घरेलु क्रिकेट का हीरो अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्यों हो गया फ्लॉप ?
5 फर्स्ट क्लास दोहरा शतक और एक तिहरा शतक लगाने वाला खिलाड़ी
घरेलु क्रिकेट का हीरो इंटरनेशनल क्रिकेट में हो गया फ्लॉप
बंगाल क्रिकेट का छोटा दादा, जिसे कहा जाता था भारत का केविन पीटरसन
अंतराष्ट्रीय स्तर पर फ्लॉप हुए, आज हैं इस राज्य के खेल मंत्री
क्रिकेट एक ऐसा खेल जहां कुछ भी निश्चित नहीं, यहां सारे प्रेडिक्शन फेल हो जाते हैं फिर चाहे वो प्रेडिक्शन किसी मैच की हार या जीत का हो या फिर किसी खिलाड़ी के क्रिकेटिंग करियर का. हमने देखा है कि कैसे कोई टीम आखिरी मौके पर हारी हुई बाजी जीत जाती है और कोई खिलाड़ी रातों–रात हीरो बनकर गुमनामी के अंधेरे में गुम हो जाता है. इसलिए यह खेल अपने अन्दर अपार अनिश्चितताओं को समेटे हुए है.
दोस्तों, आप देख रहे हैं चक दे क्रिकेट की खास पेशकश चक दे क्लिक्स और आज के अंक में हम बात करने वाले हैं भारत के एक ऐसे खिलाड़ी की जिसका क्रिकेट करियर यूं तो अनिश्चितताओं की असीमित आशाओं पर निर्भर होकर चलता रहा लेकिन सफ़र का अंत सिर्फ और सिर्फ अवसर की आशा बनकर ही रह गया. जी हां दोस्तों बात हो रही है भारतीय क्रिकेट के भूले बिसरे सितारे मनोज तिवारी की.
आज के लेख में हम क्रिकेटर मनोज तिवारी के जीवन से जुड़ी कुछ जानी–अनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.
दोस्तों, मनोज तिवारी का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट करियर भले ही सफलताओं के परचम लहराने में नाकाम रहा लेकिन उनके द्वारा हासिल की गई कुछ उपलब्धियां हमेशा इतिहास के पन्नों में गुन्जाएमान रहेगी. मनोज तिवारी का नाम उन चुनिंदा डोमेस्टिक क्रिकेटरों में शामिल है जिनके नाम के आगे नाबाद 300 रन का आंकड़ा जुड़ता है. शुरुआती दिनों में मनोज तिवारी के अद्भुत स्ट्रोक–प्ले को देखते हुए उन्हें भारतीय क्रिकेट का केविन पीटरसन कहा जाने लगा था.
बंगाल के इस फेमस खिलाड़ी के नाम केवल एक अंतराष्ट्रीय शतक शामिल है, जो कि वेस्टइंडीज के विरुद्ध बेहद ही कठिन परिस्थितियों में आया था.
दोस्तों, मनोज तिवारी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और वर्तमान में पश्चिम बंगाल के युवा सेवा और खेल राज्य मंत्री हैं. मनोज तिवारी का जन्म 14 नवंबर 1985 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हुआ था. उनके पिता का नाम चंद्र देव तिवारी और मां का नाम ललिता देवी है. मनोज तिवारी ने क्रिकेट खेलने की शुरुआत भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज सौरव गांगुली को देखकर की थी और बाद में उनके क्रिकेटिंग आदर्शों की सूची में युवराज सिंह का नाम भी जुड़ गया. क्रिकेट के प्रति असीम दीवानगी तो थी ही और अपने सार्थक प्रयासों से मनोज तिवारी ने साल 2004 में भारतीय घरेलु क्रिकेट में अपने पैर जमाने में कामयाब रहे.
मनोज तिवारी ने अपना पदार्पण बंगाल की टीम से ही किया और जल्द ही अपने करिश्माई प्रदर्शन के चलते वह बंगाल क्रिकेट के पोस्टर बॉय बन गए. इस बात का अंदाजा आप मनोज तिवारी के घरेलु क्रिकेट के आंकड़ों से लगा सकते हैं. मनोज तिवारी ने अबतक 141 फर्स्ट क्लास मैचों में 9908 रन और 169 लिस्ट ए मैचों में 5581 रन बनाए हैं. इस दौरान उनके बल्ले से 35 शतक और 85 अर्धशतक निकले हैं. एक चीज गौर करने वाली है ये है कि मनोज तिवारी का फर्स्ट क्लास एवरेज लगभग 50 का रहा है और लिस्ट ए में 42 का. घरेलु क्रिकेट में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के चलते आखिरकार भारतीय चयनकर्ताओं की नजर दाहिने हाथ के इस आक्रामक बल्लेबाज पर पड़ ही गई.
राष्ट्रीय चयनकर्ता मनोज तिवारी की आक्रामक बल्लेबाजी और उनके द्वारा घरेलु क्रिकेट में बड़े–बड़े स्कोर बनाने की क्षमता से खासे प्रभावित हुए थे. 2007 विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम को बांग्लादेश दौरे पर जाना था लेकिन जब टीम की घोषणा हुई तो कुछ सीनियर खिलाड़ियों ने अपना नाम वापस ले लिया था, जिसमें सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली भी थे और इसी अवसर का लाभ मनोज तिवारी को मिला. वह बांग्लादेश दौरे के लिए टीम इंडिया में अपना स्थान पाने में कामयाब हुए. हालांकि अभ्यास सत्र के दौरान वो इंजर्ड हो गए थे और अपनी चोट के चलते टीम में जगह नहीं बना पाए थे. लेकिन अगले मौके के लिए मनोज तिवारी को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. 2007-08 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनको एक बार फिर टीम इंडिया के स्क्वाड में शामिल किया गया और इसी सीरीज के दौरान मनोज तिवारी ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. लेकिन अपने वनडे डेब्यू पर उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था. ऑस्ट्रेलिया की खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण के आगे मनोज तिवारी धराशाई हो गए थे. उस मैच में मनोज तिवारी 16 गेंदों पर सिर्फ 2 रन बनाकर ही आउट हो गए थे. हालांकि यह मैच बाद में बारिश की वजह से रद्द हो गया था लेकिन खराब प्रदर्शन का उनको खामियाजा भुगतना पड़ गया. टीम इंडिया में वापसी के लिए उनको 4 साल लग गए. साल 2011 में जब युवराज सिंह अपने कैंसर के इलाज के चलते मैदान से बाहर हुए थे, तब उनकी जगह वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए मनोज तिवारी को टीम इंडिया में शामिल किया गया था. इस सीरीज में मनोज को आखिरी के 2 मैचों में खिलाया गया था, और अंतिम मैच में मनोज तिवारी ने शतक लगाकर अपने आलोचकों का मुंह बंद किया था.
चेन्नई में खेले गए इस मुकाबले में भारतीय टीम ने मात्र 1 रन पर 2 विकेट गंवा दिए थे तब बल्लेबाजी करने आए मनोज तिवारी ने नाबाद 104 रनों की पारी खेली थी. इंजरी के चलते रिटायर्ड हर्ट होकर उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा था, लेकिन मनोज तिवारी की उस पारी की बदौलत भारत आखिरकार वह मुकाबला 34 रनों से जीता था और मनोज तिवारी ‘मैन ऑफ द मैच‘ रहे थे. इसके बाद उनका चयन इंग्लैंड दौरे के लिए हुआ था जहां आखिरी मैच में उनको प्लेइंग-11 में शामिल किया गया था. उस मैच में मनोज तिवारी ने 24 रन बनाए थे. इसके बाद मनोज भारत की वनडे टीम से अंदर–बाहर होते रहे. अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में वो घरेलु क्रिकेट वाली चमक नहीं बिखेर पाए. जिस प्रदर्शन के दम पर मनोज तिवारी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मौका दिया गया था, उस प्रदर्शन को वो यहां नहीं दोहरा पाए. घरेलु क्रिकेट में उन्हें भारतीय क्रिकेट का केविन पीटरसन का तमगा मिला था लेकिन अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका प्रदर्शन उस तमगे के आसपास भी नहीं था. मनोज तिवारी ने भारत के लिए 3 टी20 मुकाबले भी खेले, जिसमें उनके नाम सिर्फ 15 रन ही दर्ज हैं. साल 2011 में मनोज तिवारी ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना टी20 अंतराष्ट्रीय डेब्यू किया था. बात इंटरनेशनल वनडे करियर की करें तो मनोज तिवारी ने भारत के लिए 12 वनडे मैचों में 287 रन बनाए, जिसमें 1 शतक और 1 अर्धशतक शामिल रहा. मनोज तिवारी के नाम 5 इंटरनेशनल विकेट भी दर्ज हैं. भारत के इए टेस्ट कैप पहनने का सपना मनोज तिवारी के लिए सपना ही रह गया.
मनोज तिवारी इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL के मुख्य खिलाड़ियों में से एक रहे. आईपीएल के पहले सीजन में वो दिल्ली डेयरडेविल्स (जो अब दिल्ली कैपिटल्स है) स्क्वाड का हिस्सा रहे थे. बाद में कोलकाता नाइट राइडर्स, राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स और किंग्स 11 पंजाब का हिस्सा बने. मनोज तिवारी ने आईपीएल के 98 मैचों में 1695 रन बनाए हैं. इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 75 रन का रहा. भले ही मनोज तिवारी का अंतराष्ट्रीय और आईपीएल करियर आकर्षक ना हो लेकिन घरेलु क्रिकेट में उनकी लोकप्रियता हमेशा बनी रही. 2018-19 विजय हजारे ट्रॉफी में तिवारी बंगाल के लीडिंग रन–स्कोरर रहे थे. 2018-19 रणजी ट्रॉफी में मध्य प्रदेश के खिलाफ एक मुकाबले में तिवारी ने अपने फर्स्ट क्लास करियर का पांचवां दोहरा शतक जड़ा था. 2019-20 रणजी ट्रॉफी के दौरान मनोज तिवारी ने तिहरा शतक जड़कर सबको हैरत में डाल दिया था, उन्होंने तब नाबाद 303 रनों की पारी खेली थी.
फ़रवरी, 2021 में मनोज तिवारी ने ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की, वो 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शिबपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीते. बाद में उनको खेल और युवा मामलों के राज्य मंत्री के रूप में चुना गया. यानी मनोज तिवारी पूरी तरह से खेल से जुड़े हुए हैं, खास बात ये है कि वो अभी भी बंगाल की तरफ से घरेलु क्रिकेट खेलते हैं.
मनोज तिवारी के निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने साल 2013 में अपनी गर्लफ्रेंड सुष्मिता रॉय से एक लंबे अफेयर के बाद शादी रचाई थी. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम मनोज तिवारी के उज्जवल भविष्य की कामना करती है. दोस्तों, मनोज तिवारी को इंटरनेशनल क्रिकेट में ज्यादा मौके क्यों नहीं मिले ? आप अपनी राय विडियो में कमेन्ट करके बता सकते हैं.