बिहार में जिस तरह की राजनीतिक स्थिति है उससे तो अब यही प्रतित होने लगा है कि पीएम और सीएम पद के लिए राजनेता अपनी दावेदारी ठोकने लगे हैं. बिहार में खासकर सियासत सबसे ज्यादा तेज है. राजनीतिक पार्टियों की तरफ से लगातार बयान सामने आ रहे हैं. इतना ही नहीं अब तो 2024 और 2025 को ध्यान में रखते हुए बिहार में बयान जारी किये जा रहे हैं. बता दें कि जिसतरह से नेता अब अपने अपने गुटों की ओर जाने लगे हैं उससे यह स्पष्ट होने लगा है कि चुनाव की तैयारी अब शुरू हो गई है. पिछले दिनों नीतीश कुमार का दिल्ली दौरा, उसके बाद जीतन राम मांझी का अमित शाह से मुलाकात उसके बाद चिराग पासवान का बीजेपी के बड़े नेता के साथ मुलाकात होना यह दर्शाता है कि अब सियासत खुले तौर पर दिखाई देने लगी है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह है कि छोटी पार्टियां इन दिनों क्या करेगी. हालांकि बीजेपी ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं यह कितना सफल हो पाएंगे यह तो आने वाले समय में ही साफ हो पाएगा.

इस दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का एक बयान सामने आया है जिसके बाद हर कोई हैरान है. दरअसल मांझी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा है कि अगर हमारे पास 50 MLA की ताकत होती तो हमें पद से हाटने की किसी की हिम्मत नहीं होती. अगर मुख्यमंत्री के पद से नहीं हटाया जाता तो 5 साल की बात तो दूर, हम बिहार को 2 साल में ही टेकुआ की तरह सीधा कर देते. दरअसल जीतन राम मांझी का यह बयान तब आया है जब वे बाबा साहब भीमराव अंबेदकर की जयंती पर नालंदा जिला के मेहुदीनगर गांव पहुंचे थे. जहां उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शेड्यूल कास्ट को आगे बढ़ाने के लिए 4 मंत्रों की जरूरत होती है. अगर उन मंत्रों पर हम काम करें तो निश्चित तौर पर राजनीतिक, आर्थिक व सभी दृष्टिकोण से समाज आगे बढ़ेगा. इसी दौरान जीतन राम मांझी को साल 2015 की याद आ गई. उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास 50 एमएलए की ताकत होती तो हमें पद से हटाने की किसी की हिम्मत नहीं होती. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर हमें पद से नहीं हटाया गया होता तो हम 5 साल की बात तो दूर, हम बिहार को 2 साल में ही टेकुआ की तरह सीधा कर देते.

इसी दौरान बोलते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि निजी सेक्टर में भी आरक्षण की व्यवस्था हो. इसके लिए हम लोगों की लड़ाई लड़नी होगी. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरक्षण समाप्त करने की दिशा में साजिश करने का आरोप लगाया. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा है कि संविधान कितना भी अच्छा हो, अगर उसे चलाने वाला सही नहीं होगा तो हालात खराब हो जाएँगे. आज संविधान चलाने वाला रेलवे, जहाज, फाइनेंसियल कंपनी, खाद्यान्न का प्राइवेटाइजेशन कर रहा है. इसमें आरक्षण नहीं है. जितने प्रतिशत आरक्षण की बात थी, उतना आरक्षण प्राइवेट सेक्टर में भी हो, तभी हम लोगं के बच्चों को नौकरी मिलेगी.

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