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दक्षिण अफ्रीका की तरफ से इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाला पहला काला खिलाड़ी, जो अपने पूरे करियर में कभी नहीं हुआ चोटिल

Bihari News

क्रिकेट किट बैग में गोबर रखने वाला अफ्रीका का महान गेंदबाज !

गाय चराने वाला लड़का बना विश्व क्रिकेट का महान गेंदबाज

दक्षिण अफ्रीका के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले पहले काले रंग के खिलाड़ी

होम ऑफ क्रिकेट लॉर्ड्सके मैदान पर एक मैच में 10 विकेट लेने वाले पहले अफ्रीकी गेंदबाज

आईपीएल में लिया हैट्रिक, पूरे करियर में कभी नहीं हुए इंजरी के शिकार

दक्षिण अफ्रीका का महान गेंदबाज जो अपने क्रिकेट किट बैग में हमेशा रखता था गोबर

इस दुनिया में किसी के लिए प्रेरणा बनना बेहद कठिन काम होता है क्योंकि ये ओहदा तभी मिलता है, जब आप पर कोई भरोसा करे और भरोसा जीतने के लिए आपको वो रास्ते तय करने पड़ते हैं जहां आप अकेले भी हो सकते हैं. हार मानने वालों को तो जीत मिल ही नहीं सकती और कोई भी कामयाब व्यक्ति की कहानी में हार शब्द होता ही नहीं. या तो वो जीतता है या फिर सीखता है.

इस लेख में बात होगी एक ऐसे खिलाड़ी की, जिसका बचपन बदहाली और गरीबी के साए में गुजरा लेकिन खिलाड़ी ने कभी परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी, वो लड़ता रहा और अपने मेहनत और लगन से उसने परिस्थितियों को हरा दिया. इस खिलाड़ी की कहानी लाखों युवाओं को प्रेरणा देती है. दोस्तों, हम बात कर रहे हैं दक्षिण अफ्रीका के महान खिलाड़ी के बारे में, जिसे दुनिया मखाया एनटिनी के नाम से जानती है. इस लेख में हम दक्षिण अफ्रीका के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज मखाया एनटिनी के जीवन से जुड़ी कुछ जानीअनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.

मखाया एनटिनी का जन्म 6 जुलाई, 1977 को दक्षिण अफ्रीका के केप प्रोविंस के एमडिंगी गांव में हुआ था, जिसे ईस्टर्न केप के नाम से भी जाना जाता है. जैसा हमने आपको पहले बताया कि एनटिनी का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा था. बचपन में वो अपने दोस्तों के साथ गांव के खेतों में नंगे पांव गाय और अन्य जानवरों को चराने जाते थे. इससे जुड़ा एक किस्सा भी है, दरअसल बचपन में सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए वो गाय के ताजा गोबर में अपने पैर रख देते थे, जिससे कि उनके पैरों को गर्मी मिल सके. ठंड से बचने के लिए उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं था.

लेकिन एनटिनी को बचपन से ही क्रिकेट के प्रति गजब का जुनून था. जब एनटिनी 15 साल के थे तब बॉर्डर क्रिकेट बोर्ड के एक अफसर रेमंड बूल की नजर उनपर पड़ी. रेमंड उस समय एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कर रहे थे. रेमंड एनटिनी के कदकाठी और गेंदबाजी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें एक जोड़ी कपडे के जूते दिए और किंग्स विलियम टाऊन्स में खेलने के लिए भेज दिया. हालांकि एनटिनी अभी इसके लिए बहुत छोटे थे लेकिन रेमंड ने शायद एनटिनी में छिपे एक जबरदस्त खिलाड़ी को पहचान लिया था और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए ऐसा किया था.

मखाया एनटिनी ने उस प्रोग्राम के अध्यक्ष ग्रेग हाइस को भी अपना मुरीद बना लिया था. एंटिनी से प्रभावित होकर ग्रेग ने उन्हें एक जोड़ी बूट दिए थे. बूट देते वक्त ग्रेग ने एंटिनी से कहा कि इन्हें गाय चराते वक्त मत पहनना. इस घटना के 2 साल बाद इंग्लैंड दौरे के लिए एंटिनी ने दक्षिण अफ्रीका की अंडर-19 टीम में जगह बना ली. उस दौरे पर खेले गए 2 टेस्ट मैचों में एंटिनी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 9 विकेट चटकाए थे. अब लग रहा था कि एंटिनी की किस्मत पलटने वाली है और हुआ भी ऐसा ही.

1995 में एंटिनी ने इंग्लैंड के खिलाफ अपने फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की और अपने डेब्यू मैच में 2 विकेट लिए. अपने पहले फर्स्ट क्लास सीजन में एंटिनी ने 37.05 की औसत से 17 विकेट हासिल किए थे. इस दौरान फ्री स्टेट टीम के विरुद्ध एंटिनी का बेस्ट परफॉरमेंस निकलकर के आया, जहां उन्होंने 17 ओवरों में 49 रन देते हुए 3 विकेट झटके थे.

इसके बाद भारत दौरे के लिए एक बार फिर उन्हें अफ्रीका की अंडर-19 टीम में चुना गया और दौरे के पहले ही मैच में एंटिनी ने 5 विकेट झटक लिए थे. यही नहीं सीरीज के तीसरे टेस्ट की पहली पारी में 6 और दूसरी पारी में 3 विकेट झटके थे. इस लाजवाब प्रदर्शन से एंटिनी के लिए अंतराष्ट्रीय सीनियर टीम का दरवाजा खोल दिया और वो दिन भी आया जब एंटिनी ने दक्षिण अफ्रीका की सीनियर टीम में एंट्री ली. 16 जनवरी, 1998 को न्यूजीलैंड के खिलाफ मखाया एंटिनी ने अपना पहला वनडे मैच खेला था और इस तरह उन्होंने एक बड़ा रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. दक्षिण अफ्रीका के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले वो पहले काले रंग के खिलाड़ी बने थे.

आपको बता दें कि 1970 में अफ्रीकी सरकार की रंग भेद नीति के कारण दक्षिण अफ्रीका को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल(ICC) ने बैन कर दिया था. यह बैन 21 साल बाद 1991 में तब जाकर खत्म हुआ जब साउथ अफ्रीका ने रंगभेद के खिलाफ नीति बनाई. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के लिए कई काले रंग के खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेला, जिनमें मखाया एंटिनी पहले खिलाड़ी बने. एंटिनी ने अपना टेस्ट इंटरनेशनल डेब्यू 16 मार्च 1998 को श्रीलंका के खिलाफ किया था. अपने चौथे टेस्ट मैच में एंटिनी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 72 रन देकर 4 विकेट चटकाए थे लेकिन यहां आकर एंटिनी की किस्मत ने उन्हें धोखा दिया. जिस करियर के लिए इतना लंबा संघर्ष कर एंटिनी आए थे वह करियर एक साल में ही खत्म होने के कगार पर तब आ गया था जब उनपर एक 21 साल की स्टूडेंट के साथ रेप करने का संगीन आरोप लगा. खुद पर लगे आरोप को नकारते हुए एंटिनी ने कहा कि उन्होंने उस लड़की को सिर्फ लिफ्ट दी थी लेकिन उन्हें दोषी पाया गया और 1999 वर्ल्ड कप टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. 12 महीनों तक एंटिनी को एक आरोपी की जिंदगी जीनी पड़ी थी.

लेकिन अगले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरोपों से बरी होने के बाद मखाया ने फिर मैदान में वापसी की और इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

भारत और पाकिस्तान के खिलाफ एक त्रिकोणीय श्रृंखला में वापसी करते हुए एंटिनी ने पहले ही मैच में भारत के खिलाफ 36 रन देते हुए 3 विकेट चटका लिए.

इसके बाद आया साल 2003 का इंग्लैंड दौरा, जिसमें लॉर्ड्स में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में मखाया एंटिनी ने कुल 10 विकेट झटके और अपना नाम लॉर्ड्स ओनर बोर्ड पर दर्ज करवा लिया. ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान पर 10 विकेट लेने वाले वो पहले अफ्रीकी गेंदबाज बने थे. उस ऐतिहासिक क्षण को याद करते हुए एंटिनी कहते हैं, ‘मैं ये सोचकर खुश हूं कि ये पल अफ्रीका के कई काले रंग के युवाओं को ये बताएगा कि अगर आप में प्रतिभा है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका रंग कैसा है या आपकी जाति कौन सी है. यह पल कई युवाओं के सपने को पूरा करने में मदद करेगा. आगे एंटिनी कहते हैं, मैं इस बात से सबसे ज्यादा खुश हूं कि किसी अफ्रीकी गेंदबाज का नाम अब होम ऑफ क्रिकेट के बोर्ड पर दर्ज हो गया है.’

2005 में मखाया एंटिनी ने अपने टेस्ट करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए वेस्टइंडीज के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन में 132 रन देकर 13 विकेट चटकाए थे. यह किसी भी अफ्रीकी गेंदबाज का एक टेस्ट में अबतक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन साबित हुआ. इसी सिलसिले को जारी रखते हुए एंटिनी ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 3 मार्च 2006 को अपने वनडे करियर का बेस्ट प्रदर्शन दिया. उस मैच में एंटिनी ने 22 रन देते हुए 6 विकेट लिए थे. एंटिनी की घातक गेंदबाजी के चलते ऑस्ट्रेलिया 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई थी. यह आज भी किसी अफ्रीकी गेंदबाज का एक वनडे मैच में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है और इस प्रदर्शन के बाद मखाया एंटिनी दक्षिण अफ्रीका के महान गेंदबाजों में शुमार हो गए थे.

20 जनवरी, 2007 को अपने 74वें टेस्ट मैच में एंटिनी ने 300 विकेट पूरे कर लिए थे और दक्षिण अफ्रीका की तरफ से यह आंकड़ा छूने वाले तीसरे गेंदबाज बन गए. एंटिनी से पहले एलेन डोनल्ड और शॉन पोलक ने ये आंकड़ा छुआ था.

एंटिनी की शानदार गेंदबाजी का ही नतीजा था कि 2006-07 में उन्हें ICC की वर्ल्ड टेस्ट एलेवेन में जगह मिली थी, यही नहीं तब वो ICC टेस्ट रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुंच गए थे.

अपने 90वें टेस्ट में एंटिनी ने इंग्लैंड के एलिस्टर कुक को आउट कर अपने 350 विकेट पूरे कर लिए. 17 दिसंबर, 2009 को एंटिनी ने अपना 100वां टेस्ट मैच खेला, जिसमें उन्होंने 2 शिकार किए थे. एंटिनी के 100 टेस्ट मैच खेलने पर पूरे अफ्रीका में जश्न मनाया गया था. लेकिन इसके बाद उन्हें सिर्फ 1 टेस्ट ही खेलने का मौका मिला. खराब प्रदर्शन के चलते उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था. एंटिनी ने 17 अप्रैल, 2009 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी वनडे मैच खेला था और अंतिम टेस्ट 26 दिसंबर, 2009 को इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. एंटिनी ने अपने करियर का आखिरी टी20 मुकाबला 9 जनवरी, 2011 को भारत के खिलाफ खेला और इसके बाद उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी.

एंटिनी आईपीएल भी खेले और चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से खेलते हुए पहले सीजन में हैट्रिक लेने के लिए उनको याद किया जाता है. वो आईपीएल के 3 सीजन खेले, जिसमें वो चेन्नई की टीम का ही हिस्सा रहे थे.

एक इंटरव्यू में एंटिनी ने कहा था कि गांव में गायों के बीच पले बड़े होने के कारण गाय के गोबर को वो अपने लिए लकी मानते थे, इसलिए वो हमेशा अपनी क्रिकेट किट की बैग में गोबर रखते थे. उन्हें जब भी मैदान पर अच्छे प्रदर्शन की जरुरत होती थी तो वो गोबर के टुकड़े को चूम लिया करते थे. अब आपको एक और अनकही बात बताने जा रहा हूं जिसे सुनकर आप हैरान भी हो जाएंगे.

एंटिनी ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें पेशाब के फायदों का भी ज्ञान था. इसलिए जब भी मैदान पर उन्हें आलस महसूस होता था तो वो ब्रेक के दौरान पेशाब हाथों पर करते थे और उन्हें अपने चेहरे पर मसल देते थे. इससे उनको ताजगी का एहसास होता था. मखाया एंटिनी ने दक्षिण अफ्रीका के लिए 101 टेस्ट मैचों में 390 विकेट हासिल किए, वहीं 173 वनडे मैचों में 266 विकेट चटकाए साथ ही 10 टी20 मैचों में 6 विकेट उनके नाम है.

एंटिनी को लेकर एक दिलचस्प बात ये भी है कि एक तेज गेंदबाज होते हुए भी अपने करियर में उन्हें कभी चोट या मोच की शिकायत नहीं हुई.

करियर के अंतिम दिनों तक भी एंटिनी की गेंदों में वही रफ्तार रही, जो शुरुआती दिनों में रहा करती थी. अपने करियर में उनकी गेंदबाजी पर भी काफी सवाल उठे क्योंकि वो क्रीज से थोड़ा हटकर गेंद डालते थे. 2016 से 2018 तक वो जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के कोच भी रहे.
मखाया एंटिनी के निजी जीवन की बात करें तो उनका विवाह थांडेकी से हुआ, जिनसे उनको एक बेटा हुआ, जिसका नाम थांडो एंटिनी है. थांडो दक्षिण अफ्रीका की अंडर-19 टीम का हिस्सा रह चुके हैं.

मखाया एंटिनी अफ्रीका में रह रहे लाखों काले रंग के युवाओं के लिए प्रेरणा का सागर हैं. ना सिर्फ अफ्रीका पूरे दुनिया में हो रहे रंगभेद के खिलाफ एंटिनी एक मुखर आवाज हैं. एंटिनी ने सचमुच ये दिखा दिया कि अगर आपमें प्रतिभा है तो आपका रंग कोई मायने नहीं रखता. क्रिकेटर पोम्मी के साथ हाल ही में एक इन्स्टाग्राम लाइव सेशन में एंटिनी ने बताया कि वो जल्द ही एक बुक लेकर आ रहे हैं, जिसमें वो अपने क्रिकेट के सफर के बारे में बताएंगे.

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