भूमिका
आज हम बात करेंगे बिहार के एक ऐसे जिले के बारे में जो लोगों के बीच अपनी संस्कृति और मेहमान नवाजी को लेकर पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. जी हाँ आज हम बात कर रहें हैं बिहार के 38 जिलों में से एक मधेपुरा जिले के बारे में. यह जिला अपने अस्तित्व में सहरसा जिले के एक अनुमंडल के रूप में रहने के बाद उदाकिशुगंज अनुमंडल को मिला कर 9 मई वर्ष 1981 में आया. मधेपुरा ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्त्व रखता है.
- चौहद्दी और क्षेत्रफल
आइये अब जानते हैं इस जिले के चौहद्दी और क्षेत्रफल के बारे में. यह जिला पूर्व की दिशा में पूर्णिया, पश्चिम की दिशा में सहरसा, वहीँ उत्तर की दिशा में अररिया और सुपौल तथा दक्षिण की दिशा में खगड़िया और भागलपुर जिले से घिरा हुआ है. इस जिले का क्षेत्रफल 1787 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहाँ की जनसँख्या 1,994,618 है. यदि इस जिले के साक्षरता दर की बात करें तो 52.25% है. इस जिले में कुल 13 ब्लॉक, 2 शहरी निकाय और 449 गाँव हैं.
इतिहास
तो अब हम बात करते हैं इस जिले के इतिहास के बारे में. प्राचीन समय में मिथिला राज्य का एक अंग मधेपुरा हुआ करता था. इन क्षेत्रों में आगे चल कर मौर्य वंश द्वारा शासन किया गया. मौर्य वंश द्वारा इन क्षेत्रों में शासन करने का प्रमाण उदा–किशनगंज में स्थित मौर्य स्तम्भ से देख सकते हैं. इस क्षेत्र के इतिहास में कुषाण वंश का शासन भी शामिल है. मिली जानकारी के अनुसार शंकरपुर प्रखंड के बसंतपुर और रायभीर गांवों में रहने वाले भांट समुदाय के लोग कुशान वंश के हीं परवर्ती रूप कहे जाते हैं. यहाँ मुगलों के शासन का प्रमाण भी आपको देखने को मिल जाएगा. दरअसल मुग़ल शासक अकबर के समय का मस्जिद इस जिले के सारसंदी गाँव में स्थित है. बताते चलें की इस जिले का भ्रमण सिकंदर शाह भी अपने समय में कर चुके हैं.
प्रसिद्ध व्यक्ति
आइये अब जानते हैं इस जिले के प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में. इस जिले के प्रसिद्ध व्यक्ति में हम बात करेंगे बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल के बारे में. इनका जन्म 25 अगस्त वर्ष 1918 में बनारस में हुआ था. लेकिन ये अपना सम्बन्ध मधेपुरा से भी रखते हैं. बता दें की इन्होने बिहार के मधेपुरा जिले से हीं चुनाव लड़ा था. ये बिहार के सातवें मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. बिन्देश्वर प्रसाद मंडल द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी रहे. बता दें की इस आयोग को मंडल आयोग के नाम से भी जाना जाता है.
कैसे पहुंचे
चलिए अब आगे के इस चर्चा में हम जानते हैं की इस जिले में सड़क, रेल और हवाई मार्ग की क्या सुविधा उपलब्ध है.
- सड़क मार्ग
यातायात के साधन में हम सबसे पहले बात करेंगे सड़क मार्ग की. तो बता दें की इस जिले का सड़क मार्ग बिहार के कई प्रमुख सड़कों से जुड़ा हुआ है. जिसके माध्यम से आप बिहार के किसी भी हिस्से में आसानी से जा सकते हैं. आइये अब हम जानते हैं की राजधानी पटना से मधेपुरा जिले में कैसे जा सकते हैं. तो सबसे पहले हम बात करते हैं वाया स्टेट हाईवे 88 की. इस सड़क की दूरी 204 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में लगभग 6 घंटे तक का समय लग सकता है. आइये इस रूट को हम विस्तार से जानते हैं. तो सबसे पहले पटना से मधेपुरा जाने के लिएNH 22 के जरिये हाजीपुर जाना होगा. फिर चक्सिकंदर से आगे NH 322 के जरिये जन्दाहा होते हुए चकलालशाही बाज़ार और फिर यहाँ से स्टेट हाईवे 88 से होते हुए सिंघिया बुजुर्ग, बलुआह, बान गाँव ईस्ट फिर यहाँ से NH 231 होते हुए सहरसा, बैजनाथपुर फिर मधेपुरा पहुँच जायेंगे.
आइये अब जानते है वाया NH27 के बारे में. इसकी दूरी 284 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में 6 घंटे और 15 मिनट तक का समय लग सकता है. यदि इस रूट को विस्तार से देखे तो NH22 के जरिये हाजीपुर और फिर यहाँ से मुजफ्फरपुर फिर मुजफ्फरपुर आने के बाद यहाँ से NH27 के जरिये फुलपरास और फिर किशनपुर तक आयेंगे. फिर यहाँ से NH327A के जरिये करिहो और फिर यहाँ से स्टेट हाईवे 66 पर आयेंगे. उसके बाद इस रोड से होते हुए सिंघेश्वर स्थान और फिर यहाँ से मधेपुरा पहुँच जायेंगे.
जानकारी के लिए बता दें की यदि आप मधेपुरा सड़क मार्ग के जरिये जा रहें हैं और रास्ते में आपको BR 43 नंबर के वाहन दिखने लगे तो आप समझ जाइये की मधेपुरा जिले में प्रवेश कर चुके हैं.
- रेल मार्ग
चलिए अब हम बात करते हैं रेल मार्ग के बारे में. इस जिले का रेल मार्ग भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा है. यदि यहाँ के रेलवे स्टेशन की बात करें तो दौराम मधेपुरा रेलवे स्टेशन यहाँ के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है. जिसका स्टेशन कोड DMH है. यदि पटना से आप मधेपुरा रेल मार्ग के जरिये आना चाहते हैं तो आप कोसी सुपर एक्सप्रेस से आ सकते हैं. यह ट्रेन पटना जंक्शन से दोपहर के समय 3:40 मिनट पर है. जो की मधेपुरा रात के समय 10:25 मिनट पर पहुंचा देगी.
- हवाई मार्ग
चलिए अब हम जानते हैं इस जिले के नजदीकी हवाई अड्डे के बारे में. तो बता दें की इस जिले का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है. लेकिन इस जिले का नजदीकी हवाई अड्डा पटना का जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा है. पटना हवाई अड्डे पर आप देश के कई प्रमुख शहरों और महानगरों से आ सकते हैं. फिर पटना से सड़क या रेल मार्ग के जरिये आप आसानी से मधेपुरा पहुँच सकते हैं. रेल या सड़क मार्ग के जरिये मधेपुरा कैसे जाना है इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं.
पर्यटक स्थल
आइये अब जानते इस जिले के पर्यटक स्थलों के बारे में.
इस जिले के पर्यटन स्थलों में हम सबसे पहले बात करेंगे सिंहेश्वर स्थान के बारे में. इस जगह पर भगवान शिव का मंदिर है जो पर्यटकों के लिए आस्था का केंद्र बना रहता है. इस मंदिर को लेकर लोगों के बीच एक कथा प्रचलित है. जिसके अनुसार यहाँ पर ऋषया श्रृंग का आश्रम मौजूद था. जहाँ से एक प्राकृतिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई. आगे चल कर इसी स्थान पर एक मंदिर बनवा दिया गया. यहाँ हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रधालुओं की भीड़ देखने को मिलती है.
चलिए अब दूसरे पर्यटन स्थलों में हम बात करते हैं बाबा बिशु राउत पचरासी धाम के बारे में. मधेपुरा के चौसा प्रखंड में स्थित यह धाम भी लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना रहता है. यहाँ हर साल भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. जहाँ पर्यटकों के साथ–साथ बड़े–बड़े राजनेता भी कई बार पहुँचते हैं. कई बार इस मेले में लालू यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुँच चुके हैं.
अब आखिरी में हम बात करते हैं मधेपुरा मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर पर हीं स्थित श्रीनगर गाँव के बारे में. यहाँ एक शिव मंदिर स्थित है. यहाँ के मंदिर में स्थित पत्थरों से बने स्तंभ की खूबसूरती को देख कर पर्यटक इसकी तरफ आकर्षित होते हैं. एक समय था जब श्रीनगर और बसंतपुर में किले भी मौजूद थे. जो आज के समय में सही देख–भाल नहीं होने के कारण विध्वंश हो चुके हैं.
कृषि और अर्थव्यवस्था
आइये अब जानते हैं इस जिले की कृषि और अर्थव्यवथा के बारे में. बता दें की इस जिले की अर्थव्यवस्था कृषि पर हीं मुख्य रूप से निर्भर करती है. लेकिन कई बार यहाँ कोसी के कारण बाढ़ और कई बार तो सूखे की स्थिति भी बन जाती है. लोग यहाँ कृषि के अलावे पशु पालन का काम भी करते हैं.