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कभी रेलवे ने ताना मारकर नौकरी देने से किया था इनकार, आज लगाती हैं युवराज-धोनी से भी लंबे छक्के

Bihari News

पिता ने क्रिकेटर बनने का सपना देखा, हरमनप्रीत कौर ने पूरा कर दिखाया..

महिला क्रिकेट की सहवाग हरमनप्रीत की बैटिंग के दीवानी पूरी दुनिया है

युवराज, धोनी से भी लंबे छक्के लगाती है हरमनप्रीत कौर

हरमनप्रीत की बल्लेबाजी के आगे विरोधी गेंदबाज हो जाते हैं नतमस्तक

पीएम मोदी भी है हरमनप्रीत के खेल के मुरीद,कर चुके है तारीफ

विश्व कप सेमी फाइनल में सर्वाधिक स्कोर बनाने का रिकॉर्ड है हरमनप्रीत के पास

जब रेलवे ने ताना मारकर नौकरी देने से किया था इनकार , आज करोड़ो की है मालकिन

क्रिकेट की जब शुरुआत हुई तो यह खेल महज एक मनोरंजन का खेल था। आहिस्ते आहिस्ते वक्त बीता, समय बदला, और यह खेल पूरी दुनिया में मनोरंजन से आगे बढ़कर कब करियर का हिस्सा बन गया पता ही नहीं चला।पुरुषो द्वारा बनाया गया यह खेल कई शताब्दी तक पुरुषों के इर्द गिर्द ही घूमता रहा। लेकिन क्रिकेट की लोकप्रियता दुनिया को ऐसी भाई कि महिलाओं ने भी अपने हाथ आजमाने शुरू कर दिए और आज क्रिकेट में महिलाएं भी परचम लहरा रही है। भारत में बेटियों का बाहर निकलना और खेल खेलना किसी जुर्म से कम नही माना जाता था। लेकिन रूढ़िवादी सोच की बेड़ियों को तोड़ते हुए आज भारत की लड़कियां खेलों में अपना नाम रौशन कर रही हैं भारतीय महिला क्रिकेट में भी अजीत अंजुम, झूलन गोस्वामी, मिताली राज जैसी खिलाड़ियों ने महिला क्रिकेट को एक नई पहचान तो दी , साथ ही खुद की भी पहचान बनाकर अपना सपना पूरा किया।

उन्हीं में से एक और भारतीय महिला क्रिकेटर है जिसने अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जिदंगी की आहुति दे दी। खेतों की जमीन पर क्रिकेट खेलना शुरू किया तो उसने क्रिकेट की पिच पर अपने खेल से झंडे गाड़ दिए। जिसकी बल्लेबाजी में सहवाग की अक्रामक शैली नजर आती है। जब वो छक्का मारती है तो युवराज के छक्के भी फीके पड़ जाते हैं। जिसकी बल्लेबाजी के आगे ऑस्ट्रेलिया , इंग्लैंड और पाकिस्तान के गेंदबाज रहम की भीख मांगते है एक ऐसी बल्लेबाज जिसकी तारीफ पीएम मोदी तक कर चुके है….. आज बात करने वाले है इंडियन वीमेन क्रिकेट की सहवाग कही जाने वाली खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर की….

8 मार्च 1989 को पंजाब के मोगा में जन्मी हरमनप्रीत कौर का पूरा नाम हरमनप्रीत कौर भुल्लर है। हरमनप्रीत के परिवार में पिता हरमंदर सिंह भुल्लर जुडिशियल कोर्ट में क्लर्क है। मां सतविंदर कौर हाउसवाइफ है। हरमनप्रीत की दो बहनें भी है। हरमनप्रीत की पिता अपने जमाने में एक बास्केट बॉल प्लेयर और क्लब लेवल के क्रिकेटर थे। पिता हरमंदर भुल्लर ने एक सपना देखा था। क्रिकेटर बनने का। लेकिन उनका खेल क्लब लेवल तक ही सिमट गया। इसलिए पिता चाहते थे कि उनका भी कोई बच्चा क्रिकेट खेले। फिर एक दिन उनके घर एक लड़की का जन्म हुआ वो बहुत खुश थे। जिसका नाम हरमनप्रीत रखा। पिता ने खुश होकर बच्ची के लिए एक टी शर्ट लाए जिसपे गुड बैट्समैन लिखा हुआ था। हरमन को बचपन में कई तरह के स्पोर्ट्स खेलना पसंद था। उन्होंने अपने पिता को क्रिकेट में लंबे लंबे छक्के मारते हुए देखा था। पिता उन्हे हॉकी सिखाते लेकिन वो हॉकी से क्रिकेटिंग शॉट खेलती थी। हरमन गली मोहल्लों में लडको के साथ खेलती थी। बचपन से ही हरमन वीरेंद्र सहवाग की फैन थी। बेटी की खुशी के लिए पिता ने हरमन को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। कई बार तो उनके पैरेंट्स को स्कूल टीचर से डांट पड़ती थी। लडको के खेल में क्यों अपनी बेटी का भविष्य बर्बाद कर रहे हो। लेकिन पिता ने दिल की सुनी। हरमन ने अपनी स्कूली शिक्षा ज्ञान ज्योति सेकेंड्री स्कूल मोगा से की। हरमन जब हाई स्कूल में थी तब वो कमर पर दुपट्टा बांधे लडको के साथ क्रिकेट खेल रही थी। तब उन्हें कमलदीप सोढ़ी ने देख लिया। जिन्होंने क्रिकेटर की ट्रेनिंग के लिए स्कूल में पिच बनवाया था। लम्बे लम्बे छक्कों को देख सोढी हैरान रह गए। सोढ़ी हरमन की काबिलियत पहचान चुके थे। उन्होंने हरमन के पिता से बात की। कहा इस बच्ची को एकेडमी में एडमिशन दिलवाओ। हरमन जब क्रिकेट एकेडमी गई तो कोच उन्हे सबसे बेकार बैट और बॉल से प्रैक्टिस करवाते। कोच उन्हे कई टारगेट देते। हरमन का खेल निखर रहा था।

हरमन जब 16 साल की हुई तो हरमन ने s k public स्कूल फिरोजपुर ज्वाइन कर लिया। हरमन की भूमिका तय हो गई थी। बैटिंग में फिनिशर और बोलिंग में मीडियम पेसर के तौर पर। स्कूली क्रिकेट में अच्छा खेल दिखाने पर उन्हें पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन कैंप में शामिल कर लिया गया। हरमन ने यहां भी शानदार प्रदर्शन किया। और वे अंडर 19 क्रिकेट के लिए तैयार थी। अंजू जैन , जो की पूर्व भारतीय कप्तान थी और उस समय चायसमिति का हिस्सा थी। 2007 में इंटरजोनल वनडे कप में उन्होंने हरमन को बल्लेबाजी करते हुए देखा था। 2009 के विश्व कप के लिए अंजू एक ऐसी खिलाड़ी की खोज में थी जो निडर होकर बल्लेबाजी करे। उनकी खोज पूरी हुई। हरमन को विश्व कप में शामिल कर लिया गया। हरमन ने चार मैचों में कुछ खास नहीं कर सकी। लेकिन अंजू को उनका खेल पसंद आया। उन्हे अब सीनियर टीम में शामिल करने की मांग उठने लगी। और शामिल भी हो गई। 7 मार्च 2009 को हरमन ने विश्व कप टूर्नामेंट में वनडे डेब्यू किया। लेकिन उन्हें बैटिंग नहीं मिली। हरमन का विश्व कप और डेब्यू क्रिकेट निराशाजनक रहा। इसके बाद उन्हें 11 जून 2009 को इंग्लैंड के खिलाफ टी 20 क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला। यहां भी उन्हें मौका नहीं मिला। वो समझ गई थी कि कुछ बड़ा करना होगा तभी मौका मिलेगा। फिर उन्होंने सहवाग की अक्रामक शैली और अजिंक्य रहाणे धैर्य वाली बैटिंग को फालो किया।

साल 2012 हरमन के लिए टर्निंग पॉइंट लेकर आया। 2012 टी 20 एशिया कप के फाइनल में कप्तान मिताली राज चोटिल हो गई । तब हरमन को कप्तानी मिली। और उन्होंने वह मैच जितवा दिया। 13 अगस्त 2014 को उन्हे टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला। हरमन अब तीनों फॉर्मेट में परिपक्व हो चुकी थी। लेकिन हरमन को वो पहचान नही मिली जिसकी वो हकदार थी। 20 जुलाई 2017 विश्व कप का सेमीफाइनल मैच सामने थी ऑस्ट्रेलिया । पूरे टूर्नामेंट में कोई खास कमाल नहीं कर पाई थी। लेकिन हरमन अब कुछ ऐसा करने वाली थी जिससे दुनिया हैरत में पड़ गई। हरमन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रनों की तूफानी पारी खेल डाली। तब दुनिया ने क्रिकेट की पिच पर एक शेरनी को दहाड़ते देखा। और यहीं से महिला क्रिकेट को एक नई पहचान मिली। हरमन इकलौती महिला खिलाड़ी है जिन्होंने बिग बैश लीग खेली है। साल 2017 में उन्हे अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद हरमन की किस्मत बदलती चली गई। साल 2018 में उन्हे टी 20 का कप्तान बनाया गया। जहां उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 103 रन बनाकर सनसनी फैला दी। वो भारत की पहली खिलाड़ी बन गई जिन्होंने टी 20 में शतक लगाया। साल 2022 को जब मिताली राज ने क्रिकेट को अलविदा कहा तो हरमनप्रीत कौर को भारतीय टीम के सभी फॉर्मेट का कप्तान बना दिया गया।

हरमन की 171 रनों की पारी ने महिला क्रिकेट को नई पहचान दिलाई थी। तभी तो महिला क्रिकेट का आईपीएल भी शुरू हो गया। इस बार का वीमन आईपीएल नए अंदाज में होने जा रहा है। 13 फरवरी को हुई नीलामी में हरमनप्रीत कौर को मुंबई इंडियंस ने 1.8करोड़ रुपए की बोली लगाकर टीम में शामिल कर लिया। कभी आर्थिक रूप से कमजोर हरमन रेलवे में नौकरी मांगने गई थी जहां उन्हें यह कहकर लौटा दिया था कि तुम कोई हरभजन सिंह थोड़ी हो जाओ यहां से कोई नौकरी नहीं है। आज हरमनप्रीत करोड़ों रुपए की मालकिन है।

दोस्तों, आप हरमनप्रीत कौर के खेल और संघर्ष को कैसे देखते है। क्या सच में महिला क्रिकेट को उसकी पहचान मिल गई या अभी भी कुछ कमी बाकी है। आप हमें अपनी राय वीडियो में कमेंट करके बता सकते हैं

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