जिसने हार पर भी दुनिया को मुस्कुराना सीखा दिया..
न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम का कैप्टन कूल खिलाड़ी, जो हार कर भी मुस्कुरा देता है
फाइनल में पहुंचाने की गारंटी देने का जाबांज किवी खिलाड़ी
रग्बी खेलने वाला लड़का कैसे बना न्यूजीलैंड का महान बल्लेबाज
सचिन तेंदुलकर को आदर्श मानने वाले केन विलियमसन की दिलचस्प कहानी
दोस्तों, क्रिकेट की दुनिया में कुछ ऐसे खिलाड़ी आए और गए, जिन्हे सिर्फ रिकॉर्ड की वजह से दुनिया याद करती है। लेकिन इस खेल में गिने चुने ही ऐसे खिलाड़ी भी हुए है जिन्हे क्रिकेट दुनिया उनके शांत स्वभाव और स्पिरिट ऑफ गेम के लिए याद करती है। सचिन तेंदुलकर, कुमार संगाकारा, वीवीएस लक्ष्मण और महेंद्र सिंह धोनी सरीखे कई खिलाड़ी है जो मैदान पर अपने कूल अंदाज के लिए जाने जाते है। करोड़ो क्रिकेट प्रशंसकों के दिल में ऐसे महान खिलाड़ी बस जाते है। लेकिन दोस्तों मौजूदा क्रिकेट की दुनिया में एक ऐसा खिलाड़ी भी है जिसका अंदाज इन्ही खिलाड़ियों से मिलता जुलता है। जिसका चेहरा धोनी की तरह हमेशा मुस्कुराता रहता है। मैच हारकर भी दुनिया के सामने उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा इस बात की गवाही देता है कि जरूरी नहीं कि विश्व की सभी बेशकीमती चीजें हमारी झोली में आ गिरे। और हार जीत खेल का हिस्सा है।बस यही खूबी इस खिलाड़ी को महान बनाती है। वो महान क्रिकेटर कोई और नहीं न्यूजीलैंड टीम का कूल खिलाड़ी केन विलियमसन है।
हम बात करने वाले हैं न्यूजीलैंड के उस महान खिलाड़ी की जिसको लेकर कभी मार्टिन क्रो ने कहा था कि जब केन विलियमसन क्रिकेट से सन्यास लेंगे तो वह न्यूजीलैंड के सबसे महान बल्लेबाज बन चुके होंगे। आज के दौर में विलियमसन की बैटिंग को देखकर भी यही प्रतीत होता है आज हम आपको केन विलियमसन के कहानी बताने वाले है जिन्होंने मार्टिन क्रो के कथन को सही साबित कर दिखाया है।
केन स्टुअर्ट विलियमसन का जन्म 8 अगस्त साल 1990 को न्यूजीलैंड के तटीय क्षेत्र तोरंगा में हुआ था। केन विलियमसन अपने पिता ब्रेट विलियम्सन और मां सैंड्रा के सबसे बड़े बेटे है। विलियमसन अपने जुड़वा भाई लोगन के साथ तीन बड़ी बहनों, अन्ना, सोफी और काइली के साथ पले-बढ़े है। स्पोर्ट्स विलियमसन को विरासत में मिला। केन विलियमसन के पिता ब्रेट विलियमसन क्लब क्रिकेट के खिलाड़ी रह चुके है। और उनकी मां, सैंड्रा एक बास्केटबॉल खिलाड़ी थीं. केन की तीन बहनें भी है जो वॉलीबॉल खेलती हैं। इनमे से दो बहनें एज ग्रुप के टूर्नामेंट में रिप्रिजेंट भी कर चुकी है। केन का जिस शहर में जन्म हुआ था उस शहर से कई खिलाड़ी न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम का हिस्सा रह चुके है तेज गेंदबाज डग ब्रेसवेल उन्ही में से एक है डग ब्रेसवेल केन विलियमसन के बचपन के दोस्त भी है। वहीं एक और तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट भी केन के पड़ोसी है। केन को बचपन से ही सभी तरह के खेल पसंद थे। रग्बी खेल की सरजमीं न्यूजीलैंड केन विलियमसन को खूब भाती थी। केन को बॉलीबॉल भी खूब पसंद था। लेकिन इन सबके बीच क्रिकेट केन की जिंदगी थी। इसकी एक बड़ी वजह केन सचिन को भी बताते है।
90 के दशक में पैदा होने वाले सभी बच्चों की तरह केन भी सचिन तेंदुलकर की बैटिंग के मुरीद थे। क्रिकेट ने केन को कुछ बड़ा करने का हौंसला दिया था। केन के पिता अपने दोनो बच्चो को क्रिकेट की शुरुआती शिक्षा देने का काम किया था। इसके बाद केन 14 साल की उम्र में बे ऑफ प्लेंटी की तरफ से रिप्रेजेंटेटिव क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। और महज 17 साल की उम्र में नॉर्दन की तरफ से अपने घरेलू क्रिकेट का आगाज किया। केन के शुरुआती क्रिकेट करियर में केन का स्कूल शिक्षा के साथ क्रिकेट की बारीकियां भी सिखाता था। इस स्कूल की खासियत थी कि लगभग 300 बच्चों वाले स्कूल में कुल नौ क्रिकेट टीमों थी। केन पढ़ाई में भी बहुत अच्छे थे। केन स्कूल की तरफ से कई टूर्नामेंट में शिरकत की जहां केन ने 40 शतक बनाए थे। केन का डोमेस्टिक सीजन साल 2007 में शुरू हुआ जहां के पहले मैच की दोनो पारियों में सिर्फ 12 गेंद ही खेल पाए। और सिर्फ दो रन बना पाए। जिससे केन की खूब हंसाई हुई। लेकिन अगले साल प्लेंकट शील्ड सीजन में केन ने 50 की औसत से रन बनाकर सभी का मुंह बंद करा दिया।
साल 2008 में हुए अंडर 19 विश्व कप के लिए केन को न्यूजीलैंड का कप्तान बनाया गया। जहां उन्होंने शानदार कप्तानी की और टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाया था। ये अंडर 19 का वही विश्व कप था जिसमें भारत की तरफ से विराट कोहली कप्तान थे और विश्व कप भारत ने जीता था। केन विलियमसन उस दौर में अपने बल्ले से कमाल कर रहे थे। उनके इस प्रदर्शन को देखते हुए सेलेक्टरों ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जगह दी। साल 2010 में केन को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली जा रही टेस्ट सीरीज के दूसरे मैच में केन को टीम में जगह मिली। लेकिन प्लेइंग इलेवन से केन अभी भी दूर थे। 10 अगस्त 2010 को केन रंगीन जर्सी पर नजर आए। भारत के खिलाफ केन को वनडे क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला। पहले ही मैच में शून्य पर आउट होने के बाऊजुद यह खिलाड़ी मुस्कुरा रहा था क्योंकि केन को सचिन तेंदुलकर से मुलाकात करने का मिला था। केन को ना जाने सचिन से ऐसी क्या प्रेरणा मिली कि इसी साल अक्टूबर में केन ने बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक लगा दिया। केन अब वनडे क्रिकेट में चमक रहे थे। इसी को देखते हुए सेलेक्टरों ने केन को टेस्ट में मौका दिया। डेनियल विटोरी की कप्तानी में खेलते हुए केन ने टेस्ट में भी शतक ठोक डाला। केन फिर यहां से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। केन को साल 2011 में हुए विश्व कप में खेलने का अवसर मिला तो केन कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। 4 मैचों मे सिर्फ 99 रन ही बना सके। फिर केन को पहली बार टी 20 में चुना गया। जिम्बाब्वे के खिलाफ केन ने टी 20 में डेब्यू किया।
केन विलियमसन अब क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में डेब्यू कर चुके थे। लेकिन केन को अपना दूसरा टेस्ट खेलने के लिए लगभग 18 महीने का इंतजार करना पड़ा। फिर वेलिंगटन में केन ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरा टेस्ट खेला जहां उन्होंने डेल स्टेन और मोर्ने मोर्कल जैसे घातक गेंदबाजों का सामना करते हुए 102 रनों की पारी खेल डाली। साल 2014 में भारत दौरे पर आई कीवी टीम ने पांच वनडे मैचों की सीरीज खेली। खास बात यह थी कि सभी मैचों में केन ने हाफ सेंचुरी लगाई थी।
केन शानदार खिलाड़ी और कमाल के प्रतिद्वंदी होने के अलावा केन निजी तौर पर एक नरम और अच्छे दिल के इंसान भी है। इसका सबूत तब मिला जब पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच की पूरी फीस पेशावर स्कूल में हुए आतंकी हमले में मारे गए बच्चों को दिया था। साल 2015 में श्रीलंका के खिलाफ खेली गई 242 रनों की पारी क्रिकेट की सबसे अच्छी पारियों में गिना जाता जाता है।केन को विश्व कप में भी शामिल किया गया था तब कीवी टीम फाइनल तक पहुंची थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के हाथो हार गई थी। इसी दौर में न्यूजीलैंड इतनी मजबूत टीम बनी क्योंकि केन के साथी रॉस टेलर कई शानदार पारियां खेलकर टीम को मुसीबत से निकाल रहे थे। केन और रॉस टेलर की जोड़ी इतनी मजबूत थी कि विरोधी गेंदबाजों के पसीने छूट जाते थे इस जोड़ी को तोड़ने के लिए।
साल 2016 ये वो साल था जब केन विलियमसन को न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम की कमान मिली थी। अगस्त 2016 तक केन विलियमसन विश्व के एक ऐसे खिलाड़ी बन गए थे जिसने सभी टीमों के विरुद्ध शतक जमाया था। केन को आज न्यूजीलैंड क्रिकेट का सबसे सफल कप्तान और खिलाड़ी माना जाता है। न्यूजीलैंड के क्रिकेट प्रेमी तो केन को न्यूजीलैंड का विराट कोहली भी कहते है। केन ने अपनी कप्तानी का ऐसा करिश्मा दिखाया कि दुनिया देखती रह गई। साल 2016 टी 20 विश्व कप में सेमी फाइनल का सफर, साल 2018 के आईपीएल में फाइनल का सफर साल 2019 विश्व कप के फाइनल का सफर इतना ही नही टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में न्यूजीलैंड केन की कप्तानी में ही पहुंची थी। केन ने अपनी कप्तानी में वो उपल्धियां और कीर्तिमान हासिल किए है जहां इतिहास में किसी कीवी कप्तान ने इतनी सफलता नहीं प्राप्त की। 49 साल बाद पाकिस्तान को उसी की धरती में शिकस्त देना केन के लिए बड़ी उपल्धियों में से एक है। केन की कप्तानी की कायल सिर्फ न्यूजीलैंड ही नहीं बल्कि समूची दुनिया है। केन की कप्तानी में जब न्यूजीलैंड 2019 विश्व कप के फाइनल में पहुंची तो क्रिकेट जगत हैरत में पड़ गया। क्योंकि सामने क्रिकेट का जन्मदाता और विश्व कप का मेजबान देश इंग्लैंड था। जो अपने आपमें एक नया इतिहास लिखने जा रहा था। फाइनल मैच टाई हुआ तो विजेता बनने की बात सुपर ओवर तक पहुंच गई। यहां भी इंग्लैंड ने बाजी मार ली। फिर दुनिया ने इंग्लैंड को चैंपियन बनते तो देखा लेकिन हार के बाउजुद केन विलियमसन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। तब क्रिकेट पंडित और करोड़ों प्रशंसकों ने कहा था इंग्लैंड ने विश्व कप जीता लेकिन केन विलियमसन ने दिल। केन को हार के बाद भी खुशी इसलिए थी क्योंकि उन्हें अपने पसंदीदा खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के हाथो से मैन आफ द टूर्नामेंट अवार्ड मिला था।
33 वर्षीय केन विलियमसन ने 91 टेस्ट ,161 वनडे और 87 टी 20 मैच खेले है। जिसमें लगभग 1600। रन बनाए है। केन विलियमसन का आईपीएल सफर देखें तो 5 साल साल हैदराबाद और एक साल अहमदाबाद की तरफ से ipl खेलने वाले केन विलियमसन ने 76 मैच खेलें है जिसमे 2101 रन बनाए है।
दोस्तों, केन विलियमसन के क्रिकेट करियर को आप कैसे देखते हैं ? आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं .