गुटखा और पान मसाला की बिक्री पर बिहार सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इसके बिक्री और परिवहन के साथ–साथ बिक्री के लिए प्रदर्शन, उत्पादन, भण्डारण और वितरण पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया है. सेंथिल कुमार जो की खाद्य संरक्षा आयुक्त हैं उनके द्वारा इस मामले को लेकर आदेश भी जारी कर दिया गया है. बता दें की अगले एक साल तक गुटखा पान मसाले की बिक्री और भण्डारण को स्वास्थ विभाग द्वारा बैन कर दिया गया है. दरअसल इसे बैन करने के पीछे का मकसद लोगों के स्वास्थ से जुड़ा है. लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सरकार पूरी तरह से गंभीर है और इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं की जाने की बात स्वास्थ विभाग के तरफ से भी कही गयी है. स्वास्थ विभाग की तरफ से यह भी कहा गया है की लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना हीं सरकार की पहली प्राथमिकता है. यदि इस आदेश का कोई किसी प्रकार से अवहेलना या उल्लंघन करता है तो उसके उपर सख्त कार्यवाई करने की बात भी स्वास्थ विभाग के तरफ से कही गयी है.
बताते चलें की गुटखा और पान मसालों की बिक्री पर पाबंदी लगाना कोई पहली बार नहीं है. इससे पहले भी गुटखा और पान मसालों की बिक्री पर बिहार सरकार द्वारा पाबन्दी लगाई जा चुकी है और एक साल पूरे होने के बाद एक बार फिर से बिहार सरकार द्वारा इसे बैन कर दिया गया है.
आइये अब अपने आगे के इस चर्चा में हम जानते हैं की जब इससे पहले बिहार सरकार द्वारा गुटखा और पान मसाले की बिक्री पर इस तरह से रोक लगा था तो प्रदेश में इस फैसले का कितना असर हुआ था. लेकिन इससे पहले हम जानेंगे की इसका हमारे समाज पर क्या असर पड़ता है. हमारे समाज में शराब हो या गुटखा–तम्बाकू लोग इसे अपसंस्कृति के नजरिये से हीं देखते हैं. बड़े–बुजुर्ग और युवा को छोड़िये यहाँ तो कई स्कूली बच्चे भी इस चीज के आदि हो रहें हैं. यदि उन्हें इस चीज की बुरी लत लग रही है तो कई बार गलती उस वातावरण और माहौल की भी होती है जिस वातावरण और माहौल में बच्चे पल–बढ़ रहे हैं. बच्चों के सामने शुरू से हीं लोग बड़े हीं आराम से इन चीजों का सेवन करते हैं की उन्हें सही और गलत का फर्क हीं नहीं समझ आता है. ऐसे हीं माहौल में रह कर पान मसाले और गुटखे आदि का सेवन करना उनके लिए बड़ी हीं आम सी बात हो जाती है. इस चीज के सेवन के बाद उनके स्वास्थ पर क्या असर पड़ेगा इस बात की उन्हें भनक भी नहीं पड़ती. और जब कई तरह के अभियान इन पान मसाले और गुटखों के उपर चलाये जाते हैं तो उस वक्त तक वो बच्चा उस चीज का आदि हो गया रहता है. इसकी लत बच्चे हो या बूढ़े सभी के लिए घातक हो सकते हैं. बता दें की इससे पहले भी जब प्रदेश में सरकार द्वारा इन गुटखे और पान मसाले पर प्रतिबन्ध लगाने का आदेश दिया गया था तब भी प्रदेश में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला.
यहाँ तक की हर सड़क के किनारे में खुली हर दुकानों पर भी गुटखे और पान मसाले के झालर यूंही लटका कर बड़े हीं आराम से बेचे जा रहे थे. मानो प्रशासन का इन्हें कोई डर हीं ना हो. ऐसा भी नहीं है की खाद्य विभाग या पुलिस प्रशासन को सड़े–आम बिक रहीं ये चीजें और हो रहे निर्देश के उल्लंघन नज़र नहीं आ रहे होंगे. पर बावजूद इसके अधिकारी भी चुप्पी साधे हीं नज़र आये. हाँ! दो चार दुकानों पर इसे लेकर हुए छापेमारी की खबर भी देखने को मिली. लेकिन उसके बाद खुले आम बिक रहे पान–मसाले और गुटखे पर किसी तरह की कार्यवाई देखने को नहीं मिली है. खैर एक बार फिर से गुटखे और पान–मसाले के पाबन्दी पर फैसला लिया गया है. शराबबंदी को लेकर सरकार और प्रशासन पूरे एक्शन में अब नज़र तो आ रही है. उम्मीद है की गुटखे और पान–मसाले के रोक पर भी प्रशासन ऐसे हीं सख्ती से काम करेगी.