मान्यता है कि प्राकृतिक सुषमा से सुसज्जित वादियों में स्थित इस गुफा में जलाभिषेक करने के बाद भक्तों की सभी मन्नतें पूरी हो जाती हैं.

पौराणिक आख्यानों में वर्णित भगवान शंकर और भस्मासुर से जुड़ी कथा को जीवंत रखे हुए ऐतिहासिक गुप्तेश्वरनाथ महादेव का गुफा मंदिर आज भी रहस्यमय बना हुआ है. आपने एक कहानी सुनी होगी कैलाश पर्वत पर मां पार्वती के साथ विराजमान भगवान शिव ने जब भस्मासुर की तपस्या से खुश होकर उसे किसी के सिर पर हाथ रखते ही भष्म करने की शक्ति का वरदान दिया था. भस्मासुर मां पार्वती के सौंदर्य पर मोहित होकर शिव से मिले वरदान की परीक्षा लेने उन्हीं के सिर पर हाथ रखने के लिए दौड़ा. कहा जाता है की वहां से भागकर भोले यहीं की गुफा के गुप्त स्थान में छुपे थे.

रोहतास में अवस्थित विंध्य श्रृंखला की कैमूर पहाड़ी के जंगलों से घिरे गुप्ताधाम गुफा की प्राचीनता के बारे में कोई प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है. इसकी बनावट को देखकर पुरातत्वविद अब तक यही तय नहीं कर पाए हैं कि यह गुफा मानव निर्मित है या प्राकृतिक.

गुफा के अन्दर काफी अँधेरा होता है इसके लिए यहाँ कृत्रिम बिजली उपलब्ध है. गुफा के अन्दर पानी गिरने से पत्थर पर काफी फिसलन है अपनी जान की रक्षा यहाँ स्वय करें गुफा में लगभग 363 फीट अंदर जाने पर बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसमें सालभर पानी रहता है. इसलिए इसे ‘पातालगंगा’ कहते है. यहां बक्सर से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है. इसके आगे यह गुफा काफी सँकरी हो जाती है. गुफा के अंदर प्राचीन काल के दुर्लभ शैलचित्र आज भी मौजूद हैं. इसी गुफा के बीच से एक अन्य गुफा शाखा के रूप में फूटती है, जो आगे एक कक्ष का रूप धारण करती है. इसी कक्ष को लोग नाच घर या घुड़दौड़ कहते हैं. इस मिलन स्थल से एक और गुफा थोड़ी दूर दक्षिण होकर पश्चिम चली जाती है. इसी में गुप्तेश्वर महादेव नामक शिवलिंग है. गुफा में अवस्थित शिवलिंग वास्तव में प्राकृतिक शिवलिंग है. शिवलिंग पर गुफा की छत से बराबर पानी टपकता रहता है. गुफा से टपकता हुआ पानी जिसे लोग अमृत कहते हैं जो प्रसाद के तौर पर लोग ग्रहण करते हैं.

ये थी गुप्तेश्वर धाम की यात्रा. अगर आप थोड़े एडवेंचरस हैं और थोड़े आध्यत्मिक तो आपके लिए गुप्तेश्वर धाम की यात्रा अच्छा विकल्प होगा.

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