हनुमान जी की इस कलियुग में खूब पूजा होती है। इस देश में हनुमान जी के बहुत से मंदिर हैं जो अपनी अलग अलग खास बातों के लिए प्रख्यात हैं। कहीं किसी मंदिर में हनुमान जी को दो प्रतिमा है तो कहीं उनकी प्रतिमा खड़ी है तो किसी जगह उनकी लेटी हुई प्रतिमा है तो किसी मंदिर में उनकी कोई प्रतिमा नहीं होते हुए भी एक चट्टान पर उभरी हुई उनकी आकृति को प्रतिमा समझकर उनकी पूजा की जाती है।

इस मंदिर में हनुमान जी की स्त्री रुप में होती है पूजा 

हम सभी यही जानते हैं कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और उनकी शादी नहीं हुई थी। हनुमान जी की युग युग से पूजा की जाती है और हम सभी जानते हैं कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं जिस कारण कई स्त्रियां उन्हें छूने से भी परहेज करती हैं। लेकिन आज हम बात करेंगे हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर की जहाँ हनुमान जी को पुरुष नहीं स्त्री समझकर स्त्री रूप में उनकी पूजा की जाती है। देवता के रूप में तो उनकी अधिकांश मंदिरों में पूजा की जाती हैं लेकिन उनका एक मंदिर ऐसा भी है जहाँ उनकी देवी यानि स्त्री के रूप में पूजा की जाती हैं। जी हाँ यहाँ के हनुमान जी स्त्री के रूप में सुशोभित हैं। यहाँ हनुमान जी पुरुष नहीं स्त्री रूप में दिखाई देते हैं। हनुमान जी का यह अद्भुत, अनूठा और अनोखा मंदिर छत्तीसगढ़ में स्थित है जहाँ उनकी स्त्री रूप में पूजा की जाती है। आपको बता दूँ कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में यहाँ से लगभग 25 किलोमीटर दूर रतनपुर में यह मंदिर स्थित है। यह मंदिर गिरिजाबंध हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर के स्त्री रूप वाले हनुमान जी की मूर्ति लगभग दस हज़ार साल पुरानी है। इन्हे देवी के रूप में पूजा जाता है।

लोगों की मानें तो इस गिरिजाबंध हनुमान मंदिर के सम्बन्ध में माना जाता है कि यहाँ से हनुमान जी का कोई भी सच्चा भक्त निराश नहीं जाता। जो भी श्रद्धालु इस गिरिजाबंध हनुमान जी की स्त्री रूप का सच्चे मन से पूजा करता है हनुमान जी की कृपा उस पर जरूर बरसती है। आपको यह जान लेना चाहिए यहाँ हनुमान जी का दक्षिणमुखी मूर्ति है और इस मूर्ति पर हनुमान जी अपने कंधे पर भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण को बैठाये हुए हैं।

क्या है मंदिर निर्माण के पीछे की कहानी ?

इस अनोखे मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी भी रोचक है। मान्यता है कि सदियों पुराने इस मंदिर का निर्माण पृथ्वी देवजू नामक राजा ने करवाया था। राजा पृथ्वी देवजू हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे और उन्होंने अनेक सालों तक रतनपुर पर शासन भी किया था। परन्तु आपको बता दें की यह राजा कुष्ठ रोग का शिकार था।

कहा जाता है कि राजा को एक दिन स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन हुए थे उन्होंने उस राजा को मंदिर का निर्माण करने की आज्ञा दी। लेकिन जब मंदिर का निर्माण होना शुरू हुआ तो उस दौरान राजा को हनुमान जी ने फिर से स्वप्न में दर्शन दिए और उन्हें महामाया कुंड से मूर्ति हटाकर मंदिर में उसे स्थापित कर देने को कहा।

राजा ने हनुमान जी द्वारा स्वप्न में मिले संकेतों के अनुसार मूर्ति को महामाया कुंड से निकलवाया। परन्तु यह क्या ! यह मूर्ति तो एक स्त्री की लग रही थी। हनुमान जी की इस स्त्री रूप में मूर्ति देखकर राजा आश्चर्यचकित रह गए। फिर उन्होंने कुंड से निकली मूर्ति को पूर्ण विधि विधान के साथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करवाया। कहते हैं कि मूर्ति स्थापना के बाद राजा कुष्ठ रोग से मुक्त हो गया। अगर आप यहाँ जाना चाहते हैं तो आपको यह जान लेना चाहिए कि रतनपुर का मौसम थोड़ा गरम रहता है। यहाँ गर्मी ज्यादा पड़ती है। इसलिए पर्यटक यहाँ जाड़े के दिनों में जाना ज्यादा पसंद करते हैं।

पत्रकारिता में शुरुआत करने से पहले एक लंबा समय कॉलेज, युनिवर्सिटी में गुजरा है....

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