भारतीय टीम में जब हम खिलाड़ियों को छक्के चौके लगाते हुए देखते हैं तो हमारे दिमाग में यही चलता है कि काश हम भी भारतीय टीम का हिस्सा होते और इतने दर्शकों के बीच में छक्के चौके लगा रहे होते लेकिन जरा आपने कभी सोचा है कि भारतीय टीम तक पहुंचने का रास्ता कहा से होकर गुजरता है. इसके लिए आपको कठीन मेहनत के साथ ही अपने खेल के प्रति दिवानगी और निरंतरता होनी बहुत ही जरूरी है. भारतीय टीम का सदस्य होने के लिए आपको पहले घरेलु क्रिकेट खेलना होगा. जिसमें आपके प्रदर्शन के आधार पर भारतीय टीम में खेलने का मौका मिलता है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब आप घरेलु क्रिकेट में बेहतर कर रहे हों और आपको अपने नेशनल टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला हो. भारत में भी ऐसे खिलाड़ी है जिन्हें घरेलु क्रिकेट में उन्हें अपनी टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला लेकिन जब देश के लिए खेलने की बात हुई तो उन्हें नेशनल टीम की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिला. आज के इस वीडियों में हम बात करेंगे कुछ ऐसे खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने घरेलु क्रिकेट में तो शानदार प्रदर्शन किया लेकिन उन्हें नेशनल टीम में खेलने का मौका नहीं मिला.

इस लिस्ट में तीसरा नाम है येरे गौड़

येरे गौड़ को रेलवे की टीम का राहुल द्रविड़ के नाम से जाना जाता है. येरे गौड़ ने साल 1994-95 में कर्नाटक की तरफ से अपना पहला रणजी मैच खेला था. उसके बाद वे लगातार रणजी की टीम की तरफ से खेलते रहे और साल 2001-02 और 2004-05 में उन्हें टीम को खिताबी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद साल 2006-07 में वो एक बार फिर से इन्हें कर्नाटक की टीम का कप्तान बनाया गया. हालांकि कुछ दिनों के बाद वे फिर रे रेलवे की तरफ से खेलने लगे और इस तरह से येरे गौड़ साल 2012 तक घरेलु क्रिकेट खेलते रहे. इस दौरान उन्होंने 45.53 के औसत से 7650 रन बनाये जिसमें उन्होंने 16 शतक बनाए थे. आपको बता दें कि साल 2001-02 के दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा 761 रन बनाए थे. घरेलु क्रिकेट में शानदार कैरियर होने के बाद भी उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला. इस खिलाड़ी ने रेलवे को 2 रणजी और 3 ईरानी कप जितवाया है.

नंबर दो पर हैं मिथुन मन्हास

मिथुन मन्हास के बारे में यह कहा जाता है कि उन्होंने क्रिकेट के जिस दौर में उन्होंने घरेलु क्रिकेट खेलना शुरू किया था उनके साथ के कई ऐसे खिलाड़ी रहे जो उस दौर के भारतीय टीम के महान खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल थे जैसे की सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ये वे खिलाड़ी है जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक मुकाम पहुंचाया है लेकिन इसी दौरान भारत का एक एक मिथुन मन्हास भी था जोकि अपने क्रिकेट कैरियर को आगे बढ़ा रहा था कहाजाता है कि इन महान खिलाड़ियों के बीच में मिथुन कही दवकर रह गया. मन्हास ने दिल्ली टीम के लिए रणजी में कप्तानी साल 1998 में शुरु किया था. इनकी कप्तानी में देवघर ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, रणजी ट्रॉफी में खेले हुए खिलाड़ी देश दुनिया में नाम कमा चुके हैं. जिसमें वीरेंद्र सहवाह, आकाश चोपड़ा, गौतम गंभीर, युवराज सिंह, शिखर धवन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली और ईशांत शर्मा का भी पर्दापण इनके कप्तानी में ही हुआ था. आपको बता दें कि मिथुन मन्हास दिल्ली डेयर डेविल्स सहारा पुणे वॉरियर्स और चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलने का मौका. मिथुन के अगर हम आगे के क्रिकेट कैरियर की बात करें तो पंजाव के कोच, बांग्लादेश की अंडर-19 क्रिकेट के बल्लेबाजी के सलाहकार और दिल्ली की सीनियर क्रिकेट टीम के हैड कोच भी रह चुके हैं. मिथुन जम्मूकश्मीर की सीनियर क्रिकेट टीम का हेड कोच भी रह चुके हैं. इनके मार्गदर्शन में जम्मूकश्मीर ने साल 2016-17 को टी-20 घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता में पहली बार क्वालीफाई करने का इतिहास रचा था. रणजी ट्राफी के सीजन में उन्होंने 9 हजार 714 रन बनाए हैं.

अमोल मजुमदार

हाथ गल्प्श और पैड बांधे अपनी बारी का इंतजार कर रहे अमोल मजुमदार ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें भारतीय टीम से कभी खेलने का मौका नहीं मिलेगा. दरअसर विनोट कांबली और सचिन तेंदुलकर शारदा आश्रम विद्यामंदिर के लिए खेलते हुए हैरिस शील्ड टुर्नामेंट के सेमिफाइन में 664 रन की साझेदारी कर ली. इधर मजुमदार अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे लेकिन उन्हें पैड खोलना पड़ा और वे मैदान पर नहीं जा सके. हालांकि जब उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका मिला तो उन्होंने अपनी पहली ही पारी में 260 की पारी खेल दी. उनका घरेलु क्रिकेट में जबरदस्त रिकॉर्ड दर्ज है. लेकिन किस्मत देखिए सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ियों के बीच में इन्हें खेलने का मौका तक नहीं मिल सका. वे लगातार 15 सालों तक मुंबई की टीम की तरफ से खेलते रहे. हालांकि साल 2009 में उन्होंने अपने आप को असम और आंध्र प्रदेश की तरफ से खेलना शुरू कर दिया. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में इन्होंने 171 मैचों में 11 हजार 167 रन बनाए जिसमें उन्होंने 30 शतक भी लगाया है.

इन खिलाड़ियों ने घरेलु क्रिकेट में अपनी टीम के लिए कप्तानी किया इतना ही नहीं जब समय आया तो उन्होंने अपनी टीम को जीत भी दिलवाया. लेकिन भारतीय टीम की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिला.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *