पायलट बनने का ख्वाब देखने वाला लड़का क्रिकेटर कैसे बन गया

वो ड्रॉप होता है तो घरेलू क्रिकेट में रनों की बारिश कर देता है

अपने ही आर्दश खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग का रिकॉर्ड तोड़ने वाला जाबांज खिलाड़ी

जब किस्मत और इंतजार दोनो ने दिया धोखा

ये बात है साल 2010 की.. जब इंडियन 19 टीम विश्व कप के लिए न्यूजीलैंड जा रही थी टीम में एक ऐसा खिलाड़ी था जिससे सभी को बहुत उम्मीदें थी। टूर्नामेंट शुरू हुआ और उस खिलाड़ी के बल्ले ने आग उगलना शुरू किया। पूरे टूर्नामेंट में विरोधी गेंदबाजों की बखिया उधेड़ कर रख दी थी। नतीजा यह रहा कि वह खिलाड़ी पूरे विश्व कप में हाई स्कोरर बना था। वहां से उसे लगने लगा था कि विश्व कप की परफोर्मेंस उसके लिए इंडियन टीम के लिए दरवाजे खोल देगी। लेकिन ऐसा नही हुआ। उसी टीम में जयदेव उनादकट और के एल राहुल थे जिनके लिए इंडियन टीम के दरवाजे खुल गए थे। लेकिन इस खिलाड़ी के हाथ इस निराशा लगी। उसने हार नही मानी कड़ी मेहनत की और फिर आईपीएल ने उसके लिए दरवाजे खोल दिए। और फिर आते ही धमाल मचाना शुरू कर दिया। वह खिलाड़ी कोई नही मयंक अग्रवाल थे….

इंतजार क्या होता है कोई मयंक अग्रवाल से पूछे। अंडर 19 विश्व कप से लेकर घरेलू क्रिकेट में तहलका मचाने के बाद भी मयंक अग्रवाल के लिए आठ साल बाद टीम इंडिया के दरवाजे खुले तो पृथ्वी शॉ ने इंतजार बढ़वा दिया। रणजी में फिर तहलका मचाया तो चयनकर्ताओं ने फिर इंतजार करवा दिया।

हम बात करने वाले हैं मयंक अग्रवाल की.. एक ऐसा खिलाड़ी जिसने एक साल के अंदर दो दोहरे शतक बना डाले। फिर भी आज उसकी काबिलियत पर शक किया जाता है

मयंक अग्रवाल का जन्म 16 फरवरी 1991 को कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में हुआ था। पिता अनुराग अग्रवाल नेचुरल रेमेडी कम्पनी के सीईओ है मां सुचारू सिंह हाउसवाइफ है। मयंक के बड़े भाई राज किशन कर्नाटक की ओर से घरेलू क्रिकेट खेल चुके है। बचपन में सभी बच्चों की तरह मयंक भी खूब क्रिकेट खेलते थे। लेकिन प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने से अभी वो मीलों दूर थे। मयंक को एरो प्लेन में बहुत दिलचस्पी थी। जब भी उनके छत के ऊपर से कोई प्लान गुजरता तो अपनी मां से कहते एक दिन मैं भी इसी तरह प्लेन उड़ाऊंगा। वो साइंस पढ़कर पायलट बनना चाहते थे। मयंक ने अपनी स्कूली शिक्षा बिशप कॉटन बॉयज स्कूल से की थी। 10 साल की उम्र तक मयंक सिर्फ टेनिस बॉल से ही क्रिकेट खेलते थे। स्कूली क्रिकेट में मयंक ने अच्छा क्रिकेट खेला। मयंक ने अपनी बल्लेबाजी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था उनके पिता कई बार स्कूल जाकर मयंक की बैटिंग देखते। उधर कोच रामदास भी मयंक की बैटिंग से प्रभावित थे। कोच ने मयंक को स्कूल की टीम में शामिल कर लिया। तब मयंक सही मायनों में क्रिकेटिंग बॉल और बैट से वाकिफ हुए।

पायलट बनने का ख्वाब देखने वाला यह खिलाड़ी अब क्रिकेट के रंग में रंग चुका था। मयंक टीवी पर भी खूब क्रिकेट देखने लगे थे। भारत के विस्फोटक ओपनर बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की बल्लेबाजी मयंक को खूब भाती थी। इसलिए वो सहवाग की तरह बल्लेबाजी करना चाहते थे। मयंक ने यहां से एक सफल क्रिकेटर बनने का मन बना लिया था। मयंक ने कोरोमांगला क्रिकेट एकेडमी में दाखिला लिया। और रोज क्रिकेट प्रैक्टिस करने लगे। यहां से मयंक ने क्रिकेट को अपने जीवन में हिस्सा बनाने का पूरा जोर लगा दिया। स्कूल के बाद मयंक ने बैंगलोर की जैन यूनिवर्सिटी को ज्वाइन कर लिया। जहां से करुण नायर और के एल राहुल ने भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई की।

साल 2008 कर्नाटका की अंडर 19 टीम की ओर से खेलते हुए कूच बिहार ट्रॉफी में 5 मैच में 432 रन बनाए। इसके बाद उन्हें इंडियन अंडर 19 टीम की तरफ से खेलते हुए मयंक ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 160 रनों की आतिशी पारी खेली। इसी प्रदर्शन को देखते हुए मयंक को साल 2010 के अंडर 19 विश्व कप के लिए टीम में जगह दी गई। न्यूजीलैंड में खेले गए इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम ने खास प्रदर्शन नही किया। लेकिन इस टीम से कई उभरते सितारे मिले। उन्हीं में से एक मयंक अग्रवाल भी थे। सैय्यद मुस्ताक अली ट्राफी और कर्नाटक प्रीमियर लीग में मयंक का बल्ला खूब गरजा। मयंक के इस प्रदर्शन को इंडियन टीम के चयनकर्ताओ के कान में जूं तक नहीं रेकी। साल 2011 में मयंक के साथ जयदेव उनादकट को टेस्ट टीम में पदार्पण करने का मौका मिल गया। उसी साल IPL में RCB ने मयंक को टीम में शामिल कर लिया। लेकिन मयंक का बल्ला खामोश रहा। घरेलू क्रिकेट के लिमिटेड ओवर में अच्छा करने वाले मयंक को सभी लिमिटेड ओवर का खिलाड़ी मानने लगे थे। इसलिए उनका डेब्यू नहीं हो पा रहा था। लेकिन साल 2013-14 वो समय आ ही गया। जब मयंक अग्रवाल को कर्नाटक की तरफ से रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करने का मौका मिला। मयंक गुस्से से भरे थे। अपना गुस्सा उन्होंने विरोधी टीम पर निकाला और 8 मैचों मे 380 रन बना डाले। उसी साल 2014 में मयंक को खबर मिली कि अंडर 19 टीम के साथी खिलाड़ी के एल राहुल का इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू हो गया। और मयंक का इंतजार बढ़ गया। साल 2014 और 15 में मयंक का बल्ला बिलकुल खामोश हो गया। साथ ही चोटों ने मयंक को झकझोर कर रख दिया। लेकिन मयंक ने हार नही मानी और अपनी फिटनेस पर खूब काम किया।

साल 2016 में जबरदस्त वापसी की और दिलीप ट्राफी के 3 मैचों मे 420 रन ठोक डाले। जिसमे एक शतक और चार अर्द्ध शतक शामिल थे। साल 2017 ये वो साल था जब मयंक अग्रवाल ने रणजी ट्रॉफी सीजन में तिहरा शतक जमाया था। और ये साल मयंक के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इस सीजन के 8 मैचों मे 1160 रन बनाए। मयंक टीम इंडिया की राह अभी भी देख रहे थे। लेकिन किस्मत दगाबाजी कर रही थी। मयंक खामोश नहीं बैठे। उसी साल विजय हजारे ट्रॉफी में मयंक ने 8 मैचों मे 723 रन ठोक डाले। इस साल में मयंक ने 2140 रन बनाए थे 2018 में bcci ने मयंक को माधवराव सिंधिया अवार्ड से सम्मानित किया। इसके बाद आईपीएल में RCB ने मयंक की परफोर्मेंस को देखते हुए एक करोड़ रुपए में टीम में शामिल किया। अब इंतजार की घड़ी खत्म होने वाली थी। भारत दौरे पर आई वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ मयंक को टेस्ट टीम में जगह मिल गई। लेकिन किस्मत का खेल देखिए मयंक को फिर भी बाहर बैठना पड़ा। क्योंकि पृथ्वी शॉ भी टीम में चुने गए गए। और प्लेइंग में पृथ्वी खेले। और उन्होंने शतक जड़ अपने इरादे जाहिर कर दिए। पृथ्वी ने मयंक का इंतजार और लंबा कर दिया। मयंक फिर भी निराश नहीं हुए उन्होंने मेहनत की। तो फिर उसका इनाम मिला।

दिसंबर 2018 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए मयंक को टीम में वापसी कराई गई। वो कहते है ना कभी कभी किस्मत के तार एक दूसरे से जुड़े होते है जिसकी वजह से मयंक डेब्यू नही कर पाए उसी पृथ्वी के चोटिल होने पर बॉक्सिंग डे पर 26 दिसंबर 2018 को 295 नंबर की कैप पहनकर कर डेब्यू किया।और पहली पारी में 76 रन बनाए। इस सीरीज में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसी की सरजमीं पर रौंद डाला। 2019 विश्व कप में मयंक को चुना गया। लेकिन एक भी मैच नहीं खेलने को मिले। अक्टूबर 2019 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने दोहरा शतक जड़ दिया। इसके अगले टेस्ट में भी एक और शतक जड़ दिया। उन्होंने अपने ही आर्दश खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

5 अक्टूबर 2020 को मयंक का वनडे डेब्यू हुआ। इसी साल मयंक का बल्ला IPL में भी खूब गरजा। 11 मैचों मे 424 रन बनाए। इस सीजन में मयंक ने अपना पहला आईपीएल शतक भी ठोका था। मयंक की बल्लेबाजी पंजाब फ्रेंचाइजी को इतनी भाई की उन्होंने 12 करोड़ में मयंक को रिटेन कर लिया। साल 2021 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के पहले मयंक का बल्ला खामोश हो गया। इसके बाद दिसंबर में भारत आई न्यूजीलैंड टीम के खिलाफ एक टेस्ट मैच में मयंक ने 150 रन की लाजवाब पारी खेली। ये वही मैच था जहां एजाज खान ने पूरे 10 विकेट चटकाए थे। 2023 के घरेलू सीजन में मयंक का बल्ला आग उगल रहा था उधर, के एल राहुल का फॉर्म गायब था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो टेस्ट मैचों राहुल सस्ते में पवेलियन जा चुके है। फिर भी चयनकर्ताओं ने राहुल को अगले दो टेस्ट के लिए बनाए रखा। और उधर मयंक अग्रवाल का इंतजार फिर बढ़ रहा है।

मयंक अग्रवाल ने अभी तक अपने क्रिकेट करियर में 21 टेस्ट खेले जिसमें 1488 रन बनाए है वनडे के 5 मैचों मे 88 रनों का योगदान है। तो वहीं IPL के 113 मैचों मे एक शतक की बदौलत 2331 रन बनाए है।

दोस्तों, क्या मयंक अग्रवाल की प्रतिभा को चयनकर्ता नजरंदाज कर रहे हैं ? आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं .

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