पशु एवं मतस्य संसाधन विभाग की तरफ से केंद्र स्तर से लेकर राज्य स्तर तक मत्स्य पालन से सम्बंधित चल रही योजना का पोर्टल खुल चुका है. इस विभाग ने एक साथ कई योजनाओं में आवेदन के लिए आमंत्रित किया है. इनमे राज्य योजना, सात निश्चय-2 योजना और केंद्र प्रायोजित योजना शामिल है. जो व्यक्ति इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इच्छुक हैं और इस वित्तीय वर्ष में आवेदन नहीं किया है वे इस विभाग की वेबसाइट पर लॉग इन कर कर सकते हैं. विभाग की तरफ से यह जानकारी दी गयी है की राज्य के जिलों में वित्तीय वर्ष 2020 और 21 तथा 2022 और 23 में स्वीकृत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना साथ ही वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य योजना और सात निश्चय योजना लागू है. आपको बताते चलें की इन योजनाओं का भौतिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उसी के आधार पर आवेदन की तिथि को विस्तारित किया गया है. आइये अब हम जानते हैं मत्स्य पालन से जुड़े इन योजनाओं के नाम और उनके बारे में.

  1. इन योजनाओं में हम सबसे पहले चर्चा करेंगे प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की. इस योजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 20 सितम्बर 2020 में शुरू किया गया था. जिसका उद्द्देश्य मछुआरों के कल्याण और इस क्षेत्र का विकास करना था. इसमें कुल 20050 करोड़ रुपयों का निवेश किया जाना था. इस योजना को सफल बनाने की जिम्मेदारी मत्स्य पालन विभाग और डेयरी मंत्रालय को सौंपी गयी थी.
  2. दुसरे नंबर पर हम बात करते हैं निजी तालाबों का जीर्णोधारसमग्र अलंकारी मत्स्यिकी योजना की. इस योजना का उद्देश्य मत्स्य पालकों को प्रोत्साहित करना और आर्थिक लाभ पहुंचाना है. ऐसे में रोजगार तो बढ़ेंगे ही साथ ही साथ इस क्षेत्र की तरफ लोगों का रुझान भी बढेगा.
  3. आइये अब हम बात करते हैं भ्रमण दर्शन योजना की. इस योजना के अंतर्गत मत्स्य कृषकों को राज्य के अन्दर ही विकसित आद्र्भूमि प्रक्षेत्रों जिसमे चौर विकास और समेकित मत्स्य पालन आदि शामिल हैं और बायोफ्लॉक तकनीक आदि का भ्रमण कराना है ताकि किसान इन चीजों को देख कर और इसका अनुकरण कर आधुनिक तकनीकों से मत्स्य पालन कर सकें.
  4. अब हम बात करते हैं खुले स्त्रोतों में पेन आधारित मत्स्य पालन योजना की. इस योजना का भी उद्देश्य मछुआरों की आमदनी बढ़ाना और रोजगार के नये अवसर पैदा करना है. बिहार सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022 और 23 में 8 करोड़ 3 लाख और 25 हजार रुपये के अनुमानित लागत व्यय पर खुले जलस्रोतों के लिए योजना की स्वीकृति दे दी है.
  5. पांचवें नंबर पर हम बात करेंगे मत्स्य प्रशिक्षण योजना की. इसमें बिहार राज्य सरकार ने बेरोजगार लोगों या मछुआरा समुदाय से अपना सम्बन्ध रखने वालें लोगों के लिए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया है जिसका नाम मत्स्य प्रशिक्षण योजना है. इस योजना के तहत लोगों को मछली पालन से सम्बंधित चीजें सिखलाई जाती हैं ताकि लोग बेहतर रोजगार और उद्योग के अवसर पा सकें.
  6. अब अगले नंबर पर हम बात करते हैं मुख्यमंत्री तालाब मत्स्यिकी विकास योजना की. सरकार द्वारा चलाई जा रही यह योजना भी मछली पालकों के हित में है. इस योजना के तहत मछली पालकों को पांच विभिन्न अवयवों पर अनुदान दिया जाना है. साथ ही आपको बताते चलें की अति पिछड़े वर्ग के आवेदकों के लिए 70 फीसदी अनुदान दिया जाना है और अन्य वर्गों को 50 फीसदी का अनुदान दिया जाना है.

 

7. अब जानते हैं आरएएस आधारित तकनीक से मत्स्य पालन योजना के बारे में. यह तकनीक मछली को पालने का एक नया तरीका है. इस तकिनिक के अंतर्गत पानी के जलास्यों, नदी या तालाबों और खुले टैंको में मछली पालन के पारंपरिक विधि के बजाये नियंत्रित वातावरण में पानी के सीमित उपयोग के इंडोर टैंकों में मछली पालन करी जाती है. यह विधि गर्मियों में पानी के कमी के दौरान राज्य के मछली किसानों के लिए फायेदेमंद है. क्योंकि इस विधि का प्रयोग कर के अंतर्देशीय मत्स्यपालन के माध्यम से पानी के कम उपयोग के साथ किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं.

8. अब आखिरी में हम बात करते हैं मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना की. बिहार सरकार ने इस योजना की शुरुआत भी मत्स्य पालन के योजना को बढ़ावा देने के लिए ही किया है. इस योजना के तहत मछली पालन करने के लिए तालाब निर्माण करवाने पर 70 फीसदी तक अनुदान दिया जायेगा. सरकार द्वारा सूबे चौर जल क्षेत्र में पड़ी बेकार और बंजर भूमि पर तालाब बनाने के लिए इस प्रोजेक्ट की पहल की है.

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