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भारतीय क्रिकेट का वह पार्टनरशिप-ब्रेकर आज कहां गुम है ?

Bihari News

आज कहां गुम है वह स्टार खिलाड़ी, जिसे कहते थे टीम की रीढ़ की हड्डी और पार्टनरशिप ब्रेकर

2 साल की उम्र में बल्ला लेकर सोता था, बाद में बना टीम का उपयोगी ऑलराउंडर

जिसने अपने आईपीएल डेब्यू पर ठोका तूफानी अर्धशतक

रणजी ट्रॉफी में जड़ा तीसरा शतक, रणजी इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने टॉप-5 बल्लेबाजों में है नाम शुमार

29 साल में किया इंटरनेशनल डेब्यू, कहलाए भारतीय क्रिकेट के पार्टनरशिप ब्रेकर

वह जब 2 साल का था तब मैंने उसे आंवले से गेंदबाजी करते हुए देखा था. वह बारबार हाथ घुमाकर आंवले को एक स्थान पर फेंक रहा था. मैंने उसी दिन कह दिया था कि मेरा भाई बड़ा होकर क्रिकेटर बनेगा.” ये शब्द हैं केदार जाधव की बहन के

केदार के पिता कहते हैं, केदार जब 2 साल का था तभी से उसने बैट थाम लिया था. वो रातों में भी बैट साथ लेकर सोता था. हमें तो कई बार उससे बैट छीनना पड़ता था.”

वो कहते हैं ना कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. ऐसा ही कुछ था इस खिलाड़ी के साथ, 2 साल की ही उम्र में इनके घरवालों को लग गया था कि यह आगे चलकर वह क्रिकेटर ही बनेगा. खिलाड़ी भी ऐसा कि बैटिंग और बॉलिंग दोनों विधाओं में निपुण. और सबसे बढ़कर एक पार्टनरशिप ब्रेकर, भारतीय क्रिकेट में केदार जाधव को ये संज्ञा मिली है. और इसने ना सिर्फ केदार जाधव के करियर को नई दिशा दी बल्कि केदार के करियर को स्थापित करने में भी इस तमगे ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

29 साल की उम्र में डेब्यू करने वाले केदार जाधव ऐसे खिलाड़ी रहे, जिनकी मौजूदगी में भारतीय टीम का जीत प्रतिशत 80 परसेंट तक का रहा.

दोस्तों, आज हम बात करेंगे केदार जाधव के बारे में. इस लेख में हम टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर केदार जाधव के जिंदगी से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे. केदार जाधव का जन्म 26 मार्च, 1985 को पुणे, महाराष्ट्र में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. केदार के पिता महादेव जाधव बिजली विभाग में काम करते थे और मां मंदाकिनी जाधव एक हाउसवाइफ थीं. पिता अक्सर काम के सिलसिले में बाहर ही रहते थे इसलिए घर की पूरी जिम्मेदारी मां ही संभालती थी. केदार के घर में उनसे बड़ी तीन बहने भी थी.

बचपन में केदार शांत और अनुशासित प्रवृति के थे लेकिन क्रिकेट के मामले में वो बिलकुल भी अनुशासित नहीं थे. बचपन में क्रिकेट से इस कदर प्यार था कि केदार सोते समय भी बल्ला लेकर ही सोते थे और गेंदबाजी के लिए जिस वस्तु को गोल पाते, उससे ही गेंदबाजी का अभ्यास करने लगते थे.

क्रिकेट के साथ केदार ने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई MIT हाई स्कूल से की, केदार एक एवरेज स्टूडेंट थे और क्रिकेट के प्रति प्यार ने उन्हें पढ़ाई में और कमजोर बना दिया जिसके चलते उन्हें अपनी मां और टीचर से अक्सर डांट सुनने पड़ते थे. जब केदार के पिता घर आते तो उनकी मां केदार की मार्कशीट लेकर उनके पास पहुंच जाती, लेकिन पिता हर बार बात को यह कहकर ताल देते कि उनका बेटा सिर्फ क्रिकेट ही नहीं खेलेगा बल्कि एक दिन हमारा नाम भी रौशन करेगा.

हाई स्कूल पूरी करने के बाद केदार जाधव ने यशवंत राव मोहिते कॉलेज से बारहवीं की, इस दौरान वे कॉलेज क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा रहे. इसके बाद बी कॉम की पढ़ाई करने वो कोथरूड स्थित सुधाताई माँड़के कॉलेज आ गए. यहां उनके क्रिकेट में बड़ा निखार आया, जिससे उन्हें डिस्ट्रिक्ट लेवल की क्रिकेट टीम में एंट्री मिल गई. डिस्ट्रिक्ट लेवल पर अपने बेहतरीन खेल से केदार जाधव ने देखते ही देखते स्टेट लेवल टीम में जगह बना ली.

बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद केदार अब क्रिकेट के लिए पूरी तरह से फ्री हो चुके थे. अब उन्होंने अपना सारा ध्यान क्रिकेट पर लगा दिया, स्टेट लेवल पर की गई छोटीछोटी गलतियों को वो सुधारने में लग गए. इसका सुखद परिणाम उन्हें तुरंत ही मिला, जब उनका चयन महाराष्ट्र की रणजी टीम में हो गया. वो 2007-08 रणजी सीजन था, जब केदार जाधव ने अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था. पहला सीजन तो कुछ खास नहीं रहा लेकिन अगले सीजन में केदार ने अपने खेल की छाप छोड़ी. उस सीजन केदार ने 6 अर्धशतकीय पारियों के अलावा 1 शतक भी जमाया. इस दौरान वो एक नेचुरल टी20 प्लेयर लगे, उनकी पहचान एक आक्रामक बल्लेबाज के रूप में होने लगी. यही कारण था कि उनको IPL टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से development team के लिए खेलने का न्योता मिला, जहां विदेशी कोचों की देखरेख में केदार ने जमकर पसीना बहाया. आईपीएल 2010 ऑक्शन में दिल्ली की टीम ने केदार को खरीद लिया और अपने पहले ही आईपीएल सीजन में केदार ने धमाल मचा दिया. अपना पहला मैच खेल रहे केदार जाधव ने अपनी पुरानी टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ मात्र 29 गेंदों में 50 रन बना डाले. आतिशी बल्लेबाजी के कारण अब केदार जाधव लाइमलाइट में आ गए. आईपीएल 2012 में केदार को कोच्ची टस्कर्स केरला ने ख़रीदा था लेकिन उन्हें सिर्फ 6 मुकाबले ही खेलने को मिले, जिसमें उनका प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा. शायद यह उनके आईपीएल करियर का सबसे बुरा दौर था. 2013 आईपीएल में उन्हें एक बार फिर दिल्ली की टीम ने ख़रीदा लेकिन केदार का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा था. 2014 आईपीएल में केदार जाधव टीम में नाम मात्र के लिए ही बने रहे. हालांकि वो 10 मैच खेले लेकिन इन 10 मैचों में उनके बल्ले से सिर्फ 149 रन ही निकले.

लेकिन रणजी मैचों में केदार का प्रदर्शन इसके उलट रहा. 2012 में महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए केदार ने उत्तर प्रदेश के खिलाफ 327 रनों की शानदार पारी खेली थी और 2013-14 रणजी सीजन में तो केदार ने 6 शतक के साथ 1223 रन बना डाले थे. यह उस सीजन का सबसे अधिक और रणजी इतिहास में चौथा सबसे ज्यादा सीजन स्कोर था. केदार के शानदार प्रदर्शन की बदौलत महाराष्ट्र 10 वर्षों के बाद रणजी फाइनल में पहुंचने में कामयाब हुई थी. रणजी में शानदार प्रदर्शन का केदार जाधव को इनाम भी मिला, उन्हें 2014 में बांग्लादेश दौरे के लिए भारतीय टीम में चुना गया लेकिन यहां उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला.

आख़िरकार नवंबर, 2014 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज में केदार जाधव का इंटरनेशनल डेब्यू हुआ, अपने डेब्यू मैच में केदार 24 गेंदों पर 20 रनों की ही पारी खेल सके. फिर अगले साल यानी 2015 में उन्हें जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलने का मौका मिला, जब कुछ सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया गया था. सीरीज के तीसरे वनडे मैच में केदार ने 87 गेंदों पर 105 रन बनाकर अपने अंतराष्ट्रीय करियर का पहला शतक ठोक दिया, भारत ने वनडे सीरीज 3-0 से अपने नाम की थी. इसी दौरे पर केदार ने अपना टी20 इंटरनेशनल डेब्यू भी कर लिया था.

2017 में इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें वनडे टीम में चुना गया, जहां उन्होंने पहले मैच में कप्तान विराट कोहली के साथ 200 रनों की साझेदारी की थी, इस दौरान केदार ने मात्र 76 गेंदों पर 120 रनों की धुआंधार पारी खेली थी और टीम को शानदार जीत दिलाई थी. सीरीज के तीसरे वनडे में केदार ने 76 गेंदों पर 90 रन बनाए, जिससे भारतीय टीम ने 320 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा किया था लेकिन पारी की आखिरी गेंद पर केदार आउट हो गए और भारत मैच हार गया. मगर केदार जाधव ने अपने प्रदर्शन से मिडिल ऑर्डर में जगह बना ली थी. केदार को उस श्रृंखला का हीरो यानी मैन ऑफ द सीरीजअवार्ड से सम्मानित किया गया था. साल 2017 में इंग्लैंड में खेली गई ICC चैंपियंस ट्रॉफी में केदार जाधव भारतीय टीम का हिस्सा थे, इस समय तक जाधव भारतीय टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके थे. टीम में जगह पक्की होने के बाद जाधव की गेंदबाजी में भी काफी निखार आया. केदार जाधव अपनी गेंदबाजी कला से ज्यादातर टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को अपने शिकार बनाते थे, इसी चलते उनको पार्टनरशिप ब्रेकर का तमगा भी मिला था. खासतौर पर साल 2019 में ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे पर किए गए बॉलिंग परफॉरमेंस ने केदार जाधव को सही मायने में पार्टनरशिप ब्रेकर गेंदबाज के तौर पर स्थापित किया.

भारतीय टीम में एक बैटिंगऑलराउंडर के तौर पर केदार जाधव के आंकड़े निःसंदेह सराहनीय हैं लेकिन साल 2019 के अंत तक टीम में हार्दिक पंड्या और रवीन्द्र जडेजा जैसे बेहद ही प्रभावशाली खिलाड़ियों के आने से केदार जाधव लगातार टीम से दूर होते चले गए और फिर एक वक्त ऐसा भी आया जब केदार जाधव 15-सदस्यीय स्क्वाड में अपना स्थान सुनिश्चित नहीं कर पाए और इस तरह से साल 2020 तक केदार जाधव टीम से पूरी तरह ड्रॉप कर दिए गए.

केदार जाधव ने 73 वनडे अंतराष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उन्होंने 42.09 की औसत से 1389 रन और 27 विकेट चटकाए हैं. भारत के लिए 9 टी20 मैचों में खेलते हुए केदार ने 122 रन बनाए हैं. केदार के नाम 82 फर्स्ट क्लास मैचों में 5721 रन दर्ज हैं, इस दौरान 327 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा है.

केदार जाधव के निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने इंडियन विमेंस क्रिकेट की फर्स्ट क्लास लेवल की क्रिकेटर स्नेहल प्रमोद से शादी की, जिनसे उनको एक बेटा है. भारतीय क्रिकेट टीम में केदार जाधव की वापसी का रास्ता शायद थोड़ा ज्यादा मुश्किल है लेकिन चक दे क्रिकेट की पूरी टीम की शुभकामनाएँ उनके साथ हैं. हम केदार जाधव के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं. आपको क्या लगता है दोस्तों ? क्या केदार जाधव टीम इंडिया की जर्सी में दोबारा दिख पाएंगे या नहीं ? कमेंट में हमें बताएं.

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