कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में मतदान के बाद अब राजनीतिक पार्टियों के साथ ही मतदाताओं की नजर 8 दिसंबर को होने वाले मतगणना पर टिका हुआ है. लेकिन उससे पहले सभी राजनीतिक पार्टियों की तरफ से जीत का दंभ भरा जा रहा है. एक तरह से कहें तो यह चुनाव बीजेपी और जदयू के बीच में सीधा मुकाबला माना जा रहा है. वहीं अगर हम कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में वोटिंग प्रतिशत को देखेंगे तो इससे भी यह स्पष्ट होता प्रतित होगा की किस राजनीतिक पार्टी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. अगर हम पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो कुढ़नी में बेहतर मतदान होता रहा है. ऐसे में इस बार हुए उपचुनाव में 57.9 प्रतिशत मतदान हुआ है. यानी की पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में 6 प्रतिशत कम मतदान हुआ है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस बार के नतीजे चौकाने वाले हो सकते हैं. और कांटे की टक्कर भी देखने को मिल सकती है.
कुढ़नी विधानसभा के अगर हम पुराने रिकॉर्ड को देखें तो साल 2020 में यहां पर बीजेपी और जदयू दोनों मिलकर चुनाव मैदान में थी तो वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन की तरफ से राजद चुनाव मैदान में उतरी थी. हालांकि इस चुनाव में राजद को जीत मिली थी और यहां पर NDA को हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस बार यानी की साल 2022 के उपचुनाव में समीकरण पूरी तरह से बदला हुआ है. बीजेपी इस बार अकेले चुनाव में मैदान में हैं जबकि जदयू के साथ राजद और हम है ऐसे में यह कहा जा रहा है कि इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है और सियासी जानकार इसे एक नये प्रयोग के तौर पर भी देख रहे हैं.
नवभारत टाइम्स में छपी एक खबर की माने तो कुढ़नी विधानसभा चुनाव में सवर्ण बहुल वाले इलाकों में वोटिंग प्रतिशत काफी कम देखने को मिला है. ऐसे में कहा जा रहा है कि सर्वणों का वोट बीजेपी के पास जाता है ऐसे में बीजेपी को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. एक दूसरी बात यह भी कही जा रही है कि इन इलाकों में VIP वोटरों को भी अच्छा खासा समर्थन मिला है. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि इन वोटों के बंटवारे के चक्कर में जहां बीजेपी को नुकसान हो रहा है तो कही न कही VIP को भी नुकसान हो सकता है.
जिस तरह से कुढ़नी में मतदान हुआ है. उससे यह सवाल पुछा जा रहा है कि इससे किसको फायदा होगा और किसको नुकसान हो सकता है. यह सब बात इस पर निर्भर करता है कि VIP के उम्मीदवार नीलाभ कुमार ने और AIMIM के उम्मीदवार मोहम्मद गुलाम अंसाली ने कितने वोट अपने पाले में किये हैं. ऐसे में अब यह कहा जा रहा है कि अगर महागठबंधन के साथी यानी कि राजद, हम और कांग्रेस का वोट अगर जदयू के उम्मीदवार मनोज कुशवाहा के खाते में गया है तो यहां वे बीजेपी के उम्मीदवार केदार गुप्ता को चुनाव मैदान में पटखनी दे सकते हैं लेकिन जिस तरह से AIMIM का समीकरण पिछले दो उपचुनावों में देखने को मिला है. उससे यही स्पष्ट होता है कि अगर पुरानी थ्योरी काम करती है तो यहां पर जदयू को नुकसान हो सकता है. हालांकि बीजेपी के लिए भी इतना आसान गेम नहीं होने वाला है क्योंकि VIP के उम्मीदवार नीलाभ कुमार भी अपने क्षेत्र में सामाजिक मुद्दों को लेकर आंदोलन करते रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि भूमिहार समाज का वोट इनके हिस्से में जा सकता है जिससे की बीजेपी को नुकसान हो सकता है. ऐसे में अब सबकुछ 8 दिसंबर तक टीका हुआ…