शुक्रवार यानी आज के दिन राष्ट्रिय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव सिंगापूर से भारत लौट सकते हैं. बता दें की बिगड़े स्वास्थ के कारण उन्हें सिंगापूर जाना पड़ा था. दरअसल किडनी के ऑपरेशन के लिए राजद सुप्रीमो लालू यादव पिछले साल दिसम्बर के महीने में सिंगापूर गये थे. मालूम हो की लालू यादव को किडनी उनकी छोटी बेटी रोहिणी आचार्य ने दिया था. बताते चलें की पहले से स्वास्थ में सुधार होने के कारण लालू यादव भारत वापस आ रहें हैं. मिली जानकारी के अनुसार वे भारत तो आयेंगे लेकिन अभी बिहार आने की कोई जानकारी नहीं मिली है. भारत वापस लौटने के बाद लालू यादव अपनी बेटी मिसा भारती के पास दिल्ली में हीं कुछ दिन रुक सकते हैं. दरअसल राजद सुप्रीमो अपनी बेटी मिसा भारती के सरकारी आवास में हीं रहेंगे. ताकि उनके स्वास्थ की देखभाल और अच्छे से की जा सके.

अपनी बेटी मिसा भारती के साथ लालू यादव सिंगापूर से भारत लौट रहें हैं. लेकिन अभी भी उनके सेहत पर डॉक्टरों द्वारा नज़र रखी जाएगी. फिलहाल लालू यादव के बिहार आने की कोई उम्मीद नहीं है. लेकिन इस बात की चर्चा हो रही है की होली से पहले वे अपने घर यानी बिहार को वापसी कर सकते हैं. राजनितिक गलियारों में उन्हें लेकर चर्चाएं तेज हो गयी है. ऐसा माना जा रहा है की जब वे बिहार लौटेंगे तो प्रदेश की सियासत में उनके फिर से एक्टिव होने की उम्मीद है. जिसके लिए प्लान को भी तैयार किया जा चूका है. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को उनके आने के बाद अमल में लाया जा सकता है. 31 मई तक बिहार में जातिगत जनगणना के समाप्त होने की उम्मीद है. इसके समाप्त होते हीं माना जा रहा है की एक्शन मोड में महागठबंधन की सरकार आ जाएगी. साथ हीं साथ सरकार द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसे भुनाने की कोशिश की जाएगी.

बता दें की लालू यादव के बिहार लौटने का बेसब्री से उनके कार्यकर्ता द्वारा इन्तेजार किया जा रहा था. क्योंकि लालू यादव के आते हीं RJD और JDU यानी महागठबंधन के घटक दलों को कई फैसलों की प्रतीक्षा है. लिहाजा फैसले किन मुद्दे पर लिए जाएंगे अभी इस बात का खुलासा इन दलों के द्वारा नहीं लिया गया है और कहीं न कहीं अन्दर हीं अन्दर ये कयास लगाए जा रहें हैं की अगले मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव हीं हो. हालाँकि उनके आते हीं विधायक सुधाकर सिंह के बारे में भी फैसले लिए जा सकते हैं.

वहीँ जदयू की बात करें तो उसने बागी नेता उपेन्द्र कुशवाहा पर सख्ती दिखा कर गठबंधन के नियमों का पालन किया है. दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने पार्टी के साथसाथ आरजेडी पर भी आरोप लगायें थे. उन्होंने कहा था की पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की बीजेपी से मिलीभगत है. और बात आगे तब बढ़ी जब उन्होंने लालू यादव और नीतीश कुमार के राज में बिहार के दुर्गति की चर्चा जगदेव प्रसाद के जयंती समारोह में कर दी. कुशवाहा के इस बागी बोल से पार्टी के लोगों का आहत होना लाजमी है. इसलिए महागठबंधन का ख्याल करते हुए जदयू की तरफ से उन्हें किनारे कर दिया गया है. अब बात यहाँ तक आ गयी है की उपेन्द्र कुशवाहा को ना हीं पार्टी के तरफ से आने का न्योता दिया जा रहा और ना हीं वे खुद बैठकों में शामिल हो रहे हैं. लेकिन बता दें की अभी तक पार्टी से उन्हें निष्काषित और विधान परिषद् की सदस्यता रद्द करने की औपचारिकता नहीं की गयी है.

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